सामान्य ज्ञान
सतलुज उत्तरी भारत में बहने वाली एक सदानीरा नदी यानी हर मौसम में बहती है। इसका पौराणिक नाम शतद्रु है। सतलुज उत्तरी भारत में बहने वाली एक नदी है। इसकी लम्बाई पंजाब में बहने वाली पांचों नदियों में सबसे अधिक है। यह पाकिस्तान में होकर बहती है।
ऋग्वेद के नदीसूक्त में इसे शुतुद्रि कहा गया है। वैदिक काल में सरस्वती नदी शुतुद्रि में ही मिलती थी। परवर्ती साहित्य में इसका प्रचलित नाम शतद्रु या शतद्रू (सौ शाखाओं वाली) है। वाल्मीकि रामायण में केकय से अयोध्या आते समय भरत द्वारा शतद्रु के पार करने का वर्णन है। महाभारत में पंजाब की अन्य नदियों के साथ ही शतद्रु का भी उल्लेख है। श्रीमदभागवत में इसका चंद्रभागा तथा मरूदवृधा आदि के साथ उल्लेख है। विष्णु पुराण में शतद्रु को हिमवान पर्वत से निस्सृत कहा गया है- शतद्रुचन्द्रभागाद्या हिमवत्पादनिर्गता: ।
वास्तव में सतलुज का स्रोत रावणह्नद नामक झील है जो मानसरोवर के पश्चिम में है। वर्तमान समय में सतलुज बियास (विपासा) में मिलती है। किंतु द मिहरान ऑफ़ सिंध एंड इट्रज ट्रिव्यूटेरीज के लेखक रेबर्टी का मत है कि 1790 ई. के पहले सतलुज, बियास में नहीं मिलती थी। इस वर्ष बियास और सतलज दोनों के मार्ग बदल गए और वे सन्निकट आकर मिल गई।
शतद्रु वैदिक शुतुद्रि का रूपांतर है तथा इसका अर्थ शत धाराओं वाली नदी किया जा सकता है। जिससे इसकी अनेक उपनदियों का अस्तित्व इंगित होता है। ग्रीक लेखकों ने सतलज को हेजीड्रस कहा है। किंतु इनके