राष्ट्रीय
लखनऊ, 16 अप्रैल | कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तर प्रदेश में हाहाकार मचा रखा है। इस महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं धड़ाम हो चुकी हैं। इलाज के अभाव में बीमारी का प्रसार लगातार बढ़ता जा रहा है। अव्यवस्था का आलम यह है कि संदिग्ध मरीज को जांच कराने के बाद रिपोर्ट के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। लखनऊ अशियाना के रहने वाले शुभम गुप्ता बता रहे हैं कि 11 अप्रैल को उनके पिता को कोविड हुआ था। अस्पताल में भर्ती न होने के कारण उन्हें तीमारदारी करनी पड़ी। इसके बाद वह भर्ती हो गये। उसी दिन शुभम को संक्रमण के कुछ लक्षण नजर आए तो उन्होंने चंदरनगर की टीम से अपने पूरे परिवार की आरटीपीसीआर जांच कराई थी। जिसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आयी है।
यातायात पार्क लखनऊ के रहने वाले उमेश सिंह व उनकी पत्नी पद्मा को सर्दी-जुकाम के लक्षण थे। उन्होंने अपनी जांच 12 अप्रैल को लोकबंधु में करवाई जिसकी रिपोर्ट उन्हें अभी तक नहीं मिली है। उन्हें संक्रमण का अंदेशा दिखने के कारण जब रिपोर्ट में देरी लगी तो वह प्राइवेट लैब पहुंचे, वहां पर हलात और भी खराब थे। उन्होंने बताया कि दो लैबों में करीब 100-100 की लाइन देखकर वह लौट आए फिर उन्होंने अपनी जांच अपोलों में करवाई जिसकी रिपोर्ट आनी बांकी है।
इसी प्रकार पीजीआई के रहने वाले अभिषेक चन्द्रा बताते हैं कि उन्हें 13 अप्रैल बुखार और स्वाद नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए वे प्राइवेट जांच कराने निकले, लेकिन वहां भीड़ देखकर वह लौट आए कुछ लैबों में तो जांच भी बंद थी। उन्होंने बताया कि उनके बगल के एक व्यक्ति जांच कराने गये थे। वह कई घंटे बाद वापस लौटे थे। इतनी देर लाइन में लगना भी घातक है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना जांच रिपोर्ट अधिकतम समय 24 घंटे में आ जाती है। अगर ज्यादा व्यस्तता है तो 48 इससे ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। अगर संदिग्ध कोरोना जांच के अभाव में बाहर निकलेगा तो वह अपने साथ कई लोगों को चपेट में आ सकता है। इसलिए संदिग्ध व्यक्ति भी जब तक जांच न हो जाए तब तक बाहर न निकले तो उसके लिए अच्छा रहेगा।
उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि वर्तमान समय में केसों की संख्या अधिक है इसीलिए जांच रिपोर्ट आने में समय लग रहा है। जैसे केस कम होंगे वैसे रिपोर्ट भी समय आने लगेगी। इस पर तेजी से काम हो रहा है।(आईएएनएस)