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ई कॉमर्स और जीएसटी मुद्दों पर प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करें-कैट
22-Feb-2021 1:59 PM
ई कॉमर्स और जीएसटी मुद्दों पर प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करें-कैट

रायपुर, 22 फरवरी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे  ने बताया कि 26 फरवरी को जीएसटी के जटिल प्रावधानों और ई-कॉमर्स  कंपनियों की मनमानी के खिलाफ अपने भारत व्यापार बंद के आह्वान के बीच कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर जीएसटी कर प्रणाली को सरल बनाने और ई-कॉमर्स  व्यापार को बड़ी कंपनियों की कुटिल प्रथाओं के चंगुल से निकालने के मामले पर उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

 कैट ने प्रधानमंत्री से बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच अनैतिक सांठगांठ जिसके द्वारा बैंक इन कंपनियों द्वारा सरकार के नियम एवं कानून तथा नीतियों के उल्लंघन में भागीदार हैं, को तोडऩे की अपील की है। जीएसटी को लागू करने से पहले स्व. अरुण जेटली के साथ जीएसटी पर हुई चर्चा को याद करते हुए कहा की सही जेटली ने स्पष्ट कहा था कि जीएसटी एक बेहतर एवं अत्याधिक सरल कर प्राणली होगी जिसके तहत व्यापारियों को केवल एक बार जीएसटी पोर्टल पर अपनी बिक्री के विवरण अपलोड करना आवश्यक होगा जिसके बाद पोर्टल ही स्वचालित रूप से बाकी सब कार्यवाई करेगा और व्यापारियों को केवल कर जमा कराना एवं रिटर्न जमा करना होगा जिससे व्यापारी आसानी से कर पालना कर सकेंगे। 

श्री पारवानी ने बताया कि जीएसटी को सबसे जटिल कर प्रणाली बना दिया है जो सरकार के व्यापार करने में सुविधा वाली सोच के बिल्कुल विपरीत है। कैट ने आरोप लगाया है कि जीएसटी नियमों में संशोधन करते समय, न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन के पीएम मोदी के मिशन वक्तव्य  का उल्लंघन अधिकारियों को मनमाने ढंग से और अनफिल्टर्ड शक्तियाँ देकर इस हद तक किया गया है की बिना सुनवाई व्यापारियों को शो कॉज नोटिस जारी करने एवं उनपर करवाई करने का अधिकार दिया गया है। 

श्री पारवानी ने बताया कि वर्तमान जीएसटी में एक छोटी सी त्रुटि के लिए भी विभिन्न एवं भारी दंड तय कर देश में कर आतंकवाद पनपाया जा रहा है । भले ही जीएसटी कॉउन्सिल ने जीएसटी नियमों में कई सौ बार संशोधन  किया है, लेकिन जीएसटी रिटर्न को संशोधित करने के लिए एक भी अवसर व्यापारियों को नहीं दिया गया है । त्रुटि और चोरी के बीच अंतर को परिभाषित करना बेहद आवश्यक है।

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