सामान्य ज्ञान

कोलकाता टकसाल
28-Jan-2021 12:11 PM
कोलकाता टकसाल

भारत सरकार की कोलकाता स्थित टकसाल 1757 में पुराने किले के एक भवन में स्थापित की गई थी जहां आजकल डाक घर (जीपीओ) है। इसे कलकत्ता टकसाल कहा जाता था जिसमें मुर्शीदाबाद नाम से सिक्के ढाले जाते थे। दूसरी कलकत्ता टकसाल गिलेट जहाज भवन संस्थान में स्थापित की गई और इस टकसाल में भी मुर्शीदाबाद के नाम से सिक्कों का उत्पादन जारी रहा। तीसरी कलकत्ता टकसाल स्ट्रेंड रोड पर 1 अगस्त, 1829 (चांदी टकसाल) से शुरू की गई।

वर्ष 1835 तक इस टकसाल से निकलने वाले सिक्कों पर मुर्शीदाबाद टकसाल का नाम ढाला जाता रहा। 1860 में चांदी टकसाल के उत्तर में केवल तांबे के सिक्के ढालने के लिए एक तांबा टकसाल का निर्माण किया गया। चांदी और तांबा टकसालों में तांबे, चांदी और सोने के सिक्कों का उत्पादन किया जाता था। ब्रिटिश राज के दौरान सिक्के ढालने के अलावा कोलकाता टकसाल में पदकों एवं अलंकरणों का निर्माण भी किया जाता था। आज भी यहां पदकों का निर्माण किया जाता है।

वर्ष 1952 में इस टकसाल के बंद होने पर 19 मार्च, 1952 को तत्कालीन वित्त मंत्री सी.डी. देशमुख द्वारा वर्तमान अलीपुर टकसाल की शुरूआत की गई। तब से अलीपुर टकसाल में ढलाई और पदकों, अलंकरणों एवं बिल्ले तैयार किये जाते हैं। आज की तारीख में इस टकसाल से नागरिक, सैन्य, खेलकूद, पुलिस आदि कई पदकों के निर्माण के साथ-साथ 1,2,5,10 रूपये के सिक्कों का उत्पादन भी किया जाता है। इन पदकों में प्रमुख हैं- भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण, पद्मश्री जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान एवं परमवीर चक्र आदि जैसे सैन्य सम्मान। 

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