राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 23 जनवरी | तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों की निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का आंदोलन शनिवार को 59वें दिन जारी है। इन दोनों मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद अब किसान यूनियन अपने आंदोलन को तेज करने को लेकर पूर्वघोषित कार्यक्रम के अनुसार, किसान परेड की तैयारी में जुटे हैं। आंदोलनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को गंणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर के साथ किसान परेड निकालने की योजना को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ किसान यूनियनों की बीते दिनों कई दौर की बातचीत हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि पुलिस अधिकारियों के साथ वार्ता में पुलिस ने एक रोडमैप किसान नेताओ के सामने रखा है, जिसपर किसानों के बीच विचार-विमर्श चल रहा है।
इस बीच किसान नेता ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में भी जुटे हैं। पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह शनिवार को टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि 26 जनवरी को किसान परेड में एक लाख से अधिक ट्रैक्टरों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम रिंग रोड पर किसान परेड निकालना चाहते हैं, जबकि पुलिस हमें केएमपी पर ट्रैक्टर मार्च निकालने को कह रही है।"
पंजाब के ही भाकियू नेता परमिंदर सिंह पाल माजरा ने कहा कि सरकार के साथ शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता विफल होने पर अब किसान आंदोलन और जोर पकड़ेगा।
उधर, हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने प्रदेश के किसानों से 26 जनवरी पर किसी भी राजनेता के कार्यक्रम का विरोध नहीं करने की अपील की है।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने और तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से किसान का आंदोलन चल रहा है।
आंदोलन समाप्त करने को लेकर केंद्र सरकार ने नये काूनन में संशोधन के प्रस्ताव के बाद अब इन तीनों कानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगा देने की पेशकश की है। मगर, आंदोलनकारियों द्वारा इस प्रस्ताव को भी नामंजूर करने और कानून को निरस्त करने की मांग पर अड़े रहने के कारण 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही। (आईएएनएस)