विचार / लेख

छत्तीसगढ़ में पक्षी विहार की संभावना, दिशा, और कार्य योजना
22-Feb-2021 12:31 PM
छत्तीसगढ़ में पक्षी विहार की संभावना, दिशा, और कार्य योजना

-प्राण चड्ढा
बेमेतरा के गिधवा डेम के बाद बिलासपुर जिले के कोपरा डेम के किनारे पक्षी उत्सव का आयोजन किया गया। 21 फरवरी को जब कोपरा पक्षी उत्सव का आयोजन किया गया। उसके पहले प्रवासी पक्षी रुखसत हो चुके थे। वैसे भी इस के आसपास जो कुछ पारिस्थतिकी से खिलवाड़ हो रहा है, उस सब वजह कोपरा जलाशय के बजाय प्रवासी पक्षियों ने कोपरा के बजाय वहां से कोई सात किमी दूर गांव सकर्रा के करीब ‘वेटलैंड’ में पड़ाव डाला जिसे कुछ पक्षी प्रेमी ही जानते थे।

वन विभाग का ‘पक्षी प्रेम’ अब तक ‘उत्सव’ तक सिमटा नजर आया है। पक्षी विहार की स्थापना छतीसगढ़ में राज्योदय के बाद वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मेंबर व देशबंधु रायपुर परिवार के प्रमुख ललित सुरजन ने की थी। पर कोई पक्षी विहार कैसे बनेगा या क्या जरूरी है। इसका ‘टूलकिट’ वन विभाग के कदाचित अब तक कोई ठोस काम नहीं किया, अगर किया होता तो ऐसे उत्सवों में धन का अपव्यय नहीं होता और कोई जमीनी काम दिखता।

पिछले कुछ साल के दौरान छत्तीसगढ़ के पक्षी प्रेमी फोटोग्राफरों ने प्रवासी परिन्दों के जो डॉक्यूमेंटेशन अपनी लगन वह मेहनत से किया उसके नतीजे से यह प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ राज्य से पक्षियों का लगाव है। मगर उनकी आवश्कताओं को समझकर तालमेल से कोई काम नहीं हो रहा इसलिए वो बिखरे और डिस्टर्ब चल रहे हैं। यदि उनकी आवास स्थली और आसपास, मानव की दखलंदाजी बंद कर दी जाए तो और पक्षी यहां खुद उडक़र आएं।

पक्षियों के लिए उत्सव की जरूरत से अधिक उनका संरक्षण और वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत पोचर्स को दंडित करना है। इसके लिए जशपुर से राजनादगांव और ‘कोरिया से बस्तर’ तक पक्षियों के ठिकाने और वेटलैंड में पिछले पांच से दस साल में हर बरस आने वाले देसी विदेशी पक्षियों की संख्या उनकी सुरक्षा बन्दोबस्त जैसे इंतजाम और प्रबंधन की योजना बनानी होगी।

जैसे कोपरा जलाशय में पक्षियों की सुरक्षा प्रबंधन का काम कानन पेंडारी बिलासपुर के स्टाफ का हो, चाहे डेम सिंचाई विभाग का हो। इसी तरह बिलासपुर के घोंघा जलाशय की सुरक्षा व्यवस्था अचानकमार्ग टाइगर रिजर्व के बफर जोन का स्टाफ देखे। पूरे प्रदेश में पक्षियों की सुरक्षा, रहवास और उनके लिए मौसमी चारा उपलब्ध हो इसके लिए संभावित स्थलों में उनकी दीगर आवश्यकता के अनुरूप काम करना होगा।

पक्षियों के काम जानकर और ईमानदार जुनूनी स्टाफ की जरूरत होगी, जो लगन और मेहनत से सौंपे गए काम को अंजाम तक पहुंचा सके। यह दफ्तर के ऐसी चेंबर में ड्यूटी देने वाले अफसर के बूते का नहीं। इसके लिए देश के कुछ प्रख्यात पक्षी विहार और नेशनल पार्क का अध्य्यन किये जानकर को विभाग पदस्थ करें न कि नए ठेकेदारों की जमात को काम सौप देवें अथवा भाड़े का सलाहकार रख लेवें। सदा ध्यान में रहे कि हर सरकारी योजनाओं में लगने वाला धन जनता के खून-पसीने की पैदावार है। इसकी बन्दरबांट या उत्सव में फिजूल खर्च नहीं हो।

 

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