सामान्य ज्ञान
जब भोजन हमारे पेट में पहुंचता है तो वहां कई तरह के पाचक रस आकर मिलते हैं और उसका मंथन शुरु होता है। उसमें से प्रोटीन, शर्करा और चर्बी अलग होती है। फिर हमारे जिगर से निकला रस चर्बी को पचाता है। पेट से यह भोजन छोटी आंतों में पहुंचता है, जहां आंतों की दीवारें पोषक तत्वों को सोख लेती हैं। इस प्रक्रिया में कोई 6 से 8 घंटे लगते हैं। उसके बाद यह भोजन बड़ी आंतों में पहुंचता है, जहां पाचन क्रिया जारी रहती है, जो कुछ नहीं पच पाया उसे हमारे शरीर से निकलने में कोई 24 घंटे लगते हैं।
वैसे पाचन इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या खाया है। मांस को हजम करने और आंतों से बाहर निकलने में दो-तीन दिन लग जाते हैं, जबकि सब्जियों और फलों को कोई 12 घंटे लगते हैं।
अमरकोश
संस्कृत के कोशों में अमरकोश अति लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। इसे विश्व का पहला समान्तर कोश (थेसॉरस) कहा जा सकता है। इसकी रचनाकार अमरसिंह बताये जाते हैं। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। इसका कारण यह है कि भारत के प्राचीन पंडित पुस्तकस्था विद्या को कम महत्व देते थे। उनके लिए कोश का उचित उपयोग वही विद्वान् कर पाता है जिसे वह कंठस्थ हो। श्लोक शीघ्र कंठस्थ हो जाते हैं। इसलिए संस्कृत के सभी मध्यकालीन कोश पद्य में हैं।
अमरकोश का वास्तविक नाम अमरसिंह के अनुसार नामलिगानुशासन है। नाम का अर्थ यहां संज्ञा शब्द है। अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अव्यय भी दिए गए हैं, किन्तु धातु नहीं हैं। धातुओं के कोश भिझ होते थे ( काव्यप्रकाश, काव्यानुशासन आदि )। हलायुध ने अपना कोश लिखने का प्रयोजन कविकंठविभूषणार्थम् बताया है। अमरकोश में साधारण संस्कृत शब्दों के साथ-साथ असाधारण नामों की भरमार है।