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अमेरिकी सरकार ने देश में काम करने वाली कंपनियों को चेतावनी दी है कि वो ये सुनिश्चित करने की अधिक कोशिश करें कि चीन के साथ व्यापार के दौरान वो फोर्स्ड लेबर यानी ‘जबरन मज़दूरी‘ का लाभ नहीं ले रही हैं.
इस संबंध में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेज़ेन्टेटिव कार्यालय ने कांग्रेस को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें सख्त तौर पर कहा है कि उत्पादन की प्रक्रिया में जबरन मज़दूरी करवाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है और कंपनियों को इसके लिए ज़िम्मेदारी लेते हुए ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पाद इस तरह न बनाए गए हों.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि ग़लत तरीके से व्यापार करने की चीन की उन कोशिशों को रोकने की वो ‘हरसंभव कोशिश करगें’ जिनसे अमेरिका के मज़दूरों और व्यापार को नुक़सान हो सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश-विदेश के उपभोक्ताओं को ऐसे उत्पाद नहीं चाहिए जिनके उत्पादन में लोगों से ‘जबरन मज़दूरी‘ करवाई गई हो, और साथ ही व्यवस्थित तरीके से दमन करने वाले शासन के साथ कंपीटिशन करना मज़दूरों के हक में नहीं होगा.
रिपोर्ट में चीन में वीगर मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को सरकार की ‘प्राथमिकताओं में से एक’ कहा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की नीति अब इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगी कि चीनी सरकार द्वारा कथित तौर पर शिनजियांग प्रांत में वीगर और दूसरे अल्पसंख्यकों से करवाई जाने वाली जबरन मज़दूरी का लाभ अमेरिकी कंपनियां नहीं ले रही हैं.
चीन खुद पर लगे इस तरह के आरोपों से इनकार करता रहा है.
इसके साथ ही अब इस बात की संभावनाएं बढ़ गई हैं कि बाइडन प्रशासन इससे संबंधित नया क़ानून ला सकता है.
बीबीसी बिज़नेस रिपोर्टर जोनाथन जोसेफ़ कहते हैं बीते महीने बाइडन ने शिनजियांग प्रांत में व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दे पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फ़ोन पर बात की थी.
चीन इस तरह के आरोपों से इनकार करता रहा है, लेकिन इसके बावजूद पश्चिमी देशों की कंपनियों के लिए ये एक बड़ा मुद्दा है.
बाइडन प्रशासन का कहना है कि नए क़ानून के अनुसार अब कंपनियों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन उत्पादों को वो बेच रही हैं वो उनको बनाने में मानवाधिकारों का उल्लंघन न हुआ हो.
इससे पहले मार्च 2020 में ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट नाम की एक थिंकटैंक ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि दुनिया के बड़े ब्रांड के लिए उत्पाद बनाने वाली चीन की फैक्ट्रियों में वीगर मुसलमानों समेत हज़ारों अल्पसंख्यकों को मुश्कित हालातों में मज़दूरों के तौर पर काम करवाया जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया था कि एक आकलन के अनुसार साल 2017 से 2019 के बीच 80,000 से अधिक वीगरों को पश्चिमी शिनजियांग के स्वायत्त प्रांत में फैक्टियों में काम करने के लिए ले जाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार कइयों को सीधे डिटेन्शन सेंटर से वहां ले जाया गया है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन में 83 बड़े ब्रांड के लिए उत्पादन करने वाली ऐसी फैक्ट्रियां हैं जहां जबरन मज़दूरी करवाई जाती है. इनमें एपल, नाइके और डेल जैसी कंपनियां शामिल हैं. (bbc.com)