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मौलाना आजाद तालीम-ए- बालिगन योजना
24-Jan-2021 12:30 PM
मौलाना आजाद तालीम-ए- बालिगन योजना

मौलाना आजाद तालीम-ए- बालिगन योजना का संबंध अल्पसंख्यक शिक्षा से है। इस योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय में उच्च साक्षरता दर हासिल करना है। इस योजना का नाम देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर रखा गया है। 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 5 जनवरी 2014 को आजाद तालीम-ए- बालिगन योजना की घोषणा की।  यह योजना मुस्लिम बहुल साक्षर भारत के 61 जिलों में शुरू की जाएगी।  केंद्र की व्यस्कों के लिए साक्षरता कार्यक्रम 11 राज्यों में चल रहा है।
इस योजना के तहत 15 वर्ष और उससे अधिक के आयु वर्ग की एक करोड़ की आबादी और 2.5 लाख व्यस्कों के लिए बुनियादी शिक्षा प्रदान की जाएगी।   इसके साथ ही उनके कौशल विकास के लिए भी कार्यक्रम चलाया जाएगा। पांच हजार की मुस्लिम आबादी से अधिक वाले इलाके में सिर्फ महिलाओं के लिए अतिरिक्त एक हजार  व्यस्क शिक्षा केंद्रों की स्थापना की भी योजना है। अन्य योजनाओं में केजीबीवी, लड़कियों/ महिलाओं के छात्रावास, डिग्री कॉलेजों, शिक्षा के लिहाज से पिछड़े और पर्याप्त मुस्लिम आबादी वाले कुछ चुनिंदा शहरों/ जिलों में पॉलिटेक्निकों की स्थापना करना शामिल है।
अल्पसंख्यक लड़कियों में कौशल विकास के लिए ‘हुनर- एचयूएनएआर’ की तर्ज पर नई योजना की घोषणा भी की गई। 978 करोड़ रूपये की इस प्रस्तावित योजना के तहत 9 लाख 20 हजार अल्पसंख्यक लड़कियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
 

क्या है ब्रोडा समझौता
24 जनवरी 1667  ईसवी को ब्रिटेन और हालैंड के बीच ब्रोडा समझौता हुआ। इस समझौते के आधार पर हालैंड ने अमरीका महाद्वीप में अपने उपनिवेशों पर नियंत्रण न रख पाने के कारण उन्हें ब्रिटेन के हवाले कर दिया। इस समझौते के आधार पर ब्रिटेन को मिलने वाला सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र वर्तमान न्यूयार्क राज्य था। ब्रिटेन ने इसके बदले में दक्षिणी अमरीका के गूयान क्षेत्र को हालैंड के हवाले कर दिया।
 

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