सामान्य ज्ञान

डिसैलिनेशन क्या है
17-Feb-2021 12:22 PM
डिसैलिनेशन क्या है

समुद्री पानी का खारापन दूर करने की इस प्रक्रिया को डिसैलिनेशन अथवा विलवणीकरण कहा जाता है। लवणविहीन यह पानी मीठा पानी कहलाता है जो मानव-उपयोग के और सिंचाई के काम आता है। सागर में उतरने वाले अनेक जहाजों और पनडुब्बियों में मुख्यत: यही पानी इस्तेमाल होता है। 
धरती विज्ञान मंत्रालय ने अपने राष्ट्रीय सागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के माध्यम से विलवणीकरण (खारापन दूर करना) का तकनीकी और आर्थिक रूप से व्यावहारिक समाधान खोजने का काफी प्रयास किया है।  निम्न तापमान तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो जलीय निकायों के बीच तापमान के उतार-चढाव से पहले गर्म पानी को कम दाब पर वाष्पीकृत और फिर निकली भाप को ठंडे पानी से द्रवीकृत किया जाता है ताकि मीठा पानी प्राप्त किया जा सके। गहरे सागर में अलग-अलग स्तर पर (गहराई) में अलग-अलग तापमान होता है, इसलिए  दो अलग-अलग तापमान वाले जलीय निकायों की स्थिति वहां सहज रूप से विद्यमान रहती है। तट पर स्थित ताप विद्युत संयंत्र से द्रवीकरण के फलस्वरूप भारी मात्रा में निकलने वाला पानी पास के सागर में समाकर एक वैकल्पिक परिदृश्य उपस्थित करता है। एलटीटीडी प्रक्रिया की सरलता के कारण उत्पादित जल की गुणवत्ता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे या तो अच्छी गुणवत्ता वाला पेयजल अथवा स्थित की मांग के अनुसार वाष्पित (बॉयलर) के लायक पानी प्राप्त हो सकता है। 
निम्न तापमान तापीय विलवणीकरण यानी एलटीटीडी संयंत्र के लिए जो प्रमुख घटक चाहिए होते हैं, वे हैं- वाष्पीकरण चैम्बर, द्रवीकारक, गर्म और ठंडा पानी निकालने के लिए पंप और पाइपलाइन तथा संयंत्र को निम्न वातावरण दबाव पर बनाए रखने के लिए वैक्यूम पंप। इस प्रक्रिया का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे दो जलीय निकायों के बीच 8-10 डिग्री सैलसियस के तापमान के उतार-चढाव की दर (ग्रेडियन्ट) पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। विश्व के अनेक स्थानों, विशेषकर पश्चिम एशिया में बहुत तेजी से प्रवाहित पानी से आसवन वाली प्रणाली का उपयोग होता है, परन्तु कोई भी स्थापित संयंत्र 8 डिग्री सेलसियस जैसे कम तापमान पर काम नहीं करता। भारत में तमिलनाडु के उत्तरी चेन्नई ताप विद्युत संयंत्र में यही प्रणाली अपनाई गई है।
वहीं निम्नतापमान तापीय विलवणीकरण-  राष्ट्रीय सागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी-नियोटे) ने 2004 में एलटीटीडी अनुप्रयोगों के साथ काम करना शुरू किया और अनेक प्रकार के संयंत्रों की स्थापना की। ये हैं-- प्रयोगशाला स्तर का 5 एम3 दिन क्षमता का मॉडल (2004), लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप पर भूमि स्थित 100 एम-3 दिन का मॉडल (2005) और चेन्नई समुद्र तट से परे बजरे (नौका) पर निर्मित 1000 एम 3 दिन क्षमता (2007) वाले मार्गदर्शी प्रायोगिग संयंत्र।

व्यापारिक कटौती अथवा बट्टा

विक्रेता अपनी मूल्य सूची में दिए हुए मूल्य से कुछ कम मूल्य पर माल ग्राहक को बेचता है, तो इस प्रकार जितना कम मूल्य होता है, उसे व्यापारिक कटौती कहते हैं। इसका उद्देश्य विक्रय वृद्घि करना होता है। इस राशि का लेखांकन नहीं किया जाता।
 

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