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अफ़ग़ानिस्तान युद्ध अमेरिका को कितना महंगा पड़ा है?
16-Apr-2021 8:35 PM
अफ़ग़ानिस्तान युद्ध अमेरिका को कितना महंगा पड़ा है?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वो चाहते हैं कि सभी अमेरिकी सैनिक 11 सितंबर से पहले अफ़ग़ानिस्तान से वापस आ जाएं. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की एक मई 2021 की समयसीमा को आगे बढ़ा दिया है.

बाइडन ने कहा है, 'अब अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने का समय आ गया है.'

ये युद्ध साल 2001 में शुरू हुआ था.

अमेरिका ने कितने सैनिक अफ़ग़ानिस्तान भेजे थे?

अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बाहर करने के लिए अक्तूबर 2001 में अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण किया था. अमेरिका का आरोप था कि अफ़ग़ानिस्तान ओसामा बिन लादेन और अल-क़ायदा से जुड़े दूसरे लोगों को पनाह दे रहा है. अमेरिका इन्हें ही सितंबर 2001 के हमले के लिए ज़िम्मेदार मानता है.

अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान से लड़ने के लिए अरबों डॉलर ख़र्च किए और बड़ी संख्या में सैनिक भेजे. अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में पुनर्निर्माण पर भी भारी ख़र्च किया है.

पिछले साल दिसंबर तक अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या चार हज़ार ही रह गई थी. इस साल सैनिकों की संख्या और भी कम हो गई है.

हालांकि अमेरिका के अधिकारिक डाटा में स्पेशल ऑपरेशन फ़ोर्सेज़ और दूसरी अस्थाई यूनिटों की सही संख्या ज़ाहिर नहीं की जाती है.

युद्ध के दौरान एक समय अमेरिकी सैनिकों की संख्या एक लाख दस हज़ार तक पहुँच गई थी.

वहीं अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी के लिए निजी सुरक्षा कॉंट्रेक्टर भी अच्छी ख़ासी तादाद में काम कर रहे हैं. अमेरिकी कांग्रेस की रिसर्च के मुताबिक़ साल 2020 की अंतिम तिमाही में 7800 अमेरिकी नागरिक अफ़ग़ानिस्तान में थे.

अमेरिकी सेना ने जब अपना ध्यान आक्रामक कार्रवाइयों के बजाए अफ़ग़ानिस्तानी सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण में लगाया तो अमेरिका के ख़र्च में भारी गिरावट आई.

अमेरिकी सरकार के डाटा के मुताबिक़ साल 2010 से 2012 के बीच जब अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या एक लाख को पार कर गई थी, अफ़ग़ान युद्ध पर अमेरिका का सालाना ख़र्च सौ अरब डॉलर को पार कर गया था.

वहीं 2018 में सालाना ख़र्च 45 अरब डॉलर था. उस साल रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने अमेरिकी कांग्रेस को ये जानकारी दी थी.

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान युद्ध पर अक्तूबर 2001 से सितंबर 2019 के बीच 778 अरब डॉलर ख़र्च हुए.

इसके अलावा अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय संस्था यूएस एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवेलपमेंट (यूएसएड) के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान में विकास परियोजनाओं पर 44 अरब डॉलर ख़र्च किए हैं.

अमेरिका के अधिकारिक डाटा के मुताबिक़ साल 2001 से 2019 के बीच अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में कुल 822 अरब डॉलर ख़र्च किए. हालांकि इन आंकड़ों में पाकिस्तान में ख़र्च किया गया पैसा शामिल नहीं हैं.

अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में अपने सैन्य अभियानों के लिए पाकिस्तान को एक अड्डे की तरह इस्तेमाल किया है.

अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अमरीकी ख़र्च पर ब्राउन यूनिवर्सिटी में साल 2019 में हुए एक शोध के मुताबिक़ अमेरिका ने लगभग 978 अरब डॉलर ख़र्च किए हैं. ब्राउन यूनिवर्सिटी के आकलन में वित्तीय वर्ष 2020 के लिए जारी की गई रक़म भी शामिल है.

इस शोध में ये भी कहा गया है कि ख़र्च का सही आकलन करना मुश्किल है क्योंकि सरकार के अलग-अलग विभागों में ख़र्चों की गणना अलग-अलग तरह से की जाती है. समय के साथ तरीक़े बदलते भी हैं जिससे भी आकलन पर असर होता है.

इतना पैसा गया कहां है?
अफ़ग़ानिस्तान में अधिकतर पैसा चरमपंथ विरोधी अभियानों और सैनिकों की ज़रूरतों पर ख़र्च किया गया है जिसमें उनका खाना-पीना, मेडिकल केयर, विशेष वेतन और रहने की व्यवस्था आदि शामिल हैं.

हालांकि, अधिकारिक डाटा से पता चलता है कि साल 2002 के बाद से अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में पुनर्निर्माण गतिविधियों पर 143.27 अरब डॉलर ख़र्च किए हैं.

इनमें से लगभग आधा पैसा अफ़ग़ानिस्तान के सुरक्षा बलों पर ख़र्च किया गया है जिसमें अफ़ग़ान नेशनल आर्मी और पुलिस बल शामिल हैं.

लगभग 36 अरब डॉलर अफ़ग़ान सरकार और विकास योजनाओं के लिए दिए गए हैं. इसके अलावा ड्रग तस्करी के ख़िलाफ़ और मानवीय मदद पर भी ख़र्चा हुआ है.

इतने सालों के दौरान कुछ पैसा भ्रष्टाचार, घोटालों और दुरुपयोग में भी बर्बाद हुआ है.

अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के पुनर्निर्माण प्रयासों पर नज़र रखने वाली एजेंसी ने अक्तूबर 2020 में अमेरीकी कांग्रेस में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मई 2009 से दिसंबर 2019 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में 19 अरब डॉलर का नुक़सान भी हुआ.

और युद्ध की मानवीय क़ीमत का क्या?
2001 में तालिबान के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू होने के बाद से 2300 से अधिक अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में जान गंवा चुके हैं जबकि 20660 सैनिक लड़ाई के दौरान घायल भी हुए हैं.

लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों और सुरक्षा बलों के नुक़सान के सामने अमेरिकी आंकड़ें कुछ भी नहीं हैं.

राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने साल 2019 में कहा था कि उनके राष्ट्रपति बनने के पाँच सालों के भीतर अफ़ग़ानिस्तानी सुरक्षा बलों के 45 हज़ार से अधिक जवानों ने अपनी जान गंवाई है.

ब्राउन यूनिवर्सिटी के साल 2019 के शोध के मुताबिक़ अक्तूबर 2001 में युद्ध शुरू होने के बाद से 64100 से अधिक अफ़ग़ानिस्तानी सैनिक और पुलिसकर्मी मारे गए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन के मुताबिक साल 2009 में आंकड़े इकट्ठा करने की शुरुआत के बाद से अब तक 111000 से अधिक अफ़ग़ानिस्तान नागरिक मारे गए हैं. (bbc.com)

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