अंतरराष्ट्रीय
चीन की मुख्य भूमि के कई लोग उन्हें 'गद्दार' मानते हैं, जबकि हांगकांग में लोग उन्हें नायक के रूप में देखते हैं.
सच चाहे जो हो लेकिन ये तो तय है कि जिम्मी लाई आसानी से झुकने वाले शख़्स नहीं हैं.
हांगकांग के 73 साल के यह अरबपति व्यवसायी वहां के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की मुख्य आवाज़ों में शामिल रहे हैं.
पिछले साल के इस आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्हें शुक्रवार को 14 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है.
जिम्मी लाई के लिए जीवन में हालांकि ऐसी समस्या न तो पहली बार आई है और न ही यह सबसे गंभीर है.
विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
असल में चीन की सरकार के प्रति आलोचना का रुख रखने वाले इस व्यवसायी को पहले भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
फरवरी से हिरासत में बंद लाई पर छह और आरोप लगाए गए हैं. इनमें से दो हांगकांग के नए और विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से जुड़े हैं.
इसके तहत इन पर आरोप है कि वे तख़्तापलट और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हुए थे.
यदि ये आरोप साबित हो गए तो इस अरबपति को उम्रक़ैद तक की सजा हो सकती है.
इस मामले के पहले, कुछ सालों के दौरान लाई की हत्या की कई नाकाम कोशिशें हो चुकी हैं. उनके घर और कंपनी मुख्यालय पर नक़ाबपोशों द्वारा बम भी फेंके गए हैं.
इसके बाद भी कोई उन्हें हांगकांग की सीमित आजादी का बचाव करने से नहीं रोक पाया.
क्योंकि जिम्मी लाई का मानना है कि चीन की मुख्य भूमि से हांगकांग की सीमित आज़ादी को ख़तरा है.
इस तरह के अपने व्यवहार के लिए वे अपनी सोच को जिम्मेदार मानते हैं.
हिरासत में जाने के पहले बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में पिछले साल उन्होंने कहा था, "मैं पैदाइशी विद्रोही हूं. मेरा चरित्र बहुत ही विद्रोही किस्म का है."
लेकिन उनके जन्म के कुछ महीनों बाद यानी 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आते ही उनके परिवार का सारा वैभव ख़त्म हो गया.
ऐसे में 12 साल की उम्र में वे भागकर हांगकांग आ गए. इसके लिए उन्होंने मछली पकड़ने की नाव का सहारा लिया. उस पर छिपकर वे हांगकांग पहुंच गए.
वहां उन्होंने कढ़ाई-बुनाई जैसे कई छोटे-छोटे काम किए. उन्होंने अंग्रेजी भी सीखी और एक दिन कपड़ों के अंतरराष्ट्रीय ब्रांड जियोर्डानो की स्थापना करने में सफल रहे.
इस तरह हांगकांग के कई मशहूर रईसों की तरह छोटी नौकरी करते हुए करोड़ों डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने में वे भी सफल रहे.
हांगकांग में मशहूर
उनकी निजी संपत्ति के एक अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. जियोर्डानो एक बड़ी कामयाबी थी.
लेकिन 1989 में जब चीन ने तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मांग करने वालों को कुचलने के लिए अपने टैंक भेजे तब लाई लोकतंत्र के मुखर समर्थक के रूप में खुलकर सामने आए.
इसके बाद उन्होंने चीन की सरकार के ख़िलाफ़ एक कॉलम लिखा जिसमें नरसंहार की आलोचना की गई.
इसके साथ उन्होंने एक प्रकाशन कंपनी की भी नींव रखी जो जल्द ही हांगकांग में मशहूर हो गई.
बीजिंग ने मुख्य भूमि में मौज़ूद उसके सभी स्टोर को बंद करने की धमकी दी.
नायक या गद्दार
इसके बाद उन्होंने प्रकाशन कंपनी को बेचकर लोकतंत्र समर्थक कई लोकप्रिय प्रकाशनों को शुरू किया.
इनमें डिजिटल पत्रिका 'नेक्स्ट' और 'ऐप्पल डेली' अख़बार भी शामिल हैं. ये हांगकांग के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले प्रकाशनों में शामिल हैं.
हांगकांग की स्थानीय मीडिया में चीन का भय लगातार बढ़ रहा है लेकिन लाई ने चीनी प्रशासन की आलोचना करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी.
इस वजह से हांगकांग के कई नागरिकों के लिए जिम्मी लाई एक हीरो बन गए.
लेकिन चीन की मुख्य भूमि के लोग उन्हें गद्दार समझते हुए इन्हें देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा मानते हैं.
हांगकांग की आज़ादी
बीजिंग ने जब जून 2020 में हांगकांग का नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया थो.
उस समय जिम्मी लाई ने बीबीसी को बताया था कि यह कानून हांगकांग के लिए 'मौत की सजा' जैसा है.
उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस कानून के लागू होने के बाद हांगकांग चीन जैसा भ्रष्ट हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि बिना कानून के शासन के दुनिया के वित्तीय केंद्र के रूप में हांगकांग का जो महत्व है, वह पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा.
अपने प्रशंसकों के लिए जिम्मी लाई एक बहादुर इंसान हैं जिसने हांगकांग की आज़ादी की रक्षा के लिए बहुत जोख़िम उठाए हैं.
कारोबारी हित
उनकी गिरफ़्तारी के बाद ट्विटर पर उनके एक प्रशंसक ने लिखा, "लाई के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. यह साहसी इंसान उन कुछ चुनिंदा लोगों में है जिन्होंने अपने सिद्धांतों को कमजोर किए बिना अपने कारोबारी हितों को बरकरार रखा है."
अपने मुखर और स्टाइलिश स्वभाव के लिए मशहूर लाई ने इस साल के शुरू में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हांगकांग की मदद करने का अनुरोध किया था.
उन्होंने कहा था कि केवल ट्रंप ही हांगकांग को चीन से बचा सकते हैं. उनके अख़बार ऐप्पल डेली ने एक फ्रंट पेज लेटर लिखा, "श्रीमान राष्ट्रपति, कृपया हमारी मदद करें."
बहरहाल न तो उनका प्रभाव और न ही उनकी दौलत उन्हें सजा से बचा सका.
बीते शुक्रवार को सजा सुनाते समय जज ने कहा, "हर किसी को अपने कामों का नतीजा भोगना होता है, चाहे कोई भी हो."
यह फ़ैसला सुनकर भी जिम्मी लाई शांत दिख रहे थे.
ऐसा नहीं लगा कि वे सजा सुनकर आश्चर्यचकित हो गए हों. आख़िरकार वे बीजिंग को झुका पाने में सफल क्यों नहीं हुए?
इसका जवाब पिछले साल बीबीसी को दिए उनके इंटरव्यू में हो सकता है. तब उन्होंने कहा था, "अगर वे आप में डर पैदा कर सकते हैं तो यह आपको कंट्रोल करने का सबसे सस्ता और प्रभावी तरीका है. लेकिन वे जानते हैं कि डराने-धमकाने से अब लोग नहीं डरने वाले.'' (bbc.com)