राष्ट्रीय

कोरोना: कितनी कारगर है स्पुतनिक वी वैक्सीन
13-Apr-2021 7:04 PM
कोरोना: कितनी कारगर है स्पुतनिक वी वैक्सीन

रूस में ईजाद की गई स्पुतनिक वी वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल गई है. जानकारों को उम्मीद है कि इससे देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी मदद मिलेगी. जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ इस टीके के बारे में.

 डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट- 

भारत में जल्द ही कोरोना वायरस के खिलाफ कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा एक और वैक्सीन लोगों को लगनी शुरू हो जाएगी. रूस में ईजाद किए गए टीके स्पुतनिक वी को भारत में आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है. देश में दवाओं के राष्ट्रीय नियामक डीजीसीआई ने यह अनुमति दी है.

ध्यान देने लायक बात यह है कि इस टीके का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल अभी चल ही रहा है, इसलिए अभी इसके सीमित इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. हालांकि स्पुतनिक वी को कम से कम तीस देशों में कोरोना से बचाव के लिए लोगों को दिया जा रहा है. कई लोगों ने भारत में भी इसके इस्तेमाल की अनुमति का स्वागत किया है.

क्या अलग है स्पुतनिक वी में?

स्पुतनिक वी का पूरा नाम गैम-कोविड-वैक कंबाइंड वेक्टर वैक्सीन है. इसे रूसी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के शोध संस्थान गमालेया इंस्टिट्यूट ने ईजाद किया है. इसे फिलहाल 18 साल और उस से ज्यादा उम्र के लोगों को देने के लिए अनुमति दी गई है. टीका लेने वालों को इसकी दो खुराकें लेनी होंगी और दोनों खुराकों के बीच 21 दिनों का अंतर देना होगा. भारत के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इस समय दो टीके दिए जा रहे हैं - कोविशील्ड और कोवैक्सिन.

स्पुतनिक वी इन दोनों से अलग इसलिए है क्योंकि इसकी दोनों खुराकों में दो अलग अलग सामग्री का इस्तेमाल होता है. इनमें दो अलग अलग किस्म के एडिनोवायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है, जबकि बाकी दोनों वैक्सीनों में एक ही वेक्टर का इस्तेमाल होता है. दो एडिनोवायरस वेक्टर के इस्तेमाल से शरीर में ज्यादा लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रहती है. इससे पहले इसी रूसी संस्थान ने इबोला वायरस बीमारी के लिए भी इसी तर्ज पर टीका बनाया था.

यह कोरोना से कितनी सुरक्षा देती है?

पिछले साल अगस्त में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पुतनिक वी की घोषणा की थी, तो उस समय वैज्ञानिक समुदाय ने इसकी आलोचना की थी और कहा था कि इसे बनाने में जो जल्दबाजी और गोपनीयता बरती गई है उसकी वजह से इस पर भरोसा करना मुश्किल है. लेकिन बाद में रूस में इसका तीसरे चरण का ट्रायल किया गया और इसके नतीजे विज्ञान की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'साइंस' में छपे.

इन नतीजों में दावा किया गया कि यह कोविड-19 से 91.6 प्रतिशत सुरक्षा देती है. तुलना के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों की सुरक्षात्मकता 80 से अधिकतम 90 प्रतिशत तक पाई गई है. इसके अलावा अभी तक कहीं भी इसके कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं पाए गए हैं. 

यह भारत में कब से मिलेगी?

भारत में डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेट्रीज कंपनी इसे बना रही है. डॉक्टर रेड्डीज के अलावा रूस ने भारत में पांच दवा कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, जिनमें ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पनाशिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा और वरचो बायोटेक शामिल हैं. उम्मीद है कि सभी कंपनियां एक साल में कुल मिला कर 85 करोड़ खुराकें बनाएंगी.

दावा किया जा रहा है कि अप्रैल के अंत तक टीके की सीमित मात्रा में खुराकें उपलब्ध करा दी जाएंगी, यानि टीकाकरण कार्यक्रम में इसे शामिल किए जाने में अभी कुछ हफ्तों का इंतजार बाकी है. (dw.com)

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news