विचार / लेख
-गिरीश मालवीय
किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए फंड जुटाने के लिए एक आदर्श तरीका क्या होता है ?
पूरी दुनिया में माने जाने वाला और अमल में लाए जाने वाला तरीका यह है कि पहले उस कार्य की एक अनुमानित लागत निकाल ली जाए और पब्लिक से उतने पैसे के दान की अपील की जाए और जैसे ही अनुमानित लागत जितनी रकम इकठ्ठी हो जाए दान देने की अपील तुरन्त वापस ले ली जाए।
यही एक आदर्श तरीका है भी और यही तरीका अपनाया भी जाता है ! लेकिन राम मंदिर के निर्माण के लिए जब चन्दा मांगा जा रहा है वहाँ सब उल्टा-पुल्टा है।
हम सभी जानते हैं कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण देश की बड़ी निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो कर रही है। इतनी बड़ी कंपनी है! कम्पनी हर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत निकालती है। यहाँ भी पूरा नक्शा है, ‘ट्रस्ट के पास मंदिर का मॉडल है’ मंदिर निर्माण में कहां किस चीज का इस्तेमाल होना है पूरी डिटेल है।
मंदिर के पत्थरों पर सालों पहले से ही खुदाई चल रही हैं वे भी यहाँ लगने को तैयार है, मंदिर बनाने के लिए पत्थरों को तराशने का काम 50 फीसदी पूरा भी हो चुका है। ज्भूमि विवाद पर फैसला हो ही गया है, उत्तरप्रदेश सरकार पूरी अयोध्या में मंदिर प्रांगण के आसपास के क्षेत्रों में निर्माण कार्य करवा रही है।
अब सिर्फ मंदिर निर्माण में ही जो पैसा लगना है वो लगना है।
तो आखिर यह रकम कितनी होनी चाहिए इसका पूर्व अनुमान तो आसानी से लग जाना चाहिए!
हम खुद भी अगर अपने रहने के लिए घर बनवाते हंै तो रोड़ी गिट्टी, सरिया, सीमेंट, रेती आदि कितनी लगेगी? इसका इंजीनियर से अनुमान लगवाते हैं कि नहीं? और उस आधार पर एक अनुमानित लागत हमारे सामने आ जाती हैं।
तो मंदिर निर्माण की अनुमानित कीमत बताइये और उस रकम से 50 या 100 करोड़ ऊपर रक़म इक_ी हो जाए तो तुरंत देश भर में चन्दा इक_ा करने की प्रक्रिया रोक दी जाए ! लेकिन ऐसा होगा नहीं!
क्यो ंनहीं होगा ! यह पूछने में आपके धर्म द्रोही और गद्दार कहे जाने का खतरा है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 1989 में मंदिर का जो मॉडल बनाया गया था, जिस मॉडल की तस्वीरें अब तक दिखा-दिखा कर पब्लिक से पैसा इक_ा किया जा रहा था वह मॉडल विश्व हिंदू परिषद ने 30 साल पहले, गुजरात के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा से बनवाया था, जब पिछले साल राम मंदिर बनने की संभावना बनती देख आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा से इस मंदिर की अनुमानित लागत पूछी गई तो उनका कहना था कि इस मंदिर के निर्माण पर 40 से 50 करोड़ का खर्च आएगा। सरयू नदी के समीप बनने वाले इस मंदिर की बुनियाद तैयार करने में करीब 8 माह लगेंगे। इसके बाद पत्थरों को लगाने का काम शुरू किया जाएगा।,
अगस्त में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया ही था तब ट्रस्ट सूत्रों के अनुसार राम मंदिर निर्माण पर करीब 300 करोड़ रुपये के खर्च आने की संभावना बताई गई थी, कुछ समय पहले राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने कहा था कि इसकी लागत ‘कई सौ करोड़ रुपये’ होगी।
जब अनुमानित लागत आपके पास आ ही गई है तो जैसे ही एकाउंट में उतनी रकम इक_ा हो जाए तुरन्त चन्दा लेने पर रोक लगा दी जाए, लेकिन नहीं आपको तो कोरोना काल में वैसे ही बुरी तरह से आर्थिक परेशानियों में घिरे 10 करोड़ परिवारों पर दबाव बनाना है, उन्हें परेशान करना है। वैसे भी कई सौ करोड़ रुपये तो अब तक आसानी से इकठ्ठे हो गए हैं। यानी आपको जितनी रकम मंदिर निर्माण के लिए चाहिए वह तो जमा हो ही गई है तो तुरंत प्रभाव से यह चन्दा वसूली अभियान आप रोक क्यों नहीं देते ?
क्या मैं गलत कह रहा हूँ ?.