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कौन है अनूप मांझी, जिसके अवैध 'कोयले की आंच' ममता बनर्जी के घर पहुंची
02-Mar-2021 7:57 AM
कौन है अनूप मांझी, जिसके अवैध 'कोयले की आंच' ममता बनर्जी के घर पहुंची

-भवेश सक्सेना

'काले हीरे' की नगरी के नाम से मशहूर आसनसोल ज़िले और रानीगंज के इलाके में कोयले का गैर कानूनी कारोबार करीब 1 लाख लोगों को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर रोज़गार देता है. यहां करीब 3500 अवैध खदानों का रोज़ाना टर्नओवर 200 करोड़ का है यानी आसनसोल और उसके आसपास ये एक पैरेलल इकोनॉमी है. इस काले धंधे के केंद्र में जो नाम पिछले कुछ सालों से बना हुआ है, वो है अनूप मांझी उर्फ लाला. इस लाला की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय काफी अहम भी है.

पश्चिम बंगाल के सबसे पिछड़े ज़िले पुरुलिया के भमूरिया गांव में जन्मा अनूप चार भाइयों और तीन बहनों के बीच गरीब परिवार की भूख से लड़ता हुआ बचपन गुज़ार रहा था, तभी पारखी नज़रें समझ रही थीं कि यह भूख इतिहास रच सकती थी. कोयले की खदान में काम करने वाले मज़दूर के इस बेटे की स्लेट यही खदानें बनीं, जिन पर काले हीरे से उसने अपनी ही नहीं, अपने साथ के लोगों की तकदीर भी लिखना शुरू की.

कोयले की दलाली में हाथ काले हुए
बहुत कम उम्र में गरीब अनूप का सपना बहुत सारी दौलत थी. मछली बेची, छोटे मोटे काम किए लेकिन पैसा उसे कोयले में दबा दिखा. जल्द ही कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों की बदौलत वो कोयले की दुनिया में दाखिल हुआ. जवान होते होते रघुनाथपुर, आसनसोल और रानीगंज में उसके पास कोयला फैक्ट्रियां थीं, जहां चोरी के कोयले का पहुंचना शुरू हो चुका था.

भले ही कोयले के धंधे में हाथ काले होते हों, लेकिन नोटों की चमक इस कालिख को ढांक देती है. भूख बढ़ी तो अनूप रघुनाथपुर के जंगलों में कास्ट माइन का गैरकानूनी धंधा भी शुरू किया. यहां से वो अनूप से लाला बनता चला गया और अब सियासत हो या पुलिस, सब उसके साथ के लिए बेताब थे. लाला पैसा और गुंडे मुहैया कराने वाला एक ऐसा माफिया बन गया, जिसकी ज़रूरत पॉलिटिक्स को हमेशा होती है.

दौलत और ताकत का जलवा यही रहा कि सरकारी अफसरों ने आंखें मूंद लीं, पुलिस ने सपोर्ट किया. बहुत वक्त नहीं लगा यह माहौल बनने में कि लाला की अपनी एक पैरेलल हुकूमत चलने लगी. लाला के गुनाह जानते हुए भी किसी ने कुछ नहीं बोला क्योंकि किसी की जेब में उसके पैसे थे, किसी के माथे पर उसके कलंक तो किसी की कनपटी पर उसकी बंदूक.

फिर नज़र में आया कोयला किंग
कहते हैं कि लाला का किरदार रॉबिनहुड जैसा भी था और बॉलीवुड फिल्म के उस डॉन जैसा भी, जो अपने इलाके में मसीहा की हैसियत रखता था. यानी लोगों के लिए वो ही सरकार था और वो ही अदालत. सालों तक बंगाल ही नहीं, बल्कि बंगाल के बाहर​ बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर तक वो कोयले का राजा बना रहा. लेकिन यह भी सच है कि गुनाह के नक्शे कदम कहीं न कहीं रह ही जाते हैं.

लाला को दौलत और ताकत का नशा ऐसा चढ़ा कि उसने बेखौफ होकर अपने साम्राज्य को खुद ही लाइमलाइट खड़ा कर दिया. दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन करवाने वाले लाला ने अपनी छवि धार्मिक लोगों के बीच देवता की बनानी चाही थी, लेकिन इसी से वो जांच एजेंसियों की निगाह में चढ़ने लगा. बंगाल के पिछड़े ज़िलों के दूरदराज इलाकों में बॉलीवुड सेलिब्रिटियां पहुंचने लगीं तो कइयों की नज़रों में लाला आ ही गया.

कोयला माफिया की ज़बरदस्त मोडस ऑपरेंडी
जानवरों के कुख्यात तस्कर इनामुल हक के नेटवर्क का इस्तेमाल लाला ने चोरी का कोयला बंगाल बॉर्डर से बाहर निकालने के लिए किया तो अपने दाएं हाथ जॉयदेब मंडल के हुनर का इस्तेमाल लाला ने बखूबी किया. कोयला और माइनिंग माफिया कृष्ण मुरारी कोयल का पतन लाला के चरम का रास्ता बना. हवाला ट्रेडिंग से लेकर रिज़ॉर्ट बिज़नेस तक लाला का पैसा और तार जुड़े हुए हैं.

लाला और मंडल के सामने बड़ा पहाड़ तब टूटा था, जब जून 2011 में दिनदहाड़े पूर्व स्मगलर रामलखन यादव की हत्या हुई थी. इसके बाद सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि झारखंड और अन्य राज्यों की पुलिस भी बंगाल के कोयला माफिया के पीछे पड़ी. तब दोनों को अंडरग्राउंड होना पड़ा और उनकी तलाश जारी रही, लेकिन कारोबार नहीं रुका.

जांच एजेंसियों की मानें तो कोलकाता के चौरंगी में लाला और मंडल की हज़ारों 'सूटकेस कंपनियां' चल रही हैं, जिनके थ्रू पैसे का लेनदेन और सत्ता तक रिश्वत पहुंचाने का सिलसिला लगातार चलता रहता है ताकि माफिया राज पर आंच न आए. जांच के दौरान यह भी पता चला है कि लाला की कुल संपत्ति का अनुमान फिलहाल 20,000 करोड़ रुपये तक है.

साल 2020 से ही सीबीआई सहित केंद्रीय एजेंसियों ने लाला पर शिकंजा कसना शुरू किया ताकि राजनीति के साथ उसके नेक्सस का भंडाफोड़ किया जा सके. इस पूरी कवायद को आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ​मद्देनज़र ही समझा गया. रिपोर्ट्स की मानें तो लाला के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच व पूछताछ के दायरे में राज्य की सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी और साली भी आ गई हैं.

कितना बड़ा है लाला का एम्पायर?
बताया जाता है कि हर राजनीतिक पार्टी के साथ लाला के संबंध रहे हैं और सभी को रिश्वत पहुंचाने के लिए गाड़ियों में हर महीने सूटकेसों में भरकर पैसा जाता रहा है. 40 की उम्र पार कर चुके लाला का कारोबार कोयला तस्करी के साथ ही आयरन माइन्स, रेत उत्खनन और रिज़ॉर्ट्स व होटलों तक फैल चुका है. हज़ारों करोड़ के एम्पायर के इस बेताज बादशाह के लिए 50,000 से ज़्यादा लोग काम करते हैं. अवैध कारोबार से जुड़ी दो दर्जन से ज़्यादा कोयला कंपनियां व फैक्ट्रियां लाला के नाम बताई जाती हैं.

चुनावों में लाला का पैसा और ताकत इस्तेमाल की जाती रही है. जब ओपन मार्केट में सरकारी कोयला 10 हज़ार रुपये प्रति टन बिकता रहा, तब लाला ने चोरी का कोयला 6000 रुपये के भाव से बेचकर न सिर्फ दौलत, शोहरत हासिल की बल्कि अपने साम्राज्य को फैलाना भी शुरू किया था, जो अब 20,000 हज़ार करोड़ का ब्रांड हो चुका है. थाईलैंड, नेपाल और लंदन तक उसका हवाला लिंक बना हुआ है.

पिछले साल से जो धरपकड़ शुरू हुई है, उसके चलते लाला और मंडल दोनों अंडरग्राउंड या फरार हैं. पहले भी मंडल पुलिस बलों का चकमा और एक करोड़ कैश देकर छूटने की कोशिश के कारण चर्चा में रह चुका है. बताया जा रहा है कि पिछले 15 सालों से ऐसा ही होता रहा है कि जब भी पुलिस या किसी जांच एजेंसी ने लाला या मंडल को पकड़ना चाहा, तो खुफिया जानकारी पहले ही मिल जाने से दोनों पहले ही कुआलालंपुर, सिंगापुर, बर्लिन, लंदन, म्यूनिख, जेनेवा और दुबई भागकर सीक्रेट ठिकानों पर रहते रहे हैं.

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