राष्ट्रीय
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पाल ने कहा है कि कोरोना की वैक्सीन सुरक्षित है और इसे लेकर लोगों के मन में कोई शंका नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि आंकड़ों में ये बात स्पष्ट हुई है कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है.
बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि “कोरोना महामारी ख़त्म हो इसके लिए ये ज़रूरी है कि वैक्सीन को लेकर हिचक ख़त्म हो क्योंकि वैक्सीन लगवाना ही महामारी जल्द ख़त्म करने का रास्ता है.”
डॉक्टर वीके पाल ने कहा ”मैंने खुद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगवाई है. मुझमें इसका कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. हो सकता है कि सभी में ऐसा न हो लेकिन आपको डेटा देखना चाहिए. डेटा बताते हैं कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही सुरक्षित हैं.”
उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया वैक्सीन पाने की कोशिश में है. अगर हम अब भी इसे अपनाएंगे नहीं तो ये दुखद होगा. मैं सभी स्वास्थ्यकर्मियों से अपील करूंगा कि वो इसका समर्थन करें. कोविड-19 के अलावा दूसरी स्वास्थ्य सेवाएं हमें शुरू करनी हैं और जिन्हें कोरोना वैक्सीन मिल रही है उन्हें इसे लगवाना चाहिए.”
वहीं स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि स्वास्थय मंत्रालय विस्तृत तरीके से साइड इफेक्ट के बारे में रोज़ाना डेटा इकट्ठा कर रहा है.
उन्होंने कहा, "हमें इस सोच को ख़त्म करना होगा एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशनका मतलब किसी का बेहोश हो जाना या फिर उसका अस्पताल में भर्ती कराना होता है. वैक्सीन लगवाने के बाद किसी व्यक्ति का चिंतित होने या परेशान होने को भी साइड इफेक्ट के तौर पर दर्ज किया जाता है, और हो सकता है कि ये दस-पंद्रह मिनट में या एक कप चाय के बाद ख़त्म हो जाए.“
इसी सप्ताह भारत सरकार ने फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन लगाने को लेकर बड़ा अभियान शुरू किया है. लेकिन इसे लेकर फ्रंट लाइन वर्कर्स में एक हिचक देखने को मिल रही है. ये बात आँकड़ों से भी साबित होती है. भारत सरकार, वैक्सीन लगाने के अपने लक्ष्य से 20-30 फ़ीसदी पीछे चल रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 16 जनवरी को शुरू किए टीकीकरण अभियान के चौथे दिन शाम के छह बजे तक देश में 6,31,417 स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है.
मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन लगवाने के बाद अब तक एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन (AEFI) के 9 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. (bbc)