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छिंदवाड़ा की भावना को पहाड़ों के प्रेम ने बना दिया पर्वतारोही
08-Mar-2021 1:20 PM
छिंदवाड़ा की भावना को पहाड़ों के प्रेम ने बना दिया पर्वतारोही

छिंदवाड़ा, 8 मार्च | कहते है कि एक वाक्या जिंदगी मे बड़ा बदलाव लाने के लिए काफी होता है, ऐसा ही कुछ हुआ मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा की भावना डेहरिया के साथ। वह मवेशियों के साथ पहाड़ों पर जाती थीं, इसके चलते उन्हें पहाड़ो से इतना प्रेम हो गया कि वह पर्वतारोही बन गईं और उनमें जुनून कुछ इस तरह रहा कि वह हिमालय की माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने में सफल रहीं। छिंदवाड़ा के पातालकोट से महज 17 किलोमीटर दूर बसे तामिया की रहने वाली हैं भावना डेहरिया। भावना पढ़ाई और खेल-कूद के साथ ही घर में पशुपालन के काम में भी सहयोग करती थीं। स्कूल से घर आकर पहाड़ों से पालतू पशुओं को लौटा कर घर लाना भावना का काम था। इस काम ने उनमें पहाड़ों के प्रति प्रेम जगा दिया और इसी दौरान वर्ष 2009 में पातालकोट में एडवेंचर्स प्रोग्राम का आयोजन उनके जीवन का टनिर्ंग प्वाइंट साबित हुआ। उसके पहले तक भावना को यह नहीं पता था कि पर्वतारोहण भी कोई गतिविधि है और इसके लिए किसी कोर्स की जरूरत पड़ती है।

भावना ने स्कूल के दौरान बास्केट बॉल और साइकल पोलो में नेशनल खेला है। खेलकूद में अव्वल रहने के कारण भावना को तामिया के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से एक हफ्ते के लिए इस एडवेंचरस प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिला, इस दौरान उन्हें पर्वतारोही के संदर्भ में विस्तार से जानकारी मिली।

भावना के पिता मुन्ना लाल डेहरिया शिक्षक और माता उमा देवी गृहणी हैं। वहीं उनकी चार बहनें और एक भाई भी हैं। इन स्थितियों में उनके लिए बाहर जाकर प्रशिक्षण हासिल करना आसान नहीं था। इस दौरान उच्च शिक्षा के लिए वह अपनी बहन के साथ भोपाल पहुंची और रॉक क्लाइंबिंग की ।

भावना बताती है कि उच्च शिक्षा के दौरान भोपाल में उसे कई एडवेंचरस गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला, लेकिन पर्वतारोहण संस्थानों की जानकारी नहीं मिल पा रही थी। गूगल से सर्च करने पर उन्हें उत्तरकाशी स्थित एशिया के बेस्ट संस्थान नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग की जानकारी मिली। तत्काल उन्होंने अपना आवेदन दे दिया, लेकिन आवेदन देने के दो साल बाद उनका नंबर आया। तभी उन्हें पता चला कि कोर्स की फीस सात हजार 500 रुपए है।

सामान्य आर्थिक परिवार की भावना के लिए उच्च शिक्षा के खर्चे के साथ-साथ यह अतिरिक्त राशि कम राशि नहीं थी। इस दौरान वे भोपाल में अपने छोटे भाई-बहन की पढाई का पूरा जिम्मा भी एक पेरेन्ट की तरह उठा रही थीं । इन सब जिम्मेदारियों के बाद भी उसने माता-पिता से फीस के लिये नहीं कहा, बल्कि एडवेंचर्स गतिविधियों से प्राप्त प्रोत्साहन राशि को ही इसमें लगा दिया। बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स को ए-ग्रेड से क्वालीफाई करने के बाद ही एडवांस कोर्स की ट्रेनिंग मिलती है।

भावना की लगन और मेहनत से उन्होंने ए-ग्रेड के साथ बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स क्वालीफाई किया। उसके बाद एडवांस कोर्स और एम.ओ.आई. कोर्स किया। कोर्स के साथ पहली बार उन्होंने गढ़वाल हिमालय की डी.के.डी. चोटी चढ़ीं जिसके बाद भावना में अब आत्मविश्वास आ चुका था, माउंटेनियरिंग से जुडे सारे कंसेप्ट क्लियर हो चुके थे। (आईएएनएस)

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