संपादकीय

'छत्तीसगढ़' का संपादकीय : कोरोना के बीच, और कोरोना से परे ऐसी मुसीबत की भी सोचें....
16-Apr-2021 1:10 PM
 'छत्तीसगढ़' का संपादकीय : कोरोना के बीच, और कोरोना से परे ऐसी मुसीबत की भी सोचें....

कोरोना को देखकर यह लगता है कि हिंदुस्तान अभी एक ऐसी मंझधार में फंसा हुआ है जिसका कोई ओर-छोर नहीं है। बीमारी और बंद का यह दौर जब तक चलेगा, तब तक लोगों का रोजगार खत्म रहेगा, और कोरोना पहले खत्म होगा या लोग पहले खत्म होंगे, इनमें से किसी भी बात का कोई ठिकाना नहीं है। ऐसे में ना तो वैक्सीन के असर का कोई अंदाज लग रहा है, न ही यह समझ पड़ रहा है कि वैक्सीन कब तक हासिल होगी, और फिर उसे रिपीट कब करना होगा। एक अंदाज यह भी है कि यह वैक्सीन हर बरस लगवानी होगी, तब तक, जब तक कि कोरोना वायरस पूरी तरह से चल ना बसे।

लेकिन जिन लोगों को कोरोना के मौजूदा खतरे का अंत दिख रहा है उन्हें यह भी सोचने की जरूरत है कि कोरोना वायरस से अधिक बुरी, अधिक जानलेवा कोई बीमारी भी आ सकती है, और बीमारियों से परे की भी कोई मुसीबत आ सकती है। पिछले बरस जब कोरोनावायरस, और लॉकडाउन की मुसीबत चल रही थी उस वक्त भी हमने इसी जगह पर यह लिखा था कि जैसा वायरस आज इंसानी देह को खत्म करने के लिए आया हुआ है, वैसा ही जानलेवा वायरस कंप्यूटरों के लिए भी आ सकता है। और सच तो यह है कि दुनिया के बहुत से देशों के पास आज ऐसे साइबर अटैक की ताकत है, जिसके मुकाबले हिंदुस्तान जैसे देश अपने को बचाने में शायद बहुत मजबूत साबित नहीं होंगे। वैसे भी आज दुनिया के कुछ सबसे बड़े कंप्यूटर कारोबार पर जिस तरह के साइबर अटैक हो रहे हैं, और एक-एक बार में दसियों लाख लोगों की जानकारियां लूट ली जा रही हैं, उसे देखते हुए भारत जैसे कंप्यूटर मामलों के लापरवाह देश की नाजुक हालत का अंदाज लगाया जा सकता है। अभी कुछ महीने पहले ही यह खबर आई थी कि आंध्र और तेलंगाना के बिजलीघरों की कंप्यूटर प्रणाली पर दूसरे किसी देश से साइबर अटैक की, साइबर घुसपैठ की शिनाख्त हुई है, और उस सिलसिले में चीन का नाम लिया गया था। चीन आज दुनिया की बिरादरी में एक शैतान बच्चे की तरह मान लिया गया है कि कहीं कुछ गलत हो रहा है तो उसमें चीन का हाथ जरूर होगा। 

दूसरी तरफ अमेरिका में अगर चुनाव को प्रभावित करने की विदेशी घुसपैठ हो हो रही है तो उसके रूसी अधिक होने का खतरा है। फिर हॉलीवुड की फिल्मों में परमाणु हथियारों के साथ अगर कोई साजिश होती है तो उसके पीछे कोई महत्वोन्मादी खरबपति कारोबारी होता है जिसे कि पूरी दुनिया पर काबू करने की हसरत रहती है। अगर कोई गिरोह ऐसा करता है तो वह तो वह साइबर घुसपैठ की ताकत भी रख सकता है, परमाणु हथियार भी रख सकता है और किसी देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम तक भी पहुंच रख सकता है। अगर पाकिस्तान की जमीन से ऐसी साजिश की कल्पना की जाती है, तो उसके पीछे वहां के धर्मांध आतंकियों का हाथ माना जाता है। अब सवाल यह है कि जब दुनिया में इतने किस्म की साजिशें हो सकती हैं, हो रही है, और लगातार साइबर घुसपैठ भी बैंकों को लूट रही है, तो ऐसे में हिंदुस्तान कब तक महफूज रहने जा रहा है? 

यह समझने की जरूरत है कि आज कोरोना के बीच इस देश के नेताओं की मेहरबानी से इस देश का जो हाल हुआ है, वही हाल कोई कंप्यूटर वायरस, या हमला, किसी देश की सार्वजनिक व्यवस्थाओं से जुड़े कंप्यूटरों का क्यों नहीं कर सकता? जिस तरह आज इस देश में कोरोनावायरस आया, अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान पर चढ़कर आया, और हिंदुस्तान में राजकीय अतिथि बनकर आया, कोई ऐसी नौबत दूर नहीं है कि ऐसा कोई कंप्यूटर वायरस फिर किसी रास्ते से सरकार की बेखबरी से हिंदुस्तान में आ जाए और तबाही मचा दे। एक ऐसी नौबत की कल्पना सबको जरूर करनी चाहिए जिसमें बैंकों के कंप्यूटर ध्वस्त हो जाएं, नतीजतन एटीएम बंद हो जाए, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल बंद हो जाए, ट्रेन और प्लेन के रिजर्वेशन खत्म हो जाएं, आधार कार्ड से जुड़ी तमाम जानकारियां खत्म हो जाएं, बिजलीघरों का पूरा इंतजाम चौपट हो जाए, अगर ऐसा कोई दिन आएगा तो क्या होगा? रेलगाड़ियों की आवाजाही, उनके सिग्नल, प्लेन का उड़ना या उतरना, यह सब खत्म हो जाए, मोबाइल फोन और इंटरनेट खत्म हो जाए तो क्या होगा? 

आज कोरोना की वजह से आबादी का एक हिस्सा मौत की कगार पर है, लेकिन बाकी आबादी कुछ या अधिक हद तक कई किस्मों के काम कर पा रही है। अगर कोई कंप्यूटर वायरस, या कंप्यूटर हमला ऊपर लिखी तमाम बातों को खत्म कर दे तो क्या उससे यह देश बरसों तक उबर पाएगा? और यह नौबत फिल्मी नहीं है, यह हकीकत के अधिक करीब है और फिर ऐसे हमलावर ऐसी जानकारियों से आगे भी जा सकते हैं कि वे इस देश को कैसे अधिक तबाह करें। दुनिया में साइबर अटैक से सबसे अधिक सुरक्षित देशों में से एक अमेरिका के एक प्रदेश में अभी कुछ हफ्ते पहले ही एक जानलेवा साइबर अटैक हुआ। वहां लोगों के घरों तक पहुंचने वाले पीने के पानी को साफ करने वाले कारखाने में कंप्यूटरों से छेड़खानी करके कुछ रसायनों को इतनी अधिक मात्रा में पानी में घोल दिया गया कि अगर वह पानी लोग पी लेते, तो बड़ी संख्या में मौतें हो सकती थी। लेकिन वक्त रहते यह साइबर हमला पकड़ा गया। 

आज जो हिंदुस्तान एक दवा ठीक से नहीं बांट पा रहा है, और जैसे जीवनरक्षक इंजेक्शन बांटना एक राजनीतिक शोहरत का मुद्दा बना लिया गया है, वह हिंदुस्तान ऐसे किसी भी साइबर अटैक का सामना करने के लिए बिल्कुल भी तैयार देश नहीं है। ऐसे किसी हमले के बाद कुछ हिंदुस्तानी, चीनी झंडे जलाकर इस हमले का सामना करने लगेंगे, और कुछ हिंदुस्तानी, पाकिस्तानी झंडे जलाकर। लेकिन हिंदुस्तानी फौज हो सकता है कि ऐसे किसी साइबर हमले के बाद कोई हवाई, या जमीनी हमला करने के लायक बच भी ना जाए। आज जब हम कोरोना के हमले से ही उबरने की ताकत नहीं रख रहे हैं तब ऐसे किसी दूसरे हमले के बारे सोचना कुछ लोगों को महज एक दिमागी शगल लग सकता है, लेकिन दुनिया पर आने वाली मुसीबतों का अंदाज ऐसे शगल से ही लगाया जा सकता है. इसलिए आज जितनी सफाई और सावधानी की जरूरत लग रही है, उतनी ही सावधानी इस देश के कंप्यूटर सिस्टम को लेकर भी बरतनी चाहिए। दुनिया का साइबर जुर्म का इतिहास बताता है कि ऐसे हमलों के लिए किसी देश की सरकारी साइबर फौज जरूरी नहीं रहती, दुनिया में अकेले काम करने वाले कोई नौजवान भी एक लैपटॉप लेकर दुनिया पर ऐसी तबाही लाने की ताकत रखते हैं. (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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