अंतरराष्ट्रीय
-करिश्मा वासवानी
बीते सप्ताहांत पर चीन के बड़े अरबपति ई-कॉमर्स बिजनेस कंपनी अलीबाबा पर चीन की सरकार ने 2.8 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया, कंपनी पर आरोप लगाया गया कि कंपनी ने सालों से बाज़ार में अपनी जगह और क़द का दुरुपयोग किया.
सोमवार को अलीबाबा की सहयोगी कंपनी एंट डिजिटल पेमेंट फ़र्म ने चीनी नियामकों के दबाव में कंपनी की 'नई योजना की घोषणा' की जिसके तहत ये कंपनी एक टेक फ़र्म की तुलना में एक बैंक की तरह कार्य करेगी.
मंगलवार को चीन की 34 टेक कंपनियों के प्रमुखों को चीनी नियामक के अधिकारियों ने समन किया और चेताया कि अलीबाबा इन कंपनियों के लिए एक सबक़ है.
इन कंपनियों को एक महीने का वक़्त दिया गया है ताकि वे 'सोचें-समझें' और प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों के लिए बनाए गए चीन के नए नियमों का अनुपालन करें.
ऐसे में अलीबाबा पर जुर्माना लगाना और उसे सरेआम फटकार लगाना अन्य टेक कंपनियों के लिए एक चेतावनी की तरह थी.
अलीबाबा की जाँच में सरकारी अधिकारियों ने पाया है कि उसने व्यापारियों को व्यापार करने या प्रतिद्वंद्वी प्लेटफार्मों पर अपना प्रमोशन करने से रोका और बाज़ार में अपनी स्थिति का सालों तक दुरुपयोग किया.
इसके एवज़ में कंपनी की साल 2019 में हुई कुल घरेलू आय का चार फ़ीसद हिस्सा जुर्माने के तौर पर कंपनी को देना होगा.
इस इंडस्ट्री की बाक़ी कंपनियों ने बीबीसी संवाददाता को बताया कि इस वक़्त वे 'काफ़ी चिंता' में हैं और उन्हें डर है कि अगला निशाना वो होंगे.
टेंसेंट, जेडी डॉट कॉम, माइचुन, बाइटडांस और पिनडुओडुओ जैसी कंपनियां सभी अलीबाबा को देखते हुए अब काफ़ी सोच-समझ क़दम रख रही हैं.
अलीबाबा पर लगने वाला जुर्माना चीन की तेज़ी से बढ़ती टेक इंडस्ट्री पर अधिक से अधिक लगाम लगाने की कोशिश है. कई लोगों के लिए ये एक अच्छा संकेत है और वे मानते है कि बाज़ार अब परिपक्व हो गया है.
चीन की टेक विश्लेषक और पॉडकास्ट टेक बज़ चाइना की को-होस्ट रुई मा कहती हैं, ''यदि आप क़ानूनों को पढ़ते हैं, तो पाएंगे कि चीनी नियामक इस इंडस्ट्री को विनियमित करने की कोशिश कर रही है, तेज़ी से आगे बढ़ती इस इंडस्ट्री के लिए ये कोशिश तेज़ी से की जा रही है.''
''अब ये लोग ना सिर्फ़ मार्केट शेयर के लिए एल्गेरिदम का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि इस प्लेटफ़ॉर्म की अर्थव्यवस्था को भी समझने की कोशिश में लगे हैं जैसा कि अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाएं करती हैं. ''
लेकिन इसे राजनितिक क़दम के तौर पर देखा जा रहा है.
इन कंपनियों ने चीनी लोगों के लिए एक वर्चुअल दुनिया बना दी है और लोगों की ज़िंदगियों पर इनका गहरा असर भी है. लेकिन ऐसा ही असर लोगों की ज़िंदगियों पर कम्युनिस्ट पार्टी का भी है ऐसे में टेक कंपनी और पार्टी के बीच सीधे प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है.
चीन के वित्तीय हलक़ों के सूत्रों ने बताया है कि उन्हें संदेह है कि जैक मा के पिछले साल दिए गए पारंपरिक बैंकिंग क्षेत्र को ख़ारिज करने वाले भाषण ने "बीजिंग के कई शीर्ष नेताओं को नाराज़ किया था.''
इस भाषण के बाद जैक मा की कंपनी अलीबाबा और एंट ग्रुप की सरकारी मीडिया ने आलोचना की थी, इसके बाद जैक मा और उनकी टीम को समन किया गया था और बहुप्रतिक्षित एंट ग्रुप के शेयर मार्केट लॉन्च को भी रद्द कर दिया गया था.
इस पूरे मामले पर क़रीब से नज़र रखने वाले लोगों ने बीबीसी संवाददाता से बताया है कि जैक मा ने जो कुछ भी अपने उस भाषण में कहा था वह उन्हें काफ़ी मंहगा पड़ा.
इस सप्ताह हुई निवेशकों की एक बैठक में अलीबाबा के एग्ज़िक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट जो साई ने कहा कि ''नियामकों की ओर से जो हुआ...ये हमें एक स्क्रूटनी जैसा महसूस हुआ और हम इस मुद्दे को भुलाकर आगे बढ़ गए हैं. ये एक वैश्विक ट्रेंड हैं जहां नियामकों को लगता है कि प्रतिस्पर्धा अनुचित है वह उस दिशा में जाँच करते हैं.''
'अनियमित' ढंग से आगे बढ़ा चीनी टेक बाज़ार
चीनी टेक कंपनियों का जन्म और विकास ऐसे समय में हुआ जब इससे जुड़े कोई नियम-क़ायदे नहीं थे.
ये पूरा सेक्टर बिना किसी क़ानून के संचालित किया जा रहा था. लंबे वक़्त तक सरकार ने इसे बढ़वा भी दिया.
चीनी क़ानूनों की जानकार और हांगकांग विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ोसर एंजेला झांग बताती हैं कि चीन की सरकार ने नए ऐसे बिज़नेस और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्कीम भी लॉन्च की थी.
वह कहती हैं, ''पहले नियामकों का रवैया ढीला था, उन लोगों ने ऐसे नियम बनाए जो टेक कंपनियों के प्रति थोड़े नरम थे.''
लेकिन अब मामला बदल रहा है अब चीन ने इन कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश तेज़ कर दी है.
प्रोफ़ेसर झांग का कहना है कि चीन इस क्षेत्र में लगाम लगाने का इच्छुक है लेकिन वह अर्थव्यवस्था के सुनहरे मौक़े को ख़त्म नहीं करना चाहेगा.
वह कहती हैं, ''चीन में एक कहावत है- चूज़ों को मारकर बंदर को डराना. इस मामले में यही हो रहा है, यहां अलीबाबा को अन्य कंपनियों के लिए एक उदाहरण की तरह पेश किया गया है और उन्हें एक सबक़ सिखाया गया है.''
यक़ीनन चीन का नेतृत्व चाहता है कि देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो और वृद्धि इनका मुख्य उद्देश्य भी है.
अलीबाबा के अनुभव से बाक़ी टेक कंपनियों के लिए ये तय होगा कि वह आगे से नियामकों के बनाए नियमों पर चले और उनके क़ाबू में रहें.
रुई मा भी इससे सहमत दिखती हैं. वह कहती हैं कि नियमों के आने से छोटी कंपनियों को बढ़ने में मदद मिलेगी जिसे अब तक इस दुनिया के बड़े खिलाड़ी आगे बढ़ने नहीं दे रहे थे.
वह कहती हैं, ''छोटी कंपनिया नए नियमों के समर्थन में हैं, उन्हें लगता है कि इससे नई और छोटी कंपनियों को आगे बढ़ने का मौक़ा मिलेगा जो इससे पहले नहीं मिलता था." (bbc.com)