सामान्य ज्ञान

कीन्वा
02-Apr-2021 12:16 PM
कीन्वा

कीन्वा एक प्रकार का अनाज है। इसके  बीज सफेद, काले और लाल रंगों में मिलते हैं। इन्हें गेहूं या चावल के बदले इस्तेमाल किया जा सकता है, सलाद में मिलाया जा सकता है या फिर चाट में भी। सामान्य अनाज से अलग इनमें भारी मात्रा में प्रोटीन होता है, ये ग्लूटन मुक्त होते हैं, इनमें कई तरह के मिनरल होते हैं।  शरीर के लिए जरूरी सभी नौ प्रकार ने एमिनो एसिड भी होते हैं।
दक्षिण अमेरिका की एन्डीज पहाडिय़ो  पर आदिकाल से यह  एक वर्षीय पौधा उगाया जा रहा है ।  कीन्वा एक स्पेनिश शब्द है। यह  बथुआ कुल  का  सदस्य है  जिसका वानस्पतिक नाम  चिनोपोडियम किन्वा    है। यह घास कुल का सदस्य नहीं है इसलिए इसे कूट  अनाज  की श्रेणी में रखा गया है जिसमे  वक व्हीट, चौलाई आदि को भी  रखा गया  है। खाद्यान्नों से अधिक पौष्टिक और खाद्यान्नो जैसा उपयोग, इसलिए इसे महाअनाज कहा जाना चाहिए।   
तमाम खूबियो के कारण अब कीन्वा  एन्डीज की पहाड़ों  से निकलकर  उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, चीन, जापान और भारत में भी  सुपर बाजारों में उपस्थिति दर्ज करा चुकी  है और अमीर  लोगो  की पहली पसंद बनती जा रही है। अब इन देशो  में इसकी खेती को  विस्तारित करने प्रयोग हो  रहे है । पुरानी इन्कास सभ्यता में यह पवित्र अनाज कहा जाता था तथा वहां के  लोग  इसे मातृ-दाना  मानते थे जिसके  खाने से लंबा और स्वस्थ जीवन मिलता था।  
संपूर्ण प्रोटीन में धनी कीन्वा को  भविष्य का बेहतर अनाज (सुपर ग्रेन) माना जा रहा है । विश्व में इसकी खेती पेरू, बोल्विया और  इक्वाडोर  देशों  में नकदी फसल के  रूप में प्रचलित है । खाद्य एवं कृषि संगठन के  अनुसार संसार में इसे 86 हजार 303 हैक्टर में उगाया जा रहा है जिससे करीब 71 हजार 419 मेट्रिक टन पैदावार हो  रही है । अब इसके  क्षेत्रफल में तेजी से बढ़त हो  रही है ।
कीन्वा को  चावल की तह  उबाल कर खाया जा सकता है । दानो से आटा और दलिया बनाया जाता है । स्वादिष्ट नाश्ता, शूप, पूरी, खीर, लड्डू आदि विविध मीठे और  नमकीन व्यंजन बनाये जा सकते है । गेहूं और मक्का के  आटे के  साथ कीन्वाका आटा मिलाकर ब्रेड, बिस्किट, पास्ता आदि बनाये जाते है ।   वानस्पतिक प्रोटीन का सबसे बेहतर स्त्रोत  कीन्वा अनाज है जिसमें शरीर के लिए महत्वपूर्ण सभी दसों  आवश्यक अमीनो  अम्ल संतुलित अनुपात में पाए जाते हैं, जो  कि अन्य अनाज में नहीं पाए जाते  हंै । इसलिए यह शाकाहारियों  में लोकप्रिय खाद्य पदार्थ बन रहा है । कीन्वा के  100 ग्राम दानों में 14-18 ग्राम उच्च  गुणवत्तायुक्त प्रोटीन (44-77 प्रतिशत एल्ब्यूमिन व ग्लोब्यूलिन) पाई जाती है । कीन्वा के  दानो में पर्याप्त मात्रा में लाइसीन पाया जाता है ।
इसमें पर्याप्त मात्रा में घुलनशील और अघुलनशील रेशे  पाए जाने के कारण यह खून के  कोलेस्ट्राल, खून की शर्करा व रक्तचाप को  नियंत्रित करने में सहायक होता है । इसके अलावा इसमें  कैल्शियम भरपूर होता है।  वसा की मात्रा बहुत ही कम होती  है-(100 ग्राम दानो  में 4.86 ग्राम) होती है । इसके  वसा में असंतृप्त वसा (लिलोलिक व लिओलिनिक अम्ल) उच्च गुणवत्ता वाली मानी गई है । अत: यह न्यून कैलोरी वाला खाद्य है जिसे मोटापा नियंत्रित करने में प्रयोग किया जा सकता है । इसमें बी समूह-बीटा कैरोटिन व नियासिन(बी-3),राइबो फ्लेविन(बी-2), विटामिन-ई (अल्फा-टोको फिरोल) और  कैरोटिन अधिक मात्रा में पाई जाती है ।
 

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