अंतरराष्ट्रीय
नेपीती. म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां के सैन्य प्रशासन ने देश में सभी यात्री उड़ानें रोक दी है. इस बीच, म्यांमार के ताजा घटनाक्रम से चीन की टेंशन बढ़ गई है. चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने यहां खनन, आधारभूत संरचना और गैस पाइपलाइन परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘म्यांमार में जो कुछ हुआ है, हमने उसका संज्ञान लिया है और हम हालात के बारे में सूचना जुटा रहे हैं.’
चीन-म्यांमार के रिश्तों में दूरियां भी आई हैं
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अधिनायकवादी शासकों का समर्थन करती रही है. हालांकि, म्यांमार में चीनी मूल के अल्पसंख्यक समूहों और पहाड़ी सीमाओं के जरिए मादक पदार्थ के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण कई बार रिश्तों में दूरियां भी आई हैं.
म्यांमार में हवाई अड्डे बंद
उधर, म्यांमार में अमेरिकी दूतावास ने अपने फेसबुक पेज पर कहा कि यांगून के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को जाने वाली सड़क सोमवार को बंद कर दी गई हैं. यह देश का सबसे बड़ा शहर है. उसने ट्विटर पर लिखा कि ‘खबरों से संकेत मिलता है कि म्यामां में सारे हवाई अड्डे बंद दिये गये हैं.
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट, एक साल के लिए सेना के कब्जे में देश
अमेरिका की घटना पर पूरी नजर
अमेरिकी दूतावास ने यह कहते हुए ‘सुरक्षा अलर्ट’ भी जारी किया कि उसे म्यांमार की नेता आंग सान सू की को हिरासत में लेने और यांगून समेत कुछ स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर देने की जानकारी मिली है. उसने कहा, ‘बर्मा (म्यांमार) में नागरिक और राजनीतिक अशांति की संभावना है और हम स्थिति पर नजर रखेंगे.’ बता दें कि अमेरिका म्यांमार के पुराने नाम बर्मा का उपयोग करता है.
इस याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि देश ने अतीत में बहुत सारी सांप्रदायिक हिंसा देखी भी है, लेकिन आज सोशल मीडिया के दौर में यह आक्रामकता केवल क्षेत्रीय या स्थानीय आबादी तक ही सीमित नहीं है. बल्कि ये पूरे देश को अपने साथ ले लेती हैं. अफवाहें, व्यंग्य और घृणा एक स्थानीय सांप्रदायिक झड़प में आग लगाने का काम करती है परंतु यही आग सोशल मीडिया के जरिए तुरंत पूरे देश में फैल जाती है. इसने स्थानीय सांप्रदायिक संघर्ष और राष्ट्रीय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बीच सामाजिक दूरी को कम कर दिया है.आज एक स्थानीय सांप्रदायिक संघर्ष को कुछ ही सेकंड्स में राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा सकता है.
सोशल मीडिया हानिकारक भूमिका
दलील में कहा गया है कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए सोशल मीडिया एक हानिकारक भूमिका निभा रहा है और इस दुरुपयोग को रोकने का समय आ गया है. याचिका में यह तर्क दिया गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइटें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं. क्योंकि इनका उपयोग मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और मैच फिक्सिंग, आतंकवाद, हिंसा भड़काने और अफवाह फैलाने वाले उपकरण के रूप में किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि सोशल मीडिया इंस्ट्रूमेंट्स जैसे ब्लॉग्स, माइक्रोब्लॉग्स, डायलॉग बोड्र्स, एसएमएस और शायद सबसे ज्वलंत समस्या यानी सोशल नेटवर्किंग वेब साइट्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप इत्यादि हैं.