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महिलाओं पर टिप्पणी के लिए जापान में ओलिंपिक कमेटी अध्यक्ष को देना पड़ा इस्तीफा, क्या भारत में कभी होगा ऐसा?
22-Feb-2021 7:00 PM
महिलाओं पर टिप्पणी के लिए जापान में ओलिंपिक कमेटी अध्यक्ष को देना पड़ा इस्तीफा, क्या भारत में कभी होगा ऐसा?

-महेन्द्र पांडे

यह खबर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे देश के नेता महिलाओं पर लगातार भद्दे, अश्लील और ओछे वक्तव्य देते रहते हैं, कई तो रेप की धमकी भी देते हैं, पर हमारा समाज किसी भी नेता से इस्तीफा नहीं मांगता और ना ही सरकार कोई कदम उठाती है।

जापान में आयोजित किये जाने वाले टोक्यो ओलंपिक्स को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। सबसे पहले इसे कोविड 19 के कारण एक वर्ष आगे बढ़ाना पड़ा और अभी भी यह पूरी तरीके से निश्चित नहीं है कि यह आयोजन इस वर्ष भी होगा या नहीं। लगभग 80 प्रतिशत जापानी नागरिक कोरोना महामारी के संदर्भ में इसे सुपर-स्प्रेडर इवेंट मानते हैं और इसके आयोजन के पक्ष में नहीं हैं। हाल में रायटर्स द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार जापान की लगभग दो-तिहाई कंपनियां इस वर्ष ओलंपिक खेलों के आयोजन के पक्ष में नहीं हैं और लगभग 88 प्रतिशत कंपनियां मानती हैं कि इन खेलों के आयोजन से जापान की अर्थव्यवस्था को कोई प्रभावी फायदा नहीं होगा।

टोक्यो ओलंपिक्स का आयोजन 2020 में किया जाना था, पर कोविड-19 के कारण यह आयोजन नहीं किया जा सका। ओलंपिक खेलों के 124 वर्षों के इतिहास में पहली बार ओलंपिक खेलों का आयोजन एक साल आगे बढ़ाना पड़ा और अब इस साल भी जापान के लोग इसका आयोजन नहीं कराना चाहते हैं।

पिछले सप्ताह के अंत मे इसकी आयोजन समिति के अध्यक्ष और जापान के भूतपूर्व राष्ट्रपति योशिरो मोरी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा है। मोरी ने कुछ दिनों पहले ही एक मीटिंग के दौरान वक्तव्य दिया था, ‘महिलायें वाचाल होती हैं और मीटिंग में एक दूसरे से प्रतिद्वंदिता करती हैं। मीटिंग में यदि एक महिला कुछ कहने के लिए खड़ी होती है, तो निश्चय ही सभी महिलाओं को कुछ ना कुछ कहना होता है, इससे मीटिंग का समय बर्बाद होता है।’

मोरी के इस वक्तव्य के बाद उनका चौतरफा विरोध किया जाने लगा था,जिसके चलते पहले तो उन्होंने माफी मांगी पर इस्तीफे की मांग को ठुकरा दिया। बाद में इन्टरनेशनल ओलंपिक कमिटी और जापान सरकार के दबाव के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। योशिरो के वक्तव्य के बाद से विरोध स्वरुप ओलंपिक खेलों के लिए पंजीकृत लगभग 500 वालंटियर्स ने भी अपने नाम वापस ले लिए हैं।

यह खबर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे देश के नेता महिलाओं पर लगातार भद्दे, अश्लील और ओछे वक्तव्य देते रहते हैं, कई तो रेप की धमकी भी देते हैं, पर हमारा समाज किसी भी नेता से इस्तीफा नहीं मांगता और ना ही सरकार कोई कदम उठाती है। इन भद्दी और हिंसक टिप्पणियों को समाज स्वीकार कर चुका है और महिलाएं अपनी नियति मान बैठी हैं। देश की वर्तमान सरकार के समर्थक तो महिलाओं पर हिंसा और रेप की बात राष्ट्रभाषा जैसा करने लगे हैं। पिछले वर्ष के जेंडर गैप इंडेक्स में कुल 153 देशों में भारत 112वें स्थान पर था। जापान इससे भी नीचे यानी 121वें स्थान पर है। इसके बाद भी जापान में एक अध्यक्ष को केवल इसलिए इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उसने महिलाओं पर कोई अश्लील टिप्पणी नहीं की थी, बल्कि वाचाल कह दिया था। क्या हमारे देश की जनता और सरकार महिलाओं की इतनी इज्जत कर पाएगी?

जापान में योशिरो मोरी, टोक्यो ओलंपिक के लिए स्थापित ओलंपिक आयोजन समिति के आरंभ से अब तक अध्यक्ष रह थे और अब तक यही माना जा रहा था कि यदि उन्होंने अपना पद छोड़ा तो नए अध्यक्ष के लिए यह आयोजन सुचारू तरीके से करना कठिन होगा, फिर भी उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। जापान सरकार मोरी के बयान के बाद वैश्विक स्तर पर लैंगिक समानता के क्षेत्र में बदनामी से बचने के लिए किसी महिला को अगला अध्यक्ष पद देना चाहती थी।

इसी कड़ी में जापान की ओलंपिक मंत्री और भूतपूर्व ओलंपियन सिको हाशिमोतो को टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। हाशिमोतो स्पीड स्केटर के तौर पर चार शीत ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं और एक कांस्य पदक भी जीता है। उन्होंने ट्रैक साइक्लिस्ट की हैसियत से तीन ग्रीष्म ओलंपिक में भी हिस्सा लिया है। वे प्रधानमंत्री योशिहिदा सुगा के मंत्रिमंडल की मात्र दो महिला मंत्रियों में से एक हैं।

टेनिस के ग्रैंड स्लैम, ऑस्ट्रेलियन ओपन में सेरेना विलियम्स को सेमीफाइनल में हराने के बाद जापानी टेनिस स्टार नाओमी ओसाका ने सिको हाशिमोतो को ओलंपिक कमेटी का अध्यक्ष बनाने पर कहा की यह सही में बहुत खुशी की बात है और लैंगिक समानता का उदाहरण भी। ओसाका ने आगे कहा की महिलाओं को लगभग हरेक क्षेत्र में बहुत युद्ध केवल मर्दों से बराबरी के लिए लडऩे पड़ते हैं, यह एक जीत है पर बहुत सारे क्षेत्रों में अभी भी समानता बहुत दूर है। सिको हाशिमोतो को अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद कमेटी ने कहा की उन्हें उम्मीद है की लैंगिक समानता और विविधता के आदर्शों को इन खेलों में पूरी तरह से अपनाया जाएगा। इन्टरनेशनल ओलंपिक कमेटी के चेयरमैन थॉमस बाश ने भी इस खबर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लैंगिक समानता का यह एक आदर्श उदाहरण है।

योशिरो मोरी ने यह कारनामा ऐसे समय किया, जब टोक्यो ओलंपिक में लैंगिक समानता और विकलांग खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन की बात की जा रही थी और इससे जुड़ी हरेक कमेटी में महिलाओं की संख्या बढाने पर जोर दिया जा रहा था। इस समय टोक्यो ओलंपिक्स आयोजन समिति के कुल 25 सदस्यों में से मात्र 7 सदस्य महिलाएं हैं। जापान के विपक्षी सांसद रेन्हो ने मोरी के वक्तव्य पर कहा कि उनका वक्तव्य ओलंपिक की विचारधारा के ठीक उल्टा है, क्योंकि इन खेलों में लगातार बराबरी और एकता की बात की जाती है। आयोजन समिति की एक सदस्य, कोरी यामागुची ने भी अपने अध्यक्ष के वक्तव्य की भत्र्सना करते हुए कहा था कि अध्यक्ष का यह वक्तव्य दुर्भाग्यपूर्ण है।

मोरी के वक्तव्य के बाद से जापान में ट्विटर पर  ‘मोरी प्लीज रिजाइन’  ट्रेंड करने लगा था। जुडो की चैम्पियन नोरिको मिज़ोगुची ने कहा कि ओलंपिक खेलों में महिलाओं के विरोध के किसी भी वक्तव्य का कोई स्थान नहीं है और इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। युरिको कोइके, टोक्यो की गवर्नर हैं और वह पहली महिला गवर्नर भी हैं। इस वक्तव्य के बाद से और मोरी के इस्तीफा देने के बीच उन्होंने ओलंपिक खेलों के आयोजन से संबंधित सभी बैठकों का बहिष्कार किया था और कहा था कि मोरी का वक्तव्य जापान की सभी महिलाओं का अपमान है। इस वक्तव्य के बाद जापान के क्योदो न्यूज़ एजेंसी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत लोगों ने मोरी को अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य करार दिया था। टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने मोरी के वक्तव्य पर कहा था कि यह उनकी अज्ञानता को दर्शाता है।

मोरी के वक्तव्य के बाद से जापान सरकार अपने देश में लैंगिक समानता का जोर-शोर से दिखावा करने लगी है, जो फूहड़ और हास्यास्पद भी है। वर्ष 1955 से अब तक लगभग लगातार सत्ता में रही लिबरल डेमोक्रेटिक फ्रंट के जनरल सेक्रेटरी तोशिहिरो निकाई ने हाल में ही एक अजीबो-गरीब फरमान जारी किया है- पार्टी से संबंधित सभी बैठकों में कम से कम 5 महिलाओं को अवश्य शामिल किया जाए, ये महिलाएं फोटो-सेशन में जरूर शामिल की जाएं, पर इन महिलाओं को बैठक में बोलने का अधिकार नहीं होगा।

हास्यास्पद यह है कि प्रधानमंत्री योशिहिदा सुगा ने भी इस वक्तव्य का बचाव करते हुए कहा है की महिलाएं बैठक में नहीं बोलेंगीं, पर अपनी बात बैठक के आयोजकों को लिखित तौर पर दे सकती हैं। जापान की आधी आबादी महिलाओं की है और सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राथमिक सदस्यों में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं,

पर संसद में महिला सदस्यों की संख्या महज 9.9 प्रतिशत है। विश्व में संसद में महिला सदस्यों की औसत संख्या 25.1 प्रतिशत है। जापान की सरकार में महज दो मंत्री महिलाएं थीं, पर सिको हाशिमोतो के ओलंपिक कमेटी का अध्यक्ष बनने पर उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ा और अब पूरे मंत्रिमंडल में केवल एक महिला मंत्री हैं।

मोरी को महिलाओं पर दिए गए एक वक्तव्य पर इस्तीफा देना पड़ा, पर क्या भारत में जहां महिलाओं को देवी भी माना जाता है, किसी नेता को महिलाओं पर भद्दी टिप्पणी के कारण कभी इस्तीफा देने की नौबत आएगी?  (navjivanindia.com)

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