सामान्य ज्ञान
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है। यह भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। यह भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को हर साल प्रदान किया जाता है।
वर्ष 2011 में भारतीय ज्ञानपीठ ने पुरस्कार राशि को 7 से बढ़ाकर 11 लाख रुपए किए जाने का निर्णय लिया था। वर्ष 1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को वर्ष 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया। वर्ष 2005 के लिए चुने गए हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें पुरस्कार के तहत 7 लाख रुपए प्रदान किए गए।
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि 1 लाख रुपए थी। वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था, लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा। वर्ष 2011 तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं।
यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उडिय़ा, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार दिया जा चुका है। उडिय़ा भाषा की लेखिका एवं उपन्यासकार डॉ. प्रतिभा राय को वर्ष 2011 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तेलुगू लेखक डॉ. रावुरी भारद्वाज को 48वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (वर्ष 2012) के लिए चयन किया गया।