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कोरोना वैक्सीन: ब्रिटेन ने कहा भारत की वजह से घटी सप्लाई
19-Mar-2021 8:05 AM
कोरोना वैक्सीन: ब्रिटेन ने कहा भारत की वजह से घटी सप्लाई

ब्रिटेन को हो रही कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति में अगले महीने ख़ासी कमी आ सकती है. इसकी एक वज़ह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोज़ेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति में होने वाली देरी है. अनुमान है कि भारत से आने वाली इस वैक्सीन के डोज़ में 50 लाख डोज़ अप्रैल में कम मिलेंगे.

बीबीसी को मिली जानकारी के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनने वाली इस वैक्सीन की आपूर्ति को चार हफ़्ते के लिए रोका गया है.

हालांकि ब्रिटेन के हाउसिंग, कम्युनिटीज और स्थानीय शासन मंत्री रॉबर्ट जेनरिक ने कहा है कि इसके लिए न ही कोई फ़ैक्ट्री और न कोई देश ज़िम्मेदार है.

इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भी जुलाई अंत तक सभी वयस्कों को वैक्सीन का पहला डोज़ देने का लक्ष्य पा लिया जाएगा.

इससे पहले स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं को जारी एक पत्र में नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस), इंग्लैंड ने बुधवार को चेताया था कि अप्रैल में कोरोना वैक्सीन की सप्लाई उम्मीद से कम रह सकती है.

स्कॉटलैंड सरकार ने कहा है कि वह ब्रिटेन की वैक्सीन टास्कफोर्स से भविष्य में कोरोना के टीके की आपूर्ति को लेकर पूछताछ करेगी. वहीं वेल्स और उत्तरी आयरलैंड की सरकारों ने कहा है कि इस रुकावट से उनके टीकाकरण कार्यक्रम पर पड़ सकने वाले असर की पड़ताल की जाएगी.

वहीं भारत में सीरम इंस्टीट्यूट के प्रवक्ता ने बताया, "कुछ हफ़्ते पहले ब्रिटेन को 50 लाख टीकों की ख़ुराक भेजी गई थी. भारत के मौज़ूदा हालात और ज़रूरत का आकलन करते हुए और ख़ुराकों को हम बाद में भेजने की कोशिश करेंगे."

एक सूत्र ने बीबीसी को बताया कि पहले की योजना के अनुसार मार्च में और 50 लाख ख़ुराक भेजा जाना था, लेकिन इसके लिए कोई निश्चित समय तय नहीं किया गया था.

रॉबर्ट जेनरिक ने बीबीसी को बताया कि सरकार को कुछ दिनों पहले इस समस्या के बारे में पता चला है. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि अप्रैल के बाद टीकों की आपूर्ति बढ़ सकती है.

उन्होंने कहा है कि टीकों की आपूर्ति में कमी आने के बावजूद 15 अप्रैल तक 50 साल से ज़्यादा उम्र के और जुलाई अंत तक सभी वयस्कों को पहली ख़ुराक देने के लक्ष्य से हम बहुत पीछे नहीं रहेंगे.

जेनरिक ने उम्मीद जताई है कि अप्रैल का महीना इस मायने में अलग होगा कि इस दौरान दूसरी ख़ुराक पाने वालों की संख्या पहली ख़ुराक पाने वालों से ज़्यादा रह सकती है.

50 से कम उम्र के लोगों को करना होगा इंतज़ार
सोमवार को एनएचएस सूत्रों ने बताया था कि ब्रिटेन में आने वाले दिनों में टीकाकरण की गति तेज होने की उम्मीद है क्योंकि भारत से एस्ट्रोजेनेका टीके की पहली खेप आ गई है.

रॉयल कॉलेज ऑफ़ जनरल प्रैक्टिशनर चेयर के प्रो मार्टिन मार्शल ने बताया कि एनएचएस अगले दो हफ़्तों में 50 साल से अधिक उम्र और ख़तरे की गुंजाइश वाले लोगों के लिए टीका देने की गति बढ़ाएगा, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त आपूर्ति है.

मार्टिन मार्शल ने कहा कि आपूर्ति के कम रहने की ख़बर निराश करने वाली है और इससे 50 साल से कम उम्र के लोगों को टीका देने की योजना प्रभावित हो सकती है. इनके अनुसार अब ऐसे लोगों को मई तक का इंतज़ार करना होगा.

ब्रिटेन में अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली ख़ुराक मिल गई है, जबकि करीब 17 लाख लोगों को दूसरी ख़ुराक मिल सकी है.

बुधवार से 50 साल से छोटे सभी लोगों के लिए टीकाकरण का अभियान शुरू होने के बाद एनएचएस ने कहा कि अब अप्रैल में इससे कम उम्र के लोगों को टीका देना संभव नहीं हो सकता.

सरकार की वैक्सीनेशन और इम्युनाइजेशन पर सरकार की संयुक्त समिति के सदस्य प्रो एडम फिन ने बताया कि टीके की आपूर्ति के कम होने का मतलब है कि यह अभियान अब "बहुत तेज से थोड़ा कम तेज" हो जाएगा न कि यह रूक जाएगा.

सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी है. यह कंपनी इस साल मध्यम आय और ग़रीब देशों के लिए कोरोना वैक्सीन की एक अरब ख़ुराक बनाने वाली है. इसके प्रमुख अदार पूनावाला ने पहले कहा था कि दुनिया में इस वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर थोड़ा धैर्य रखना चाहिए. उन्होंने कहा था कि कंपनी को निर्देश दिए गए हैं कि वह भारत की विशाल ज़रूरतों को प्राथमिकता दे.

पूनावाला ने अमेरिकी निर्यात प्रतिबंधों के चलते वैक्सीन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग और फिल्टर की कमी होने की आशंका भी जताई थी.

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में कंपनी ने ब्रिटेन को एक करोड़ ख़ुराक देने का समझौता किया था. हालांकि केवल इसकी आधी ख़ुराक ही इस माह पहुंच पाई और बाकी की आपूर्ति कई हफ़्तों के लिए टल गई.

एस्ट्रोजेनेका की बाक़ी की ख़ुराक को ब्रिटेन में ही बनाया जाना है और कंपनी ने कहा कि सप्लाई की कोई समस्या नहीं है. फाइज़र ने भी कहा है कि उसकी ओर से सप्लाई में कोई दिक़्कत नहीं है.

सरकार ने तीसरी वैक्सीन के रूप मे अमेरिका के मॉडर्ना टीके को भी मंज़ूरी दी है. इसकी आपूर्ति गर्मी के आख़िर में शुरू हो सकती है.

ब्रिटेन ने अब तक 40 करोड़ से ज्यादा कोविड वैक्सीन की ख़रीद का सौदा कई कंपनियों से किया है. वहीं वलनेवा, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन, नोवावैक्स और जेनसेन की वैक्सीन अभी मंज़ूरी का इंतज़ार कर रही है.

किसी टीके की आपूर्ति का अनुमान लगाना बहुत कठिन होता है. वह इसलिए कि इसका निर्माण एक जैविक प्रक्रिया है. लिहाज़ा कोई भी कंपनी इस बात की गारंटी नहीं दे पाती कि कितने समय में कितना टीका उपलब्ध होगा. वहीं जब इसे विदेश से मंगाया जाता है तो इसमें कठिनाई और बढ़ जाती है.

ब्रिटेन के पास कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करने वाले केवल दो प्लांट हैं. इन दोनों में एस्टाजेनेका की वैक्सीन बनाई जा रही है. वहीं फाइज़र के टीके बेल्जियम से आ रहे हैं. टीका आपूर्ति के ये दोनों स्रोत पहले के अनुमान की तरह आपूर्ति कर रहे हैं.

भारत का ब्रिटेन के साथ एक करोड़ टीके की आपूर्ति का करार हुआ था. हालांकि यह हमेशा से साफ था कि टीके की खेप भेजने के दिन की सटीकता बता पाना संभव नहीं है.

सरकार को लगा कि मार्च मध्य तक जब उसे पूरी ख़ेप मिल जाएगी तब उसके पास ज़रूरत से ज्यादा ख़ुराक हो जाएंगे. इसे देखते हुए सरकार को लगा कि जुलाई तक सभी वयस्कों को टीका देने की उसकी योजना क़रीब एक महीना पहले ही पूरी हो जाएगी. सरकार ने इसका एलान भी कर दिया पर अब ऐसा होता हुए नहीं दिख रहा है. (bbc.com)

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