सामान्य ज्ञान
महासागर खनिजों के विशाल भंडार हैं। खनिज केवल महासागरों के नितल में ही नहीं मिलते बल्कि सागरीय जल के सक्रिय घोलक होने से कई प्रकार के खनिज इसमें घुली अवस्था में भी मिलते हैं जैसे कि सोडियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, सोडियम सल्फेट, कैल्शियम क्लोराइड आदि। घुले हुए लवणों के कारण समुद्र जल का स्वाद नमकीन होता है।
समुद्रों में प्रति इकाई शुद्ध पानी घुले हुए नमक का अनुपात लवणता कहलाता है। महासागरीय जल में सोडियम , पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम के क्लोराइड और सल्फेटों की उपस्थिति से सागरीय जल लवणीय होता है। समुद्री जल में घुले हुए तत्वों में सबसे अधिक मात्रा क्लोरीन की होती है। पानी की इस लवणता के लिए उत्तरदायी सबसे महत्वपूर्ण यौगिक सोडियम क्लोराइड होता है। एक महासागर से दूसरे महासाहर की लवणता में भिन्नता पाई जाती है। समुद्री जल में औसत लवणता लगभग 34.5 प्रति हजार (एक हजार इकाई जल में 34.5 इकाई नमक) होती है यानी 1 किलो ग्राम समुद्री जल में 34.5 ग्राण लवण उपस्थित होते हैं।
कल युग
आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3109 ई. पू. में हुआ था और उसके अंत के साथ ही कल युग का आरंभ हो गया। इसे कलि युग भी कहते हैं।
कुछ विद्वान कलियुग का आरंभ महाभारत युद्व के 625 वर्ष पहले से मानते हैं। फिर भी सामान्यत: यही विश्वास किया जाता है कि महाभारत युद्ध के अंत, श्री कृष्ण के स्वर्गारोहण और पांडवों के हिमालय में गलने के लिए जाने के साथ ही कलि युग का आरंभ हो गया। इस युग के प्रथम राजा परीक्षित हुए। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3109 ई. पू. में हुआ था और उसके अंत के साथ ही कलि युग का आरंभ हो गया।