राष्ट्रीय

तितलियों की उड़ान से मिली वैज्ञानिकों को ड्रोन के लिए उन्नत तकनीक
20-Jan-2021 4:35 PM
तितलियों की उड़ान से मिली वैज्ञानिकों को ड्रोन के लिए उन्नत तकनीक

photo/Pixabay

इंसान को कई तकनीकों की प्रेरणा प्रकृति से मिली है. हवाई जहाज के पंख उड़ते हुए पंछी से यूं ही नहीं मिलते. फिर भी अभी तक किसी उपकरण में छोटे पक्षी या कीट-पतंगों, जिसमें तितलियां भी शामिल है, के पंख फड़फड़ाने की तकनीक उपयोग नहीं किया जाता है. लेकिन हाल में ही शोधकर्ताओं को तितलियों के उड़ने की बारे में ऐसी तकनीकी जानकारी मिली है. जो हमारे छोटे ड्रोन को किफायती ऊर्जा के साथ उड़ने में मददगार होगा.

हेनिंगसन ने बताया कि तितलियों में कप के आकार के पंख इस फड़फड़ाहट में नाटकीय बेहतरी लाते हैं. इससे वे बेहतर उड़ने के साथ पकड़े जाने से बच पाने में भी सक्षम हो पाते हैं. अध्ययन बताता है कि इसी तरही मछलियों या मेढकों में भी क्लैपिंग प्रपल्शन कप वाले पंखों, फिन या पैरों से बनता है. हेनिंगसन ने कहा कि यह सिद्धांत तो 1970 के दशक से है, लेकिन तितलियों पर इसका अध्ययन नहीं हुआ था. नई तकनीक से उनकी उड़ने को मापने की क्षमता जिससे वे जरूरी अवलोकन कर सके. 

अभी तक तितलियों की उड़ान वायुगतिकीय कारगरता के लिहाज से बहुत अच्छी नहीं मानी जाती थी. लेकिन हाल ही में प्रकाशित शोध ने सुझाया है कि तितलियों के बड़े लचीले पंख  जेट प्रपलश्ल को धक्का देने लिहाज से बहुत ही सटीक डिजाइन है. स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानीकों ने एक दशक पुराने सिद्धांत की पुष्टि करने की प्रयास किया जिसके अनुसार कीट-पतंगे आपने पंख एक साथ फड़फड़ाते हैं जिससे उनके बीच ही हवा उन्हें आगे के लिए धक्का देती है. 

इंटरफेस जर्नल में प्राकशित हवा में उड़ने वाली तितलियों के वायुगतिकीय विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने दर्शाया है कि फड़फड़ाहट की क्रिया तितलियों में हवा में आगे बढ़ने क लिए जेट पैदा करने का काम करती है. लुंड यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सहलेखक पेर हेनिंगसन का कहना है कि इसके साथ ही उन्होंने पाया है कि जितना समझा गया था तितलियां इस प्रक्रिया को कहीं ज्यादा उन्नत तरीके से करती हैं. 

हेनिंगसन ने बताया कि जैसे ही तितलियां एक साथ अपने पंख फड़फड़ाती हैं, ऐसा नहीं होता है कि दो सपाट सतहें आपस में टकरा रही हों. बल्कि इस प्रक्रिया के दौरान उनका एक खास पॉकेट आकार बनता है जिससे ज्यादा से ज्यादा हवा आ सके. जब शोधकर्ताओं ने तितलियों के पंखों की तरह ही यांत्रिक पंख बनाए तो उन्होंने पाया कि तितलियों की तरह लचीले पंख एक खास तरह का पॉकेट बनाते हैं जिससे इन पंखों की बल पैदा करने की कारगरता 22 प्रतिशत बढ़ जाती है. वहीं ठोस पंखों की तुलना में ऊर्जा उपयोग की कारगरता 28 प्रतिशत बढ़ गई. 

शोधकर्ताओं ने सुझाया कि तितलियों पर उनकी पड़ताल बहुत उपयोगी है और उसे ड्रोन की उड़ान में कारगरता से उपयोग में लाया जा सकता है. खास तौर पर क्लैपिंग विंग प्रपल्शन वाले ड्रोन के लिए यह तकनीक बहुत उपयुक्त है. हेनिंगसन का कहना है कि शोधकर्ताओं का यह बेहतरी नाटकीय तौर पर हैरान कर गया. इस तरह की पड़ताल किसी वैज्ञानिक के लिए बहुत उपयोगी है. इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी.

तितलियों के पंखों को परंपरागत तौर पर वायुगतिकीय तौर पर कारगर नहीं माना जाता है. लेकिन वे इस पॉकेट आकार को बनाने में खास तौर से बढ़िया होते हैं. हेनिंगसन ने बताया कि तितलियों में यह आकार उन्नत क्लैप प्रपल्शन विकसित कर लिया होगा जिससे वे उन जीवों का शिकार होने से बच जाए जो उड़ने के साथ ही उन्हें दबोच लेते थे. इससे बचने के लिए तितलियां तेजी से उड़ान शुरू कर सकती हैं. इतना ही नहीं वे बहुत अप्रत्याशित तरीके से उड़ान भी भर लेती हैं. 
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news