सामान्य ज्ञान
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले के एक जनजातीय ब्लाक पालघर में स्वास्थ्य पहल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का शुभारंभ 6 फरवरी 2013 को किया। यह योजना केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा है।
इस स्वास्थ्य पहल के माध्यम से बच्चों के जन्म से जुड़ी समस्याओं, रोगों, उनके विकास में देरी के अलावा विकलांगता जैसी शारीरिक समस्याओं का शीघ्र पता लगाकर बच्चों के जीवन स्तर में सुधार और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की जानी है।
इस कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में शीघ्र देखभाल केन्द्र खोले जाने हैं, जिनमें खण्ड स्तर पर वहां भेजे गए मरीजों का इलाज किया जाएगा। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ इसे आंगनबाड़ी और सरकार एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में लागू किया जाना है।
इस कायक्रम के तहत देशभर में एक चरणबद्ध तरीके से चलाए गए अभियान में 25 करोड़ बच्चों को शामिल किया जाना है और उन्हें जिला अस्पतालों और क्षेत्रीय स्तरों पर नि:शुल्क प्रबंधन और उपचार सुविधाएं प्रदान की जाएगी। चलते-फिरते चिकित्सा दलों द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत 6 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जानी है। सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों के स्वास्थ्य की भी ऐसी ही जांच की जाएगी। नवजात शिशुओं में जन्म से ही विकृतियों का पता लगाने के लिए उनकी उन्हीं स्वास्थ्य केन्द्रों में जांच की जाएगी, जहां उनका जन्म हुआ है। इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी घर-घर जाकर जांच की जाएगी।
इसके अंतर्गत 18 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों और किशोरों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जानी है।
वाद्य यंत्र
संगीत में गायन तथा नृत्य के साथ-साथ वादन का भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों का विकास हुआ है जिनको मुख्य रूप से चार वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. घन-वाद्य-जिसमें डंडे, घंटियों, मंजीरे आदि शामिल किये जाते हैं जिनको आपस में ठोककर मधुर ध्वनि निकाली जाती है।
2. अवनद्ध-वाद्य या ढोल- जिसमें वे वाद्य आते हैं, जिनमें किसी पात्र या ढांचे पर चमड़ा मढ़ा होता है जैसे- ढोलक।
3. सुषिर-वाद्य-जो किसी पतली नलिका में फूंक मारकर संगीतमय ध्वनि उत्पन्न करने वाले यंत्र होते हैं, जैसे- बांसुरी।
4.तत-वाद्य- जिसमें वे यंत्र शामिल होते हैं, जिनसे तारों में कम्पन्न उत्पन्न करके संगीतमय ध्वनि निकाली जाती है, जैसे- सितार।
घन वाद्यों में शामिल हैं- गुजरात का कोलु या डांडिया, केरल का विल्लु कोट्टु या ओण विल्लु, कश्मीर घाटी का डहारा या लड्ढीशाह, असम का नागा आदिवासियों का सोंगकोंग और टक्का, मुख चंग, थाली, जागंटे या सीमू, चिमटा, मंझीरा, आंध्र प्रदेश की चेंचु जनजाति गिलबड़ा।