सामान्य ज्ञान

ब्रिक्स
09-Mar-2021 11:57 AM
ब्रिक्स

ब्रिक्स ((BRICS)) उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ का शीर्षक है। इसके घटक राष्ट्र ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इन्हीं देशों के अंग्रेज़ी में नाम के प्रथमाक्षरों क्च क्र ढ्ढ ष्ट स् से मिलकर इस समूह का यह नामकरण हुआ है।  ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) राष्ट्रों के कृषि मंत्रियों की 11-13 मार्च 2015 को ब्राजीलिया (ब्राजील) में  चौथी उच्च स्तरीय बैठक होने जा रही है जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह शामिल होंगे।
 ब्रिक्स, मूलत:, 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे  ब्रिक के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडक़र , ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। वर्ष 2013 तक, पांचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में 4 खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 15 खरब अमेरिकी डॉलर का है।  वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करता है। प्रारंभिक चार ब्रिक राज्यों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) के विदेश मंत्री सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क शहर में मिले और उच्च स्तरीय बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की। 16 मई 2008 को एक पूर्ण पैमाने की राजनयिक बैठक  येकतेरिनबर्ग, रूस में आयोजित की गई थी। 
 

क्या है कोयला खान विधेयक 2015
लोकसभा ने 4 मार्च 2015 को ‘कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015’ पारित कर दिया है।  इस विधेयक में पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से सफल बोली लगाने वाली कंपनियों को खनन के लिए पट्टे दिए जाने का प्रावधान है। यह विधेयक कोयला खनन में निरंतरता सुनिश्चत करने और कोयला संसाधनों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लाया गया।
कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 के तहत एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से सफल बोली लगाने वाली कंपनियों को कोयला खदान आवंटित करने, खदान को पट्टे पर देने के साथ-साथ खदान का अपने नाम के साथ अपने हित में प्रयोग करने का अधिकार दिया जाएगा। यह विधेयक सरकार द्वारा इस संबंध में पूर्व में जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसे सरकार संसद सत्र से पहले लाई थी। इस विधेयक में कोयला खानों के निजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है।
 

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