राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 15 अप्रैल। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार शाम एक ट्वीट करके कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के फ़ैसले का विरोध किया और बाकी सभी सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग की है.
अपने ट्वीट में ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि कोरोना संक्रमण के तेज़ी से बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए बाकी बचे चरणों का मतदान एक ही चरण में कराया जाए.
ममता बनर्जी का कहना है कि एक चरण में बाकी मतदान कराने से लोगों को कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बचाया जा सकेगा.
ममता बनर्जी के इस ट्वीट के पहले तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के फ़ैसले को इलेक्शन कमीशन की ''आपराधिक लापरवाही'' बताया था.
इससे पहले, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम ने बुधवार को घोषणा की थी कि वो कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र कोई भी बड़ी रैली का आयोजन नहीं करेंगे.
देश में पाँच राज्यों में चुनाव की घोषणा फ़रवरी के अंत में हुई थी. पश्चिम बंगाल को छोड़ कर बाक़ी के चार राज्यों (असम, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी) में चुनाव ख़त्म हो चुके हैं.
इस बीच अलग-अलग मीम्स और जोक्स से आपके फ़ोन भी पटे पड़े होंगे, जहाँ कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस चुनाव से डरता है और इस वजह से चुनाव वाले राज्यों में नहीं जाता.
पश्चिम बंगाल में अभी चार चरणों के चुनाव बचे हैं. भारत में कोरोना के नए मामले रोज़ अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. ऐसे में जनता सवाल पूछ रही है कि नाइट कर्फ़्यू और सारी पाबंदियाँ केवल जनता पर क्यों लागू की जा रही है. राजनीतिक रैलियों में इनका पालन क्यों नहीं हो रहा?
ऐसा में सवाल उठता है कि आख़िर कोविड प्रोटोकॉल का पालन इन चुनावों में हो, इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है? आप में से कई लोग सोच रहे होंगे, नेताओं की. कई लोगों का जवाब हो सकता है लोगों की. कई का जवाब हो सकता है चुनाव आयोग का.
नैतिकता के आधार पर सबकी जवाबदेही ज़रूर है. लेकिन नियम अगर कुछ हैं, तो उसका पालन हो रहा है या नहीं, इसकी ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. (bbc.com/hindi)