विचार / लेख
-कनुप्रिया
वायुमण्डल मे ऑक्सीजन का अनुपातिक सन्तुलन बनाए रखने का काम हरे वृक्षों का है, क्योंकि हरे वृक्ष ही पूरे संसार मे एकमात्र जीव हैं जो प्रकाश संशलेषण की प्रक्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं और पूरी फ़ूड चेन का आधार हैं. इस प्रक्रिया में वो कार्बन डाई ऑक्साइड लेते हैं और वायुमण्डल को ऑक्सीजन लौटाते हैं. वायुमण्डल को ऑक्सीजन लौटाने का काम हरे वृक्षों के सिवा कोई नही करते, बाक़ी श्वसन के दौरान ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाई ऑक्साइड वाली हवा लौटाने का काम वृक्षों सहित हर जीव जंतु करता है.
वही कार्बन डाई ऑक्साइड जो मुख्य ग्रीन हाउस गैस है, जो ग्रीन हाउस की तरह पृथ्वी को वॉर्म रखती है, जो ग्रीन हाउस की तरह सूर्य की ऊष्मा को रोक कर रखती है, विकिरण के माध्यम से पूरी तरह निर्वात में जाने नही देती और पृथ्वी पर जीवन के लिये जरूरी ऊष्मा का संतुलन बनाए रखती है. यही कॉर्बन दाई ऑक्साइड जिसके वायुमंडल में ज़रूरत से ज़्यादा होने के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है, 50 सालों में ही 0.5 डिग्री तक बढ़ चुका है और विकास की यही रफ्तार रही तो सदी के अंत तक एक से डेढ़ डिग्री तक बढ़ सकता है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है. साथ ही वो जीवाणु और विषाणु (बैक्टीरिया और वायरस) जो एक निश्चित तापमान के बाद ही सक्रिय होते हैं, उनके सक्रिय होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
हम माँग ऑक्सीजन रहे हैं मगर चुनते विकास को हैं, वो विकास जो जीवन की शर्त पर हो रहा है, जिसके कारण हज़ारों हेक्टेयर जंगल काटे जारहे हैं. वो जंगल जो उस ऑक्सीजन के बनने की प्राकृतिक लैब हैं , जो संसार की फ़ूड चेन को थामे हुए हैं, जो कार्बन डाई ऑक्साइड की वृद्धि को रोके हुए हैं , जिनका कटना हमारे लिए महज़ एक ख़बर होती है जिसपर हम ग़ौर करना भी ज़रूरी नहीं समझते.
अगर हमें ऑक्सीजन चाहिए तो वक़्त आ गया है कि हम धर्म और विकास की जगह विज्ञान और वृक्षों को वोट करें वरना अपनी मृत्यु के दस्तावेज पर हम ख़ुद ही हस्ताक्षर कर रहे हैं औऱ ये याद रहे कि सिलेंडर में बंद ऑक्सीजन वायुमंडल की ऑक्सीजन की तरह मुफ़्त और सर्वसुलभ नही है, आने वाले समय मे जीने की क़ीमत होगी जो हम दूसरों की मृत्यु से चुकाएँगे.