सामान्य ज्ञान
पद्म संभव तिब्बती में लोब पोन (आचार्य) या पद्म जुड् ने (कमल से उत्पन्न) भी कहलाने वाले एक पौराणिक भारतीय बौद्घ रहस्यवादी हैं, जिन्होंने तिब्बत में तांत्रिक बौद्घवाद की शुरुआत की तथा जिन्हें वहां पहला बौद्घ मठ स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।
परंपरा के अनुसार, पद्मसंभव उद्यान (वर्तमान स्वात, पाकिस्तान) के निवासी थी। यह क्षेत्र अपने तांत्रिकों के लिए विख्यात था। वह एक तांत्रिक और योगाचार पंथ के सदस्य थे तथा भारत के एक बौद्घ अध्ययन केंद्र, नालंदा में पढ़ाते थे। 747 में उन्हें राजा ठी स्त्रोङ् देचन ने तिब्बत में आमंत्रित किया। वहां उन्होंने कथित रूप से तंत्र-मंत्र से उन शैतानों को भगाया, जो भूकंप पैदा कर एक बौद्घ मठ के निर्माण में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। उन्होंने 749 में बौद्घ मठ का निर्माण कार्य पूर्ण होने तक उसकी देखरेख की थी। तिब्बती बौद्घ पंथ त्रिङ्मा पा (पुरातन पंथ) के सदस्य पद्मसंभव की तांत्रिक क्रियाओं, पूजा तथा योग की शिक्षा का पालन करने का दावा करते हैं। पंथ की शिक्षा की मौलिक पाठ्य सामग्री, जिसके बारे में कहा जाता है कि पद्मसंभव ने उन्हें दफन कर दिया था, 1125 के आसपास मिलनी आरंभ हुई थी। उन्होंने कई तांत्रिक पुस्तकों का मूल संस्कृत से तिब्बती भाषा में अनुवाद भी कराया था।