सामान्य ज्ञान
एशिया की सबसे बड़े दूरबीन हैं -आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान या देवस्थल दूरबीन। यह उत्तराखंड में नैनीताल के पास देवस्थल में स्थित है।
यह दूरबीन भारत- बेल्जियम साझा प्रयास से बनाई गई है और रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेस ने इसमें सहायता प्रदान की थी। यह तमिलनाडु के कवालुर में स्थित एशिया की सबसे बड़ी जमीन पर स्थापित ऑप्टिकल दूरबीन वेणु बाप्पू वेधशाला की जगह लेगी।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान या देवस्थल दूरबीन एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ा दूरबीन है। इसका प्रयोग तारों की संरचनाओं और उनके चुंबकीय क्षेत्र की संरचनाओं के अध्ययन में किया जाएगा।
भारत ने इस दूरबीन को बनाने और इसमें दर्पण लागने के लिए 2007 में बेल्जियम की कंपनी का सहयोग लिया था।
3.6 मीटर चौड़े प्राथमिक दर्पण वाली यह दूरबीन अपने देखने वाले क्षेत्र से प्रकाश एकत्र करेगी और उसे 0.9 मी के सेकेंडरी दर्पण पर फोकस कर देगी जहां से यह विश्लेषण के लिए विभिन्न डिटेक्टरों पर मोड़ दिया जाएगा। यह पश्चिमी हिमालय की 2.5 किमी उंचाई वाली चोटी और नैनिताल से 50 किमी पश्चिम में अपेक्षाकृत अधिक लाभप्रद स्थिति में स्थापित है। यह तारों और तारा समूहों के भौतिक और रसायनिक गुणों, ब्लैक होल्स जैसे स्रोतों से निकलने वाले उच्च- ऊर्जा विकिरण और एक्सो- ग्रहों के गठन और उनके गुणों में प्रवेश करने में सक्षम हो जाएगी।