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हवाई सेवा की मांग को हाईकोर्ट व नागरिकों के आंदोलन से मिला मुकाम, पर नेताओं में लगी श्रेय लेने की होड़
26-Feb-2021 10:25 PM
हवाई सेवा की मांग को हाईकोर्ट व नागरिकों के आंदोलन से मिला मुकाम, पर नेताओं में लगी श्रेय लेने की होड़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 26 फरवरी।
एक मार्च से बिलासपुर से शुरू हो रही हवाई सेवा की पीठ थपथपाने के लिये कांग्रेस संगठन और विधायक समर्थकों के बीच होड़ मच गई है, जबकि भाजपा ने इसे अपनी पार्टी की उपलब्धि बताने की जिम्मेदारी सांसद पर छोड़ दी है। इन सबसे परे वास्तविकता यह है कि नागरिकों के आंदोलन और हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका की इस मांग के पूरी होने में बड़ी भूमिका है।

अब से 27 साल पहले बिलासपुर के चकरभाठा स्थित हवाईअड्डे से वायुदूत सेवा शुरू हुई जो एक पखवाड़े बाद बंद भी हो गई थी। उसके बाद छत्तीसगढ़ राज्य बना, तब से लगातार बिलासपुर के विकास को गति देने के लिये हवाई सेवा शुरू करने की मांग की जाती रही। छत्तीसगढ में भाजपा सरकार ने न तो यूपीए सरकार के दौरान न ही एनडीए के पहले कार्यकाल के दौरान कोई पुरजोर कोशिश की। तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल की प्राथमिकता में भी विफल सीवरेज परियोजना ही थी, हवाई सेवा शुरू कराना नहीं। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पहले बिलासपुर प्रवास में ही बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू करने को प्राथमिकता देने की घोषणा की। 

चुनाव जीतने के बाद भाजपा सांसद अरुण साव ने भी इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताई। इन सब घोषणाओं के बीच हाईकोर्ट बार एसोसियेशन की ओर से सुदीप श्रीवास्तव और संदीप दुबे तथा पत्रकार कमल दुबे की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिकायें दायर कर दी गईं। इसके कुछ दिनों के बाद बिलासपुर में हवाई सुविधा संघर्ष समिति ने अखंड धरना शुरू कर दिया। बारी-बारी इस आंदोलन में शहर के 250 से अधिक संगठन शामिल हुए। 

संघर्ष समिति में ज्यादातर लोग कांग्रेस के थे लेकिन भाजपा नेताओं ने भी इसमें भागीदारी निभाई। हालांकि सांसद अरुण साव व विधायक शैलेष पांडेय ने इस आंदोलन से ज्यादा नजदीकी नहीं बढ़ाई। लेकिन हाईकोर्ट में हुई लगातार सुनवाई और राघवेन्द्र राव सभा भवन परिसर में जारी आंदोलन का ही असर था कि न सिर्फ जनप्रतिनिधियों बल्कि स्थानीय प्रशासन और केन्द्र में उड्डयन मंत्रालय पर इस मांग को पूरा करने का दबाव बना। एक ओर मुख्यमंत्री ने थ्री सी कैटेगरी हवाईअड्डे के अधूरे कामों के लिये जरूरत के मुताबिक 27 करोड़ रुपये आबंटित कराये वहीं सांसद दिल्ली में लगातार केन्द्रीय उड्डयन मंत्री से मुलाकात कर इस मांग को उठाते रहे। स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने भी पत्राचार किये और मंत्री पुरी से मुलाकात की। यह सब हाईकोर्ट में जारी सुनवाई और अखंड धरने की वजह से ही संभव हुआ।

हवाई सेवा शुरू कराने के अभियान में आंदोलन की अगुवाई करने वाले सुदीप श्रीवास्तव एक तरफ कोर्ट में तथ्यों के साथ जिरह करते रहे तो दूसरी तरफ अखंड धरने के लिये संगठनों और युवाओं को प्रेरित करते रहे। इसका नतीजा यह निकला कि एक मार्च से हवाई सेवा शुरू होने जा रही है।

अब जब उड़ानें शुरू होने में कोई देरी नहीं रह गई है, ट्रायल लैंडिंग, टेकऑफ हो चुका है, कांग्रेस और भाजपा में इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। भाजपा में कम से कम यह दिखाई दे रहा है कि सांसद अरुण साव को श्रेय दिये जाने का कोई विरोध नहीं है। साव स्वयं इसका श्रेय लेने की जगह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी का आभार व्यक्त कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस में श्रेय लेने के लिये स्थानीय स्तर पर होड़ सी मची हुई है। 

कांग्रेस में संगठन से जुड़े लोगों ने शहर के कुछ स्थानों पर पोस्टर लगाकर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, महापौर रामशरण यादव और उनके साथ के कार्यकर्ताओं का आभार माना है। पर इनमें से स्थानीय विधायक की तस्वीर गायब है। पता चला है कि इसके जवाब में अब विधायक शैलेष पांडे के समर्थक भी पोस्टर तैयार करा रहे हैं जिसमें सिर्फ वे और उनके समर्थकों की तस्वीरें होंगी। एक बात कांग्रेस के दोनों धड़ों में समान है कि उन्होंने हवाई सेवा की उपलब्धि के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार माना है।

इन सबके बीच शहर के लोगों का मानना है कि हवाई सेवा शीघ्र शुरू करने की लड़ाई शुरू करने वाले नागरिकों को ही इसका श्रेय मिलना चाहिये। उन्होंने ही जन-प्रतिनिधियों और प्रशासन को विवश किया कि इस मांग को पूरा करने में और देरी नहीं की जाये।  

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