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एलेक्सी नवेलनीः रूस में विरोध प्रदर्शन, '3000 से अधिक लोग हिरासत में'
24-Jan-2021 9:49 AM
एलेक्सी नवेलनीः रूस में विरोध प्रदर्शन, '3000 से अधिक लोग हिरासत में'

पर्यवेक्षकों का कहना है कि जेल में बंद विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी के समर्थन में पूरे रूस में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान रूसी पुलिस ने 3,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है.

दस हज़ार से भी अधिक लोगों ने भारी सुरक्षाबल की तैनाती में भी इन प्रदर्शनों में भाग लिया है. हाल के सालों में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के ख़िलाफ़ इसे सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है.

मॉस्को में रॉयट पुलिस को प्रदर्शनकारियों को पीटते और उन्हें घसीटते देखा गया है.

राष्ट्रपति पुतिन के आलोचक नवेलनी ने रविवार को अपनी गिरफ़्तारी के बाद प्रदर्शनों का आह्वान किया था.

सहयोगी पहले ही हिरासत में

पुलिस ने पूर्वी खाबारोवस्क इलाके में विरोध-प्रदर्शनों पर कड़ाई शुरू कर दी है. साथ ही लोगों को घरों पर ही रहने की सख्त चेतावनी दी है.

नवेलनी के कई निकट सहयोगियों को शनिवार के प्रदर्शनों से पहले ही हिरासत में ले लिया गया. इनमें उनकी एक प्रवक्ता और उनके वकील शामिल हैं.

नवेलनी रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन के सबसे हाई-प्रोफाइल आलोचक हैं. उन्हें जेल में डाले जाने के बाद उनके समर्थक सोशल मीडिया पर कूद पड़े और विरोध-प्रदर्शनों का आह्वान किया जाने लगा. रूस के तकरीबन 60 शहरों में विरोध-प्रदर्शन होने के आसार हैं.

नवेलनी को रविवार को गिरफ्तार किया गया था. वे बर्लिन से लौटकर मॉस्को आए थे और इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. नवेलनी पिछले साल अगस्त में रूस में हुए जानलेवा नर्व एजेंट हमले के बाद बर्लिन में रिकवर कर रहे थे.

मॉस्को पहुंचते ही उन्हें कस्टडी में ले लिया गया और उन्हें पैरोल की शर्तों के उल्लंघन का दोषी पाया गया. नवेलनी का कहना है कि यह केस उन्हें खामोश करने के लिए रचा गया है और उन्होंने अपने समर्थकों से विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया.

अब तक क्या हुआ है?

रूस के फार ईस्ट में शनिवार को शुरुआती विरोध-प्रदर्शन हुए. लेकिन, इनमें शामिल होने वाले नवेलनी के समर्थकों की संख्या को लेकर विरोधाभासी खबरें आई हैं.

एक स्वतंत्र न्यूज़ स्रोत सोटा ने कहा है कि व्लाडीवोस्टक में कम से कम 3,000 लोगों ने विरोधों में हिस्सा लिया है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने यह आंकड़ा 500 बताया है.

रॉयटर्स के मुताबिक, शहर के वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि दंगा रोकने वाली पुलिस सड़क पर प्रदर्शनकारियों के एक समूह के पीछे भाग रही है.

दूसरी ओर, साइबेरियाई शहर याकुटस्क में -50 डिग्री सेल्शियस की ठंड में भी लोग सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

रैलियों को मॉनिटर करने वाले एक स्वतंत्र एनजीओ ओवीडी इंफो का कहना है कि अब तक पुलिस ने देश भर से 48 लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें से 13 लोग खाबरोवस्क में हिरासत में लिए गए हैं.

रूसी अधिकारियों ने कड़ाई बरतने का आह्वान किया है. पुलिस का कहना है कि अनधिकृत प्रदर्शनों और उकसावे की गतिविधियों को तत्काल दबा दिया जाएगा.

अनधिकृत रैलियां पूरे देश के 60 से ज्यादा शहरों में निकालने की योजना बनाई गई है. इनमें से एक रैली मॉस्को के सेंट्रल पुश्किन स्क्वेयर में रूस के स्थानीय समय के मुताबिक दोपहर के 2 बजे आयोजित की जानी है.

पुलिस ने स्क्वेयर के चारों तरफ सैकड़ों मेटल बैरियर्स खड़े कर दिए हैं ताकि प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने से रोका जा सके.

नवेलनी की पत्नी यूलिया भी उनके साथ जर्मनी से मॉस्को लौटी थीं. यूलिया ने कहा है कि वे भी मॉस्को में होने वाले प्रदर्शनों में "अपने, अपने बच्चों के लिए और जिन मूल्यों और आदर्शों को हम मानते हैं उनकी खातिर" शरीक होंगी.

युवा लोगों में पॉपुलर सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर शनिवार के विरोध-प्रदर्शनों को लेकर वीडियोज की बाढ़ आ गई है.

रूस के शिक्षा मंत्रालय ने पेरेंट्स से कहा है कि वे अपने बच्चों को प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की इजाजत न दें.

नवेलनी के कौन से सहयोगी हिरासत में लिए गए हैं?

नवेलनी के कई खास सहयोगियों को शनिवार के प्रदर्शनों से पहले पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है. इनमें उनकी स्पोक्सपर्सन किरा यार्मिश और उनके एक वकील ल्युबोव सोबोल शामिल हैं. इन पर जुर्माना या कम वक्त की जेल हो सकती है.

सोबोल को रिलीज कर दिया गया है, लेकिन यार्मिश पिछले नौ दिनों से जेल में हैं.

व्लाडीवोस्टक, नोवोसीबिर्स्क और क्रासनोडार शहरों में प्रमुख नवेलनी एक्टिविस्ट्स को भी पकड़ लिया गया है.

प्रदर्शनों से पहले सपोर्ट हासिल करने के लिए नवेलनी की टीम ने एक वीडियो जारी किया था. यह एक लग्जरी ब्लैक सी रिजॉर्ट का वीडियो था. इनका आरोप है कि यह रिजॉर्ट राष्ट्रपति पुतिन का है. रूस ने इन आरोपों को खारिज किया है. इस वीडियो को 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

putin palace

नवेलनी से रूसी सरकार क्यों है परेशान?

लंबे वक्त से रूसी अधिकारी यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि एलेक्सी नवेलनी की कोई अहमियत नहीं है. वे केवल एक ब्लॉगर हैं, जिनकी मामूली फॉलोइंग है और वे किसी तरह का खतरा नहीं हैं.

हालिया घटनाएं इसके उलट हकीकत बयां कर रही हैं. पहले नवेलनी को नर्व एजेंट से टारगेट किया गया. आरोप है कि एफएसबी के सरकारी कातिलों के खुफिया दस्ते ने यह काम किया था.

जहर दिए जाने की घटना की जांच करने की बजाय रूस ने नवेलनी की जांच शुरू कर दी. जर्मनी से लौटते ही रूस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया.

नवेलनी को जेल की सलाखों के पीछे डालने के साथ ही अधिकारियों ने उनके समर्थकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.

रूस को यूक्रेन की तरह की क्रांति रूस में भी शुरू होने का डर सता रहा है.

फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि इस तरह का माहौल पैदा हो सकता है. लेकिन, जिस तरह से आर्थिक समस्याएं बढ़ रही हैं उसे देखते हुए रूसी सरकार को चिंता है कि नवेलनी विद्रोह की भावनाएं भड़काने में आग में घी का काम कर सकते हैं. इसी वजह से शनिवार को विरोध प्रदर्शनों से पहले पुलिस ने कड़ाई से इन्हें कुचलने की कोशिशें शुरू कर दी थीं.

साथ ही, यह पूरा मामला अब निजी भी हो गया है. नवेलनी का "पुतिन के महल" का वीडियो रूसी राष्ट्रपति के लिए बड़ी किरकिरी का सबब बन गया है.

कौन हैं एलेक्सी नवेलनी?

नवेलनी एक भ्रष्टाचार विरोधी कैंपेनर हैं और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोध का सबसे मुखर चेहरा हैं.

उन्होंने 2018 में राष्ट्रपति चुनाव में उतरने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें एक आरोप में दोषी ठहरा दिया गया और चुनाव लड़ने से रोक दिया गया. नवेलनी इस आरोप को राजनीति से प्रेरित बताते हैं.

एक मुखर ब्लॉगर के तौर पर नवेलनी के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स हैं. 2020 में वे अपने कुछ समर्थकों को साइबेरिया की स्थानीय परिषदों में जिताने में भी कामयाब रहे हैं.

पिछले साल अगस्त में 44 साल के नवेलनी को एक नर्व एजेंट अटैक में तकरीबन मार दिया गया था. उन्होंने इसका सीधा आरोप राष्ट्रपति पुतिन पर लगाया था.

रूसी सरकार ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था. नवेलनी के इन आरोपों को हालांकि खोजी पत्रकारों की रिपोर्ट्स से बल मिला है.

पिछले वीकेंड अरेस्ट किए जाने के बाद से रूस पर यूएस और ईयू का दबाव बढ़ा है कि रूस नवेलनी को रिहा कर दे. जहर दिए जाने के बाद से पहली बार नवेलनी रूस पहुंचे थे. (bbc)

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