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आंध्र प्रदेश: वो माँ-बाप जिन्होंने अपनी बेटियों को त्रिशूल से मार डाला
27-Jan-2021 7:32 PM
आंध्र प्रदेश: वो माँ-बाप जिन्होंने अपनी बेटियों को त्रिशूल से मार डाला

BBC TELUGU

आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में शिक्षक पुरुषोत्तम नायक और उनकी पत्नी ने कथित रूप से अंधविश्वास का शिकार होकर अपनी दो युवा बेटियों की हत्या कर दी. चित्तूर ज़िले की मदनपल्ली पुलिस ने अभियोगी माँ-बाप को हिरासत में लेकर मामले की जाँच शुरू कर दी है.

इस मामले में मृत लड़की साईं दिव्या की सोशल मीडिया पोस्ट्स को अहम सबूत के रूप में देखा जा रहा है.

साईं दिव्या ने अपनी मौत से तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर लिखा- "शिव आ गये हैं, काम पूरा हुआ."

इस पोस्ट ने पुलिसवालों के कान खड़े कर दिए हैं. शुरुआती जाँच में पता चला है कि पिछले एक हफ़्ते से पहले साईं दिव्या का व्यवहार काफ़ी अजीब था.

इसके साथ ही पुलिस को जानकारी मिली है कि हाल ही में कुछ बाहरी लोग इनके घर पर आए थे. इस मामले में सीसीटीवी फ़ुटेज हासिल की गई है और फ़ुटेज में नज़र आए सभी लोगों से पूछताछ करने की कोशिश की जा रही है.

आख़िर क्या है मामला?
चित्तूर ज़िले के ग्रामीण इलाक़े मदनपल्ली में रहने वाले पुरुषोत्तम नायडु पेशे से सरकारी महिला डिग्री कॉलेज में उप-प्रधानाचार्य हैं.

वहीं, उनकी पत्नी पद्मजा भी प्रिंसिपल के रूप में काम करती हैं और एक निजी शिक्षण संस्थान की संवाददाता हैं.

इनकी 27 और 22 साल की दो बेटियां थीं जिनके नाम अलेख्या और साईं दिव्या थे.

बड़ी बेटी अलेख्या ने भोपाल स्थित इंडियन मैनेजमेंट ऑफ़ इंडियन फ़ॉरेस्ट सर्विस से परास्नातक की पढ़ाई की थी.

छोटी बेटी ने बीबीए की पढ़ाई की थी और एआर रहमान संगीत अकादमी में संगीत की पढ़ाई कर रही थी.

ये परिवार बीते साल अगस्त महीने में ही अपने नए घर में शिफ़्ट हुआ था. स्थानीय लोगों की मानें तो पुरुषोत्तम और पद्मजा का परिवार कई तरह के अनुष्ठान किया करता था.

इस मामले में दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक़, परिवार ने रविवार रात को भी कुछ अनुष्ठान किए थे जिसके बाद अपनी छोटी बेटी साईं दिव्या को एक नुकीले त्रिशूल और बड़ी बेटी को एक डंबल से मौत के घाट उतार दिया.

यह जानकारी पिता ने स्वयं अपने साथ काम करने वाले लोगों और पुलिस को दी.

जानकारी मिलने के बाद जब तक पुलिस घटनास्थल पर पहुँची, तब तक दोनों बेटियाँ मर चुकी थीं.

इनमें से छोटी बेटी की लाश पूजाघर में और बड़ी बेटी की लाश पहली मंज़िल पर पाई गई.

पुलिस ने माँ-बाप दोनों को हिरासत में लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत मुक़दमा दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है.

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घर पर रखकर पूछताछ

पुलिस ने शुरुआती जाँच के लिए इस जोड़े को घर पर रखा हुआ है.

पुलिस का कहना है कि इनका मानसिक व्यवहार काफ़ी अजीब और अलग है. इन्होंने पुलिस को चेतावनी दी है कि उनपर दबाव ना बनाया जाये.

ऐसे में पुलिस काफ़ी सावधानी-पूर्वक जाँच करते हुए मनोवैज्ञानिकों की मदद लेने की योजना बना रही है.

पुलिस ने जाँच के दौरान सिर्फ़ क़रीबी रिश्तेदारों को ही घर में आने की इजाज़त दी है, ताकि संदिग्धों को शांत रखा जा सके.

पुलिस का कहना है कि इस जोड़े के घर में कई अजीबो ग़रीब तस्वीरें थीं, जिनमें से कुछ भगवान की तस्वीरें थीं.

दोनों लड़कियों का पोस्टमार्टम हो चुका है और जाँच टीम को अब तक इस मामले से जुड़े कई सुराग़ मिले हैं.

मेडिकल जाँच ज़रूरी
इस मामले में पुलिस ने अभियोगियों की मेडिकल जाँच कराने की योजना बनाई है.

मदनपल्ली के डीएसपी रवि मनोहर ने कहा है कि "इस परिवार ने अपने आपको एक गहरी दुनिया में उतार लिया है जो आध्यात्म और धार्मिक आस्था से कहीं आगे हैं. इन्हें लगता है कि आध्यात्म के आगे भी कुछ है. वे अब तक कह रहे हैं कि 'हमें एक दिन का समय दिया जाये. हमारे बच्चे ज़िंदा हो जाएंगे. उन्हें यहीं रखा जाए."

मनोहर ने बताया, "ये काफ़ी पढ़े-लिखे हैं. शुरुआती जाँच में पता चला है कि इन बच्चियों को डम्बल से मारा गया है. माँ-बाप में से एक मास्टर माइंड स्कूल में प्रधानाध्यापक है. वे पिछले कुछ दिनों से अपने घर में किसी को आने की इजाज़त नहीं दे रहे थे. इन्होंने कोविड लॉकडाउन के बाद से अपने नौकरों को भी घर नहीं आने दिया और जब ये हत्याएं हुईं तो सिर्फ़ घरवाले मौजूद थे."

मनोहर बताते हैं कि इस तरह के सबूत मिल रहे हैं कि इन्होंने किसी तरह का अनुष्ठान किया था, लेकिन पूरी बात पता चलने में समय लगेगा क्योंकि इस तरह के मामले की जाँच में समय लगता है. इनके सदमे से बाहर आते ही हम जाँच शुरू करेंगे.

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साईं बाबा को मानता था परिवार
स्थानीय लोगों की मानें तो ये परिवार मानसिक रूप से काफ़ी संतुलित लगता था.

परिवार के एक क़रीबी सदस्य ने बीबीसी तेलुगु से बात करते हुए कहा कि परिवार शिरडी वाले साईं बाबा को मानता था.

उन्होंने कहा, "ये काफ़ी चौंकाने वाला है. वे इस समय रो रहे हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं."

सरकारी डिग्री कॉलेज में ड्राइवर सुरेंद्र ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि "मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि पुरुषोत्तम नायडु ऐसा कर सकते हैं. मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. वे काफ़ी अनुशासन का पालन करते थे. उनका किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं था. मुझे लगता है कि इस मामले में किसी रिश्तेदार का हाथ है, ताकि वह इनकी संपत्ति हथिया सके. किसी ने उन्हें वशीभूत करके ये हिंसक काम करवाया है. नहीं तो ऐसा नहीं होता."

पुरुषोत्तम के पड़ोसियों की भी यही राय है. एक शख़्स ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर कहा, "किसी ने इन्हें ट्रांस स्टेट में पहुँचाया है. मुझे लगता है कि ये काफ़ी सोच समझकर किया गया है. इनका व्यवहार काफ़ी अच्छा था और ये लोगों की मदद किया करते थे. हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इन्होंने अपनी बेटियों को मार दिया है. हमें उनकी पहचान करनी चाहिए जिन्होंने इन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया. हमें ये जानने की ज़रूरत है कि इन्हें ऐसा करने के लिए किसने प्रेरित किया."

स्थानीय लोगों का मानना है कि पद्मजा के पास पाँच करोड़ रुपये की संपत्ति है, इसलिए शायद सगे-संबंधियों ने ये योजना बनाई हो.

पुलिस ने बताया है कि चूंकि साईं दिव्या पिछले कुछ दिनों से अजीब व्यवहार कर रही थी और धमकी दिया करती थी कि वे छत से कूद जायेंगी, इस वजह से उसके घरवालों ने कोई ख़ास अनुष्ठान करके उसका व्यवहार ठीक करने की कोशिश की. (bbc.com)
 

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