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वे 20 लाख करोड़ गए कहां जो सरकार ने पेट्रोल-डीजल से कमाए-अजय माकन
24-Jan-2021 7:44 PM
 वे 20 लाख करोड़ गए कहां जो सरकार ने पेट्रोल-डीजल से कमाए-अजय माकन

नई दिल्ली, 24 जनवरी। कांग्रेस नेता अजय माकन ने आज कहा कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस का खेल ध्यान से समझिए. एक ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम कम होते जा रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी कर रही है. अब तो पेट्रोल व डीजल के दाम देश में शीर्ष पर पहुंच गए हैं, जिसका सीधा असर किसान, आम जनता व ट्रांसपोर्टरों पर पड़ रहा है और महंगाई चरम पर पहुंच गई है.

अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे देश में और देश की राजधानी में पेट्रोल 85 रुपए 70 पैसे के ऊपर बिक रहा है। डीजल 75 रुपए 88 पैसे पर बिक रहा है, जो आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है। ये बड़े दुख और शर्म की बात है कि ऐसे समय के ऊपर अगर हम लोग तुलना करें 2014 के साथ, जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, तो अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य तेल का मूल्य 108 डॉलर प्रति बैरल था और आज ये घट कर के 55 डॉलर के करीब प्रति बैरल है। तो 108 डॉलर प्रति बैरल 2014 में और 55 डॉलर प्रति बैरल अब, लगभग आधा अंतरार्ष्ट्रीय खुदरा मूल्य हो गया है, लेकिन बावजूद इसके पेट्रोल हमारे समय में 71 रुपए 51 पैसे था और अब आज रिकॉर्ड हाई 85 रुपए 70 पैसे और डीजल हमारे समय में, जिसका प्रयोग किसानों द्वारा खेती के लिए, ट्रांसपोर्टर द्वारा ट्रांसपोर्टेशन के लिए और रोजमर्रा का सामान लाने- ले जाने के लिए होता है, क्योंकि इसका महंगाई के ऊपर सीधा असर पड़ता है। तो हम लोगों के समय में डीजल 57 रुपए 28 पैसे के ऊपर था, जब 108 डॉलर प्रति बैरल था, तो वही डीजल आज जब अंतरार्ष्ट्रीय खुदरा मूल्य आधा हो गया है, वही डीजल बढ़कर 57 रुपए 28 पैसे से बढ़कर 75 रुपए 88 पैसे हो गया है तो आप खुद अंदाजा कर सकते हैं कि किस प्रकार से साधारण लोगों की कमर के ऊपर, उनकी जेब के ऊपर केन्द्र सरकार ये वार कर रही है।

यही नहीं, जो इसका मुख्य कारण है, इसका मुख्य कारण ये है कि केन्द्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में 8 गुना एक्साइज ड्यूटी डीजल के ऊपर बढ़ाया है और ढाई गुना पेट्रोल के ऊपर एक्साइज बढ़ा है। तो जब 8 गुना एक्साइज डीजल पर बढ़ जाएगा, तो चाहे अंतरार्ष्ट्रीय मूल्य आधा हो गया हो, लेकिन उसका फायदा साधारण जनता तक नहीं पहुंच रहा है, उसका फायदा सरकार अपनी जेब भरने के अंदर कर रही है और साधारण जनता के ऊपर अभी भी महंगाई का वार लगातार हो रहा है, जो कि नहीं होना चाहिए। जो एडीशनल एक्साइज डीजल के ऊपर अभी प्रति लीटर, जैसे मैंने कहा कि डीजल का इस वक्त 75 रुपए 88 पैसे रेट है, उसमें से 28 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर तो डीजल के ऊपर एडीशनल एक्साइज है, जो एडीशनल एक्साइज पिछले 6 वर्ष में लगाया गया और उसी प्रकार से पेट्रोल में 23 रुपए 78 पैसे एडीशनल इसके अंदर पेट्रोल के ऊपर एक्साइज बढ़ा है, जो कि पिछले 6 वर्षों में लगाया गया है। डीजल में मैं फिर बताऊं आपको कि 8 गुना ज्यादा बढ़ा दिया गया है और पेट्रोल के ऊपर ढाई गुना आगे बढ़ा दिया गया है। इतनी बड़ी तादाद के अंदर एक्साइज ड्यूटी केन्द्र सरकार ने इसके अंदर बढ़ाई है।

अब केन्द्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में, आप लोगों को हैरानी होगी कि 20 लाख करोड़ यानि 200 खरब रुपया से ज्यादा केन्द्र सरकार ने इस एडीशनल एक्साइज से कमाया है, 200 खरब रुपया! अब 200 खरब रुपया जो सेंट्रल गवर्मेंट ने इसमें कमाया है, हम केन्द्र सरकार ये सीधे-सीधे ये पूछना चाहते हैं कि वो पैसा गया कहाँ है? 200 खरब रुपया केन्द्र सरकार ने एडीशनल, जो इसके अंदर पैसा एक्साइज में कमाया है, वो किसकी जेबों के अंदर जा रहा है? आज अगर आप देखें, तो सेना के जवान हमारे, उनका डीए कट रहा है। केन्द्र सरकार के कर्मचारी हैं, तो उनका डीए कट रहा है। आज अगर छोटे कारोबारियों से बात करें, तो वो परेशान हैं, उनके ऊपर टैक्स का बोझ आ रहा है, उनके ऊपर बैंक से इंस्टॉलमेंट का बोझ उनके ऊपर आ रहा है। तो ये पैसा 200 खरब रुपया पिछले 6 वर्षों में गया कहाँ हैं? आज अगर सबसे ज्यादा फायदा किसी को हो रहा है, तो वो सरकार के, मोदी जी के जो पूंजीपति मित्र हैं, जो बड़े-बड़े सरमायेदार हैं, उन लोगों को फायदा केवल पहुंच रहा है। साधारण लोगों को, आम जनता को इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है, उनको नुकसान इसके अंदर हो रहा है। 200 खरब रुपया का रेवेन्यू सरकार ने केवल एक्साइज से पेट्रोल और डीजल के ऊपर बढ़ाकर कमाया है।

मैं आपको साथ-साथ याद दिलाना चाहता हूं कि एलपीजी सिलेंडर के ऊपर, 12 एलपीजी के सिलेंडर हम लोगों के टाइम पर सब्सिडाइज्ड रेट पर मिला करते थे और एक बार बीच में 12 के 9 हो गए, तो हाहाकार मचा दिया इन लोगों ने कि इसके अंदर जो है 9 क्यों कर दिए? 2014 में जब हम छोड़ कर गए थे तो 12 हमारे समय के ऊपर सब्सिडाइज्ड रेट के ऊपर सिलेंडर मिला करते थे। आज वो पूरी की पूरी सब्सिडी एलपीजी के ऊपर लगभग समाप्त कर दी गई है और आज अगर हमारे समय से तुलना किया जाए, हमारे समय के ऊपर जो सब्सिडाइज्ड जो 12 सिलेंडर मिलते थे, उसके तो बहुत कम दाम होते थे। लेकिन without सब्सिडी भी, कोई भी मार्केट से सिलेंडर खरीद सकता था बगैर सब्सिडी के भी, तो वो सिलेंडर 414 रुपए में मिलता था, आज वो बढ़कर लगभग 700 रुपए हो गया है। सब्सिडी के साथ तो 12-12 गैस सिलेंडर हैं, सब्सिडी वाले, वो अलग हैं। जो सिलेंडर 414 रुपए का मिलता था, वो लगभग 700 रुपए का हो गया है और ये बावजूद इसके कि अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर गैस के प्राइस कम हो रहे हैं और ये अंतरार्ष्ट्रीय गैस के प्राइसेस के साथ में सीधे लिंक्ड हैं, तो अंतरार्ष्ट्रीय गैस के प्राइस जब कम हो रहे हैं तो क्यों ऐसा हो रहा है कि हमारे देश के अंदर सब्सिडी वाला सिलेंडर जो 414 रुपए में मिलते थे, वो 700 रुपए हो रहा है, हम ये सरकार से जानना चाहते हैं?  

तो आज हमारा ये कहना है कि अगर सरकार केवल एडीशनल एक्साइज जो इन्होंने लगाया है, उसको अगर बंद कर दे, तो पेट्रेल 61 रुपए 92 पैसे में मिलेगा और डीजल 47 रुपए 51 पैसे में मिलेगा तो अगर आज केवल सरकार एडीशनल एक्साइज, जो इन्होंने अपने समय में बढ़ाया है इसको कम कर दें, तो इतना बड़ा फर्क हमारे पेट्रोल और डीजल के दामों में पड़ जाएगा।

तो आज हमारे देश  के अंदर कोरोना काल के बाद में जिस तरह से सरकार ने अर्थव्यवस्था के साथ में डील किया है, उससे पहले नोटबंदी, उससे पहले जिस तरह से जीएसटी लगाई, तो सरकार ने पूरे हमारे देश की अर्थव्यवस्था का एकदम से बंटाधार एक तरह से कर दिया है। आज की स्थिति के अंदर सरकार को हमारे देश के अंदर चाहिए कि साधारण लोगों के ऊपर बोझ कम हो तो इसलिए एक्साइज एडिशनल लगाया है, उसको एकदम से वापस लिया जाए और कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि 200 खरब रुपया, जो एडीशनल सरकार ने एडिशनल एक्साइज से जो कमाया है, 200 खरब से भी ज्यादा, वो कहाँ पर खर्च किया जा रहा है, वो किन-किन जेबों के अंदर जा रहा है, उसके बारे में भी सरकार देश की जनता को बताए? हमारी मांग है सरकार द्वारा पिछले 6 सालों में बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी कांग्रेस सरकार के समान करके पेट्रोल- डीजल के दामों में राहत दी जाए।

सरकार द्वारा पेट्रोल- डीजल से जुटाए गए 200 खरब रुपए के प्रयोग के बारे में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में श्री अजय माकन ने कहा कि ये जो है, अमाउंट छोटा अमाउंट नहीं है। जैसे मैंने कहा कि 200 खरब रुपया, 20 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक अमाउंट है। जो सबसे इसमें अजीब बात ये है कि सरकार में पारदर्शिता नाम की कोई चीज ही नहीं है। तो जो सरकार हमारे समय के ऊपर जो पारदर्शी सरकार रहती थी, हमारे समय के ऊपर जो ऑयल कंपनी थी, वो कंपेरेटिव रेट देती थी यहाँ तक कि दक्षिण एशियाई देशों के साथ हमारे पेट्रोल – डीजल के मूल्यों की तुलना वेबसाइट्स पर उपलब्ध रहती थी पाकिस्तान के साथ में, बांग्लादेश के साथ में, श्रीलंका के साथ में, हम लोगों की प्राइस कहाँ है। वो अब आब लोगों को कहीं नहीं मिलेगा। हमारे समय के ऊपर डेली अपडेट होते थे कि कितना रेवेन्यू उसके अंदर आ रहा है, ये सब चीजें उसके अंदर जो है पारदर्शी तरीके से हमारे सरकार के समय में होता था, जो पारदर्शिता अब एकदम खत्म हो गई है और जब पारदर्शिता खत्म हो गई है, तो फिर ये सरकार संदेह के घेरे में आती ही आती है। इसलिए हम लोग जानना चाहते हैं कि एक तरफ जब हमारे यहाँ पर देश के अंदर सेना के जवान, पूर्व सैनिक, सरकारी कर्मचारी उनके डीए काटे जा रहे हैं, अगर आप पूरी दुनिया के अंदर देख लें, जिस तरह से कोरोना काल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय देशों के अंदर जिस तरह से सरकारों ने अपने लोगों की आर्थिक तौर पर मदद की, इससे पार आने में, हमारे यहाँ पर कोई मदद नहीं हुई। तो ये पैसा, इतना बड़ा अमाउंट गया कहाँ पर है, तो ये पैसा किनकी जेबों में जा रहा है? क्या इनसे मित्र पूंजीपति मित्र जो फंसे हुए हैं बैंकों के लोन के अंदर, बड़े-बड़े पूंजीपति मित्र, क्या उनकी मदद करने के लिए पैसा इस्तेमाल हो रहा है? जबकि हमारे किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, हमारे छोटे कारोबारियों के ऊपर लगातार दबाव बैंकों का आ रहा है, तो ये पैसा जा कहाँ रहा है?   

एक अन्य प्रश्न पर कि इसके लिए क्या कदम उठाने की जरुरत है? श्री माकन ने कहा कि मैंने जैसा कहा कि अगर मान लीजिए एडीशनल एक्साइज और एडीशनल एक्साइज पैट्रोल और डीजल के ऊपर हटा लें, तो पेट्रोल 61 रुपए 92 पैसे के ऊपर और डीजल 47 रुपए 51 पैसे के ऊपर बिक सकता है। तो ये एडीशनल एक्साइज जो है, डीजल के ऊपर 8 गुना बढ़ाया गया और पेट्रोल के ऊपर ढाई गुना बढ़ाया गया है। 820%  एग्जेक्ट डीजल के ऊपर और पेट्रोल के ऊपर 258 % एक्साइज बढ़ाया गया है। तो अगर मान लीजिए ये एडीशनल एक्साइज ही सिर्फ हटा दिया जाए तो आप समझ सकते हैं कि पेट्रोल 61 रुपए 92 पैसे और डीजल 47 रुपए के आस-पास बिकेगा और ये बहुत बड़ी राहत हमारे देश के अंदर होगी और इससे मंहगाई भी कम होगी। क्योंकि आप ये समझ सकते हैं कि डीजल सिर्फ ट्रांसपोर्टेशन के लिए नहीं होता है, डीजल जो है पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी इस डीजल से होता है, कैरियर ट्रांसपोर्ट भी डीजल से होता है और किसान भी डीजल का इस्तेमाल करते हैं। तो डीजल के ऊपर रेट बढ़ने से ओवर ऑल महंगाई के ऊपर फर्क पड़ता है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि कटौती से संबंध, क्यों हो, इसको स्थापित किया जा रहा है? इंटरनेशनल प्राइस तो कम हो गए हैं, हमारी सरकार की तुलान में । हमारे समय में कच्चा तेल 108 डॉलर प्रति बैरल था, क्या 108 डॉलर प्रति बैरल जाएगा क्या? तो अंतरार्ष्ट्रीय प्राइसेस के ऊपर तो आप कंपेयर करें, तो हमारे समय पर कंपेयर करें जो अब है। कटौती तो होगी ही, उस समय भी कटौती होती थी। उस समय भी एक्सेस प्रोडक्शन होता था। दोनों चीजें होती थी। ये कोई अभी थोड़े ही एकदम से शुरु से हुआ है कि कभी कटौती हुई, कभी एक्सेस प्रोडक्शन हुआ है। हमेशा से कटौती होती है तो प्राइसेज थोड़े बढ़ते हैं। हमेशा के जिस वक्त एक्सेस प्रोडक्शन होता है तो प्राइस थोड़े घटते-बढ़ते रहते हैं। लेकिन जब हमारे समय पर 108 डॉलर प्रति बैरल जिस वक्त हम लोगों के समय के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य था, तो उस वक्त हम लोग जब 71 रुपए 51 पैसे दे रहे थे, तो अब क्यों नहीं दे सकते? तो इसमें एडिशनल और जबकि रेट आधे हो गए हैं? मुझे ये बताएं कि इसमें सउदी अरब के अंदर एडिशनल प्रोडक्शन हो गई, कटौती हो गई, इससे 8 गुना एक्साइज बढ़ाने से क्या मतलब? इससे 8 गुना डीजल पर एक्साइज बढ़ाने से क्या मतलब है? सउदी के अंदर कटौती हो गई या सऊदी के अंदर उन्होंने एडीशनल प्रोडक्शन करनी शुरु कर दी, तो क्या 8 गुना इससे हमारे एक्साइज में बढ़ाने का क्या मतलब, दोनों का आपस में क्या लेना-देना?

एक प्रश्न पर कि सेंसेक्स में तो लगातार उछाल आ रहा है, इस पर क्या कहेंगे? श्री अजय माकन ने कहा कि अगर सब चीजें सेंसेक्स से हैं तो आप अपनी जेब भी टटोल के देख लें। आप अपने घर जब वापस जाएंगे तो आप अपने स्कूटर या गाड़ी पर जाएं, तो सेंसेक्स को देखकर खुश होते रहिएगा, आपकी जेब पर 100 रुपए फालतू लगेंगे इस बार। तो आप अपनी जेब देखेंगे या सेंसेक्स देखेंगे?

एक अन्य प्रश्न पर कि सरकार द्वारा विपक्ष के विरोध के बावजूद पेट्रोल-डीजल में राहत नहीं क्यों नहीं दी जा रही के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि सरकार की एरोगेंस है और ये सरकार की एरोगेंस है, जिसकी वजह से ये सरकार इतने महत्वपूर्ण विषय को नहीं सुन रही है। आज कहीं पर भी आप किसी भी पेट्रोल पंप पर खड़े हो जाएं, आप वहाँ पर जब डीजल भरवाने वाले लोग आते हैं, तो आप चर्चा करें तो देखें वो क्या कहते हैं। आप अगर कहीं पर भी गृहणी से बात करें तो किस तरह से गैस की कीमत बढ़ी है, आप उसका इंपैक्ट देखें। मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूं मीडिया के लिए भी ये बहुत बड़ा मुद्दा होना चाहिए। हमारे समय के ऊपर अगर दो रुपए या तीन रुपए भी बढ़ जाता था, उसको छोड़िए 50 पैसे भी बढ़ जाता है, तो आपकी ब्रेकिंग न्यूज होती थी, सारा दिन चलती थी। तो अब जो है आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है। हम आपको आंकड़े दे रहे हैं। हम आपको कह रहे हैं कि ये 200 खरब रुपए इन्होंने एडीशनल कमाए हैं, तो आप भी तो उसको दिखाएं, आप भी तो लोगों को बताइए।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि नहीं, हम लोग तो लगातार कभी ऐसा जब भी रेट्स बढ़ते हैं मैं तो खुद as PCC President, हम पेट्रोल पंप पर हम लोग 10 लाख सिग्नेचर करवाते थे। अभी भी, कभी भी हम लोग, इस तरह से जब रेट्स बढ़ते हैं, हमारे देश के अंदर अलग-अलग यूनिट्स सड़क पर उतर कर उसका प्रदर्शन करते हैं। इसी तरह से हम लोग मीडिया से भी अनुरोध करते हैं कि ये बहुत महत्वपूर्ण विषय है, लोगों की जेब पर डाका डाला जा रहा है औऱ लोगों की जेब पर डाका डालकर वो पैसा कहाँ जा रहा है, इस चीज का किसी को मालूम ही नहीं है, तो इस चीज को भी मीडिया को बताना चाहिए, उसी तरीके से बताइए। आप ज्यादा मत दिखाइए, उतना ही दिखा दीजिए जितना हमारे समय पर दिखाते थे, तो लोग अपने आप चेत जाएंगे।

किसान आंदोलन से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि देखिए, अगर किसान आंदोलन नहीं है, तो जो ट्रैक्टर भर-भरकर पूरे देश भर से किसान निकल कर दिल्ली में आ रहे हैं तो क्या वो ट्रैक्टर्स कहीं और से, बाहर से आ रहे हैं? किसानों के ही ट्रैक्टर हैं। ऐसा नहीं है कि जो किसान नहीं हैं, वो भी घर में अपने ट्रैक्टर रख रहे हैं। तो ट्रैक्टर भर-भरकर किसान खुद अपने आप आ रहे हैं, और ये किसानों का मूवमेंट है, पॉलिटिकल मूवमेंट नहीं है, किसानों का मूवमेंट है। कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ में खड़ी है। कांग्रेस पार्टी किसानों के हितों के लिए लड़ रही है औऱ कोई आज से नहीं, चाहे भट्टा पारसौल के जमाने से किसानों के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले से। राहुल गांधी जी, चाहे दिसम्बर, 2014 के अंदर जो तीन अध्यादेश लेकर आए थे, उसके खिलाफ सड़क और पार्लियामेंट में उतरे लड़ने के लिए, जब से लेकर अब तक चाहे ट्रैक्टर के ऊपर चलकर, पंजाब में, हरियाणा में सब जगह के ऊपर लड़ाई सड़क के ऊपर लड़ने में कांग्रेस पार्टी सबसे अग्रणी रही है। कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों के साथ खड़ी है। न केवल जमीन पर ही हम लड़े हैं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के शासन काल के दौरान इतिहास गवाह है कि किसानों को हमेशा न्याय मिला है, किसानों को हमेशा ऐसे कानून मिले हैं, जिनसे किसानों को मदद हो, और छोटे किसानों की मदद हो। तो कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से प्रतिबद्ध है किसानों की रक्षा के लिए, किसानों के सम्मान के लिए और किसानों को कानूनी हक दिलाने के लिए और ये पूर्णतः किसानों का आंदोलन है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि जय श्री राम के नारे के ऊपर मुझे नहीं लगता कि ममता जी को या किसी और को उस पर कोई आपत्ति होगी, लेकिन जिस तरीके से ममता जी के साथ में, बोलने के वक्त, कुछ लोगों ने, एक सेक्शन ने जिस तरीके से हूटिंग करने की कोशिश की, हो हल्ला करने की कोशिश की, मैं समझता हूँ कि प्रधानमंत्री जी को हस्तक्षेप करके, इसके अंदर उनको रोकना चाहिए था। जय श्री राम के नारे के ऊपर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती। जय श्री राम का नारा तो सभी का नारा है। लेकिन अगर मान लीजिए, एक संवैधानिक संस्था मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के सामने उस संवैधानिक संस्था को उन्हीं के राज्य के अंदर नीचा दिखाने की कोशिश की।

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