सामान्य ज्ञान
कम्युनिस्ट क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो ने 16 फरवरी, 1959 को क्यूबा के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 1959 की क्यूबा क्रांति के बाद उन्होंने देश की बागडोर 2008 तक संभाली। 1976 में वे क्यूबा के राष्ट्रपति भी बने।
दक्षिणपंथी तानाशाह फुल्गेन्सियो बातिस्ता के खिलाफ छापामार अभियान चला कर और उन्हें सत्ता से बेदखल करने के बाद 16 फरवरी 1959 को कास्त्रो प्रधानमंत्री बने। क्यूबा की क्रांति अधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1953 को शुरू हुई। अमेरिकी समर्थन वाले तानाशाह बातिस्ता तख्ता पलट के बाद सत्तासीन हुए थे। उस समय फिदेल कास्त्रो को बहुत कम लोग जानते थे। युवा वकील कास्त्रो तानाशाह के खिलाफ 1952 के चुनाव में खड़े तो हुए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। क्यूबा के लोग वोट कर पाते इससे पहले ही वोटिंग खत्म कर दी गई।
फिदेल कास्त्रो ने करीब 130 लोगों का साथ जुटाया और सैन डियागो डे क्यूबा में मोनकाडा सैनिक छावनियों को अपने हाथों में लेने की कोशिश की और वहां रखे हथियारों को हथियाने की भी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बैरक के 400 सैनिक एक दिन पहले के सेंट जेम्स उत्सव के बाद थके हुए होंगे या फिर वहां नहीं होंगे, लेकिन यह योजना विफल हो गई और कई क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई जबकि बाकी पर मुकदमा चला। कास्त्रो को भी गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। कास्त्रो पर सरकार को उखाड़ फेंकने का आरोप लगा।
कास्त्रो को 15 साल की सजा हुई। दो साल बाद बातिस्ता अपनी ताकत को लेकर इतना आश्वस्त हुए कि उन्होंने सभी नेताओं को माफी दे दी। इसके बाद कास्त्रो अपने भाई राउल कास्त्रो के साथ मेक्सिको चले गए और वहां चे ग्वेरा के साथ मिलकर 26 जुलाई की क्रांति की शुरुआत की। बातिस्ता के खिलाफ क्यूबा में अंसतोष बढ़ता चला गया। 2 दिसंबर 1956 को कास्त्रो क्यूबा के तट पर हथियार से लैस 81 लोगों के साथ पहुंचे। गुरिल्ला लड़ाई में बातिस्ता की सेना कमजोर होती गई। 1958 के मध्य तक कास्त्रो के लिए क्यूबा में समर्थन बढ़ता गया।
अमेरिका ने भी बातिस्ता को सैन्य मदद रोक दी। इसके बाद कास्त्रो के सहयोगी चे ग्वेरा ने दिसंबर 1958 में सांता क्लारा पर हमला कर दिया। एक जनवरी 1959 को बातिस्ता अपनी कमजोर होती सेना को देख डॉमिनिक गणराज्य भाग गए। उस वक्त कास्त्रो के पास एक हजार से भी कम जवान थे। इसके बावजूद इसके कास्त्रो ने क्यूबा सरकार के 30 हजार सैनिकों की कमान संभाल ली। अन्य विरोधी नेताओं के पास लोकप्रियता और समर्थन की कमी होने का लाभ कास्त्रो को मिला। 16 फरवरी 1959 को फिडेल कास्त्रो ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद लगभग आधी सदी तक वह क्यूबा के प्रमुख बने रहे।