सामान्य ज्ञान

ब्लैक होल की दुनिया
03-Apr-2021 12:25 PM
ब्लैक होल की दुनिया

ब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं है, यह तो मरे हुए तारों के अवशेष हैं। करोड़ों, अरबों सालों के गुजरने के बाद किसी तारे की जिंदगी खत्म होती है और ब्लैक होल का जन्म होता है। यह तेज और चमकते सूरज या किसी दूसरे तारे के जीवन का आखिरी पल होता है और तब इसे सुपरनोवा कहा जाता है।
तारे में हुआ विशाल धमाका उसे तबाह कर देता है और उसके पदार्थ अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। इन पलों की चमक किसी गैलेक्सी जैसी होती है। मरने वाले तारे में इतना आकर्षण होता है कि उसका सारा पदार्थ आपस में बहुत गहनता से सिमट जाता है और एक छोटे काले बॉल की आकृति ले लेता है। इसके बाद इसका कोई आयतन नहीं होता लेकिन घनत्व अनंत रहता है। यह घनत्व इतना ज्यादा है कि इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। सिर्फ सापेक्षता के सिद्धांत से ही इसकी व्याख्या हो सकती है। यह ब्लैक होल इसके बाद ग्रह, चांद, सूरज समेत सभी अंतरिक्षीय पिंडों को अपनी ओर खींचता है। जितने ज्यादा पदार्थ इसके अंदर आते हैं इसका आकर्षण बढ़ता जाता है। यहां तक कि यह प्रकाश को भी सोख लेता है। सभी तारे मरने के बाद ब्लैक होल नहीं बनते। पृथ्वी जितने छोटे तारे तो बस सफेद छोटे छोटे कण बन कर ही रह जाते हैं। इस मिल्की वे में दिख रहे बड़े तारे न्यूट्रॉन तारे हैं जो बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाले पिंड हैं।
अंतरिक्ष विज्ञानी ब्लैक होल को उनके आकार के आधार पर अलग करते हैं। छोटे ब्लैक होल स्टेलर ब्लैक होल कहे जाते हैं जबकि बड़े वालों को सुपरमैसिव ब्लैक होल कहा जाता है। इनका भार इतना ज्यादा होता है कि एक एक ब्लैक होल लाखों करोड़ों सूरज के बराबर हो जाए.ब्लैक होल देखे नहीं जा सकते, इनका कोई आयतन नहीं होता और यह कोई पिंड नहीं होते। इनकी सिर्फ कल्पना की जाती है कि अंतरिक्ष में कोई जगह कैसी है। रहस्यमय ब्लैक होल को सिर्फ उसके आस पास चक्कर लगाते भंवर जैसी चीजों से पहचाना जाता है। 1972 में एक्स रे बाइनरी स्टार सिग्नस एक्स-1 के हिस्से के रूप मे सामने आया ब्लैक होल सबसे पहला था जिसकी पुष्टि हुई. शुरुआत में तो रिसर्चर इस पर एकमत ही नहीं थे कि यह कोई ब्लैक होल है या फिर बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाला कोई न्यूट्रॉन स्टार। सिग्नस एक्स-1 के बी स्टार की ब्लैक होल के रूप में पहचान हुई। पहले तो इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन स्टार के द्रव्यमान से ज्यादा निकला। दूसरे अंतरिक्ष में अचानक कोई चीज गायब हो जाती। यहां भौतिकी के रोजमर्रा के सिद्धांत लागू नहीं होते। यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के वैज्ञानिकों ने हाल ही में अब तक का सबसे विशाल ब्लैक होल ढूंढ निकाला है। यह अपने मेजबान गैलेक्सी एडीसी 1277 का 14 फीसदी द्रव्यमान अपने अंदर लेता है। ब्लैक होल के पार देखना कभी खत्म नहीं होता. ये अंतरिक्ष विज्ञानियों को हमेशा नई पहेलियां देते रहते हैं।
 

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