सामान्य ज्ञान
कार्नेलिया सोराबजी (1866-1954) को भारत की पहली महिला बैरिस्टर होने का श्रेय प्राप्त है। वे समाज सुधारक तथा लेखिका भी थीं।
15 नवम्बर 1866 को नासिक में जन्मीं कार्नेलिया 1892 में नागरिक कानून की पढ़ाई के लिए विदेश गई और 1894 में भारत लौटीं। उस समय समाज में महिलाएं मुखर नहीं थीं और न ही महिलाओं को वकालत का अधिकार था, पर कार्नेलिया ने अपनी प्रतिभा की बदौलत महिलाओं को कानूनी परामर्श देना आरंभ किया और महिलाओं के लिए वकालत का पेशा खोलने की मांग उठाई।
वर्ष 1907 के बाद कार्नेलिया को बंगाल, बिहार, उड़ीसा (अब ओडिशा) और असम की अदालतों में सहायक महिला वकील का पद दिया गया। एक लम्बी जद्दोजहद के बाद 1924 में महिलाओं को वकालत से रोकने वाले कानून को शिथिल कर उनके लिए भी यह पेशा खोल दिया गया। 1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवानिवृत्त हुईं।ं उन्होंने समाज सुधार तथा कानूनी कार्य के अलावा अनेक पुस्तकों, लघुकथाओं एवं लेखों की रचना भी कीं।