सामान्य ज्ञान
इसरो उपग्रह केंद्र आई जैक, बेंगलोर में स्थापित किया गया है। आईज़ैक वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुप्रयोज्य अभियानों के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का विकास और उपग्रह प्रणालियों के कार्यान्वयन में कार्यरत है।
आईज़ैक कार्यरूप में पांच प्रमुख क्षेत्रों में व्यवस्थित है- संरचनाओं, तापीय प्रणालियां और अंतरिक्ष-यान यांत्रिकी सहित यांत्रिक प्रणालियां; डिजीटल प्रणालियां और संचार प्रणालियों सहित डिजीटल और संचार क्षेत्र; अंतरिक्षयान जांच प्रणाली, प्रणाली समेकन और पॉवर प्रणाली से युक्त समेकन और पॉवर क्षेत्र; नियंत्रण प्रणाली, अभियान विकास और कंप्यूटर तथा सूचना सहित नियंत्रण और अभियान क्षेत्र; और सुविधाएं। विश्वसनीयता और घटक क्षेत्र तथा कार्यक्रम योजना तथा मूल्यांकन समूह केंद्र को सम्बद्ध सहायता प्रदान करते हैं। परियोजना प्रबंधन दल इन्सैट और आईआरएस परियोजनाओं के क्रियान्वयन में समन्वय करते हैं। अंतरिक्ष खगोलविज्ञान और यंत्रीकरण विभाग अंतरिक्ष विज्ञान गतिविधियों के कार्य में लगा है। एक विस्तृत कोडांतरण, परीक्षण तथा ताप -निर्वात कक्ष (सीएटीवीएसी) अंतरिक्ष पर्यावरण की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए उप-प्रणालियों और प्रणालियों की अर्हता हेतु अपेक्षित सहायता उपलब्ध कराते हैं।
इस केंद्र की उपलब्धियों में अभी तक वैज्ञानिक, संचार और सुदूर संवेदन जैसे विभिन्न प्रकार के 50 से अधिक उपग्रहों का विन्यास और विकास शामिल है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष
भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा एक अपील के अनुसरण में जनवरी, 1948 में, सार्वजनिक योगदान के साथ पाकिस्तान से विस्थापित व्यक्तियों की सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) स्थापित किया गया था।
अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संसाधनों का मुख्य रूप से उपयोग बाढ़, चक्रवात, और भूकंप आदि और प्रमुख दुर्घटनाओं और दंगों के पीडि़तों को प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दिल की सर्जरी, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर उपचार, आदि में भी उपयोग किए जाते हैं और चिकित्सा उपचार के लिए सहायता की यह निधि पूरी तरह से सार्वजनिक योगदान की होती है और इसमें किसी भी बजटीय सहायता नहीं प्रदान की जाती है। कोष की राशि बैंकों के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश की जाती है। प्रधानमंत्री के अनुमोदन के साथ इसका संवितरण किया जाता है।