विचार / लेख

मनमोहन बनाम मोदी : पेट्रोल-डीजल की कीमत
16-Feb-2021 5:49 PM
मनमोहन बनाम मोदी : पेट्रोल-डीजल की कीमत

-गिरीश मालवीय

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कल राज्यसभा में साफ शब्दों में कहा है कि सरकार कीमत पर काबू करने के लिए कुछ नहीं कर सकती है, अब एक बार आप पिछली यूपीए सरकार के समय में कच्चे तेल के दामों से आज के दामों की तुलना कीजिए।

आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड  63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और दिल्ली में पेट्रोल के रेट 89 रुपये प्रति लीटर है। अब जरा यूपीए के दौर पर नजर डालिए, यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी। जबकि इस बीच पेट्रोल की कीमत 55 से 80 रुपये के बीच झूलती रही।

साल 2014 की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी तब पेट्रोल की कीमत 82 रु. प्रति लीटर थी और देश में हाहाकार मच गया था।

यानी कच्चे तेल की कीमत तब भी आज से लगभग दुगुनी थी लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत 82 रु लीटर थी लेकिन जब आज 2014 की तुलना में कच्चे तेल की कीमत लगभग आधी है तो पेट्रोल की कीमत 89 रु लीटर है।

मई 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुपात में तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी को लेकर यूपीए सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए थी, मोदी जी लगातार अपनी चुनावी रैली में ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर यूपीए की कड़ी आलोचना कर रहे थे, बीजेपी के बड़े-बड़े नेता संसद के सामने पेट्रोल-डीजल ओर गैस सिलेंडर की महंगी कीमतों के खिलाफ नाच नाचकर प्रदर्शन करते थे।

मई 2014 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई कुछ दिनों में फिर कच्चे तेल का बाज़ार पलटने लगा। जनवरी 2016 तक कच्चे तेल के दाम 34 डॉलर प्रति बैरल तक लुढक़ गए। मोदी सरकार ने कच्चे तेल की गिरावट की रैली का खूब फायदा उठाया। इस दौरान, पेट्रोल-डीजल पर 9 बार उत्पाद कर (एक्साईज ड्यूटी) बढ़ाया गया। नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल पर ये बढ़ोत्तरी 11 रुपये 77 पैसे और डीजल पर 13 रुपये 47 पैसे थे पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री की केंद्र सरकार को मिलने वाला राजस्व लगभग तीन गुना हो गया

जून 2017 में मोदी सरकार ने एक नया फार्मूला लागू किया अब कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में रोज बदलाव के तर्क के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम बदले जाएंगे।...इससे पहले कच्चे तेल के 15 दिनों के औसत मूल्यों के आधार पर पेट्रोल डीजल के दाम तय किये जाते थे लेकिन इस निर्णय के बाद से यह कहा कि यदि क्रूड गिरेगा तो कीमत घटेगी और बढ़ेगा तो बढ़ेगी!..

लेकिन पिछले 4 सालों का इतिहास गवाह हैं कि देश की जनता को एक बार भी कच्चे तेल की गिरी हुई कीमत से उपलब्ध लाभ लेने नही दिया गया बल्कि हर बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर खजाना भरा गया, कोरोना काल की शुरुआत में तो अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल यानी ब्रेंट क्रूड की कीमत 14।25 डॉलर प्रति बैरल गिर गयी तब भी किसी तरह का लाभ भारत की जनता को नहीं दिया गया। आज भी यदि मोदी जी चाहे तो एक झटके में पेट्रोल डीजल के दाम आधे से भी कम कर सकते है, क्योंकि उन्होंने 2015 से कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से खूब फायदा उठाया है और सरकारी खजाना एक्साइज ड्यूटी बढ़ा बढ़ा कर भरा है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news