अंतरराष्ट्रीय
जैक मा ऐसे गायब हुए हैं कि 10 अक्टूबर के बाद से उनका कोई ट्वीट भी नहीं है...
सैम पीच
अलीबाबा के मालिक जैक मा चीन के सबसे अमीर व्यक्ति बनने ही वाले थे कि नवंबर 2020 में वो अचानक गायब हो गए.
मा के अपार्टमेंट में एक छोटे के ऑनलाइन स्टोर की तरह शुरू हुआ अलीबाबा अब दुनिया के सबसे बड़े टेक कंपनियों में से एक है.
कंपनी की पहुंच अब क़रीब 80 करोड़ लोगों तक है. कंपनी ऑनलाइन शॉपिंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस समेत क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी कई सर्विसेज़ देती है.
मा अपने आर्कषक इमेज और पब्लिसिटी स्टंट के लिए मशहूर हैं. वो अपने हज़ारों कर्मचारियों को पार्टी देते हैं और उनके साथ नाचते-गाते भी हैं.
उनका सबसे नया वेंचर एंट ग्रुप है जिसने अलीपे मोबाइल फ़ाइनेंस एप के साथ लचीन के डिजीटल पेमेंट मार्केट में अपना वर्चस्व बना लिया है.
विवादास्पद बयान
कंपनी चीन के बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही है. 24 अक्टूबर को शंघाई में एंट ग्रुप स्टॉक मार्केट में दुनिया की सबसे बड़ी हिस्सेदारी लाने की तैयारी में था.
इससे पहले मा ने कई उच्च पद के लोगों के सामने एक विवादास्पद बयान दिया जिसमें चीन के आर्थिक सिस्टम की आलोचना की गई थी.
इसके बाद वो जनवरी तक लोगों को नहीं दिखे.
ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें उनके घर में ही नज़बंद कर दिया गया है या हिरासत में ले लिया गया है.
कुछ लोगों ने तो उनके जिंदा होने को लिए भी कयास लगा रहे थे.
जैक मा के बयान से नाराज़गी
इन कयासों की बीबीसी ने पड़ताल की. मा ने कहा था कि चीन के बैंक "प्य़ादे जैसी सोच के साथ" काम करते हैं.
उन्होंने दावा किया था कि जब डिजिटल फाइनेंस को चलाने की बात आती है तो अधिकारी "रेलवे स्टेशन को चलाने के तरीकों से एयरपोर्ट चलाते हैं."
इन बयानों ने बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों को तो नाराज़ किया ही, ख़बरों के मुताबिक शी जिनपिंग का भी ध्यान खींचा.
इसके तुरंत बाद मा और उनके साथ काम करने वाले करीबियों को रेग्यूलेटर ने समन भेजकर बुलाया. एंट ग्रुप की स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग की प्रक्रिया को भी रोक दिया गया.
मा की कंपनी के शेयर गिरने लगे और उन्हें क़रीब 76 मिनियन डॉलर (5 अरब रुपये) का नुकसान हुआ.
चौंकाने वाला
चीन की विश्लेषक क्रिस्टीना बुटरप जो मा का इंटरव्यू भी कर चुकी हैं, कहती हैं, "जिनपिंग के शासन में कुछ बोलने की एक नहीं दिखने वाली सीमा को शायद वो उस दिन जैक मा पार कर गए."
"मुझे लगता है ये उनके लिए चौंकाने वाला था. अगर उन्हें पता होता कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे, तो वो उस सीमा को पार नहीं करते."
फिर 20 जनवरी को मा एक चैरिटी इवेंट के वीडियो में दिखे. अगले महीने एक चीनी द्वीप पर वो गॉल्फ़ खेलते नज़र आए.
बुटरप के मुताबिक, "ऐसा लगता है, वो अभी खुद को दूर रख रहे हैं, और शायद यहीं करना सबसे सही है."
बड़े टेक सेक्टर पर नज़र
चीन की सरकार बड़ी टेक कंपनियों के रेग्यूलेशन को लेकर फिर से विचार कर रही हैं.
उन्होंने अलीबाबा के खिलाफ़ 'एंटी-मोनोपोली' नियम के अनुसार जांच भी बिठाई है.
पिछले हफ़्ते एक वॉचडॉग ने बताया था कि टेन्सेंट और बाइडू समेत 12 कंपनियों पर जुर्माना लगाया गया है. क़रीब 10 डील नियम के खिलाफ़ पाई गई हैं.
इसे टेक सेक्टर में बढ़ते विवाद के सिग्नल के तौर पर भी देखा जा रहा है.
अलीबाबा और चीन
ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिसर्चर समैंथा हॉफमैन के मुताबिक, "वहां पर पार्टी (कम्यूनिस्ट) की कमेटियां हैं जो ये याद दिलाती रहती हैं कि पार्टी के पास बहुत ताकत है, जैक मा जैसे ताकतवर लोगों से भी अधिक."
वो कहती हैं, "एक कंपनी को वो तो करना ही पड़ता है जो पार्टी चाहती है, लेकिन उनके पूछा जाए, तो वो इस बात को नहीं मांनेगे."
लेकिन कई जानकार कहते हैं कि विकसित देशों को अलीबाबा और चीन की दूसरी कंपनियों को सिर्फ राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
चीनी टेक न्यूज़लेटर चाइनीज़ कैरेक्टरेस्टिक्स की लेखक लिलियान ली कहती हैं, "चीन एक विकासशील देश है. मुझे लगता है कि विकासशील देशों को विकसित देशों के पैमाने पर नहीं तौलना चाहिए." (bbc.com)