संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : दुस्साहस से परे की जिंदगी, और सौ फीसदी सावधानी में ही रिश्तों में हिफाजत...
25-Mar-2021 5:42 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : दुस्साहस से परे की जिंदगी, और सौ फीसदी सावधानी में ही रिश्तों में हिफाजत...

तकरीबन हर दिन देश के किसी न किसी शहर से खबर आती है कि किसी करीबी ने धोखा दे दिया, और आपसी अंतरंग पलों के बनाये हुए वीडियो लीक कर दिए या पोस्ट कर दिए। इसके बाद कत्ल या खुदकुशी की नौबत आती है, पुलिस, जेल, कोर्ट, और सजा तो आम बात है ही। हालांकि मामले-मुकदमे बरसों तक चलते हैं, और जब तक कोई फैसला आता है, तब तक लोगों को ऐसी मौतों की खबर याद भी नहीं रहती। नतीजा यह होता है कि ऐसी हरकत पर क्या सजा मिलती है, यह सबक नहीं बन पाता। 

आज टेक्नालॉजी इतनी आसान हो गई है कि लोग अपने अंतरंग संबंधों की रिकॉर्डिंग भी निजी उत्तेजना के लिए, या कि बाद में मजा लेने के लिए कर बैठते हैं। इंटरनेट पर देखें तो जितने किस्म के वीडियो क्लिप तैरते हैं, उनमें से अधिकतर ऐसे रहते हैं जो कि आम लोगों ने अपने तक ही रखने के लिए बनाए थे, और वे अब बाजार में फैल रहे हैं। उत्तर भारत से तो ऐसी भी खबरें आती हैं कि वहां बलात्कार के वीडियो क्लिप कम्प्यूटर सेंटरों पर बिकते हैं। यह पूरा सिलसिला भयानक इसलिए है कि आज मोबाइल फोन की शक्ल में हर हाथ में एक कैमरा है, और जब लोग अपनी निजी इस्तेमाल के लिए खुद की ऐसी कोई फिल्म बनाते हैं, तो उन्हें उस वक्त उसके फैल जाने के खतरे का अंदाज भी नहीं रहता। कई ऐसे मामले भी रहते हैं जिनमें दो लोगों के बीच संबंध रहते हैं, और संबंध खराब होने पर जोड़ीदार को ब्लैकमेल करने के लिए लोग ऐसे वीडियो फैलाने की धमकी देते हैं, या फैलाते हैं।

आज सामान्य समझबूझ का इस्तेमाल करके लोगों को यह सावधानी बरतनी चाहिए कि वे अपने किसी नाजुक वक्त भी, अपने सबसे करीबी व्यक्ति के साथ भी ऐसी कोई रिकॉर्डिंग न करें जिसके लिए बाद में उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। लोगों के संबंध आज अच्छे रहते हैं, और बाद में बहुत खराब भी हो सकते हैं। जो लोग आग के इर्द-गिर्द सात फेरे लगाकर सात जन्म तक साथ रहने की कसमें खाते हैं, उन्हीं में से बहुत से लोग तलाक के लिए सात-सात बरस तक अदालत में धक्के भी खाते हैं, पुलिस में रिपोर्ट भी लिखाते हैं, और अनगिनत वारदातें ऐसी होती हैं जिनमें जीवन-साथी एक-दूसरे को मार भी डालते हैं। जब रिश्तों में इतनी हिंसा की नौबत आती है तो यह जाहिर है कि एक-दूसरे की वीडियो क्लिप फैला देना तो उसके मुकाबले छोटी हिंसा है और छोटा जुर्म है। 

लोगों को इंसानी रिश्तों पर जरूरत से अधिक भरोसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। जितने किस्म के राजनीतिक या सरकारी स्टिंग ऑपरेशन होते हैं, वे जान-पहचान के लोगों के किए हुए रहते हैं जो कि उस वक्त पर बड़े भरोसेमंद भी बनकर दिखाते हैं। इसलिए इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि अपने खुद के हितों से अधिक भरोसा किसी को किसी पर नहीं करना चाहिए। फिर बाकी बातों के साथ-साथ यह भी याद रखना चाहिए कि किसी वजह से आपकी अचानक मौत हो जाए, तो बाकी चीजों की विरासत के साथ-साथ फोन और कम्प्यूटर पर दर्ज आपके वीडियो आपके बच्चों को नसीब होते हैं, और उनकी बाकी पूरी जिंदगी आपकी यादों के साथ हिकारत से जीते हुए गुजरती है। इसलिए साफ-सुथरी जिंदगी, सौ फीसदी सावधानी में ही सुरक्षा है।  (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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