सामान्य ज्ञान
आज से ठीक 31 साल पहले भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने थे। राकेश शर्मा ने सेल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में 7 दिन 21 घंटे बिताए थे।
तीन अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सोयूज टी 11 में राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा गया था। अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाला 6 हजार 850 किलो वजनी स्पेस क्राफ्ट कजाखस्तान से रवाना हुआ था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो और रूस के सोवियत इंटरकॉसमॉस स्पेस प्रोग्राम के संयुक्त उपक्रम के तहत उन्हें भारत की ओर से पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया। वायु सेना के एक और अफसर विंग कमांडर रवीश मल्होत्रा को शर्मा के बैकअप के तौर पर चुना गया था।
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। वर्ष 1970 में वे भारतीय वायु सेना में बतौर पायलट अफसर शामिल हुए। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में राकेश शर्मा ने मिग विमान उड़ाया और अपने मिशन में सफलता हासिल की। राकेश शर्मा के साथ स्पेस क्राफ्ट में यूरी मालिशेव और गेनादी स्त्रेकलोव जैसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री सवार थे। दोनों को कई बार अंतरिक्ष में जाने का अनुभव था। उस वक्त राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने की खबर से पूरा देश गर्व में डूबा हुआ था।
लोगों में एक भारतीय के अंतरिक्ष में जाने को लेकर इतना उत्साह था कि वे रेडियो और दूरदर्शन के जरिए पल पल की खबर रख रहे थे। भारत के कई शहरों में उत्साह का ऐसा माहौल था जैसा अक्सर क्रिकेट के मैच में पाकिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद होता है। अंतरिक्ष केंद्र में रहते हुए राकेश शर्मा ने भारत पर केंद्रित पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने अंतरिक्ष केंद्र में लाइफ साइंसेज के अलावा कई अन्य प्रयोग भी किए। साथ ही उन्होंने गुरुत्वाकर्षण हीन वातावरण में योगाभ्यास भी किया। अंतरिक्ष में रहने के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा था कि ऊपर से भारत कैसा दिखता है। राकेश शर्मा ने जवाब दिया, सारे जहां से अच्छा। भारत में राकेश शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है इसके अलावा उन्हें सोवियत संघ के सर्वोच्च पुरस्कार हीरो ऑफ सोवियत यूनियन से भी नवाजा गया।