सामान्य ज्ञान
अमरूद विश्व में सर्वाधिक मात्रा में भारत में ही पैदा होता है। मलेशिया में पेरक, जोहोर, सेलंगोर और नेगरी सेंबिलन जैसी जगह अमरूद के पेड़ काफी मात्रा में लगाए जाते हैं। अमेरिका के अपेक्षाकृत गरम प्रदेश जैसे मेक्सिको ले कर पेरू तक, अमरूद के पेड़ उगाए जाते हैं। कहते हैं कि अमरूद का अस्तित्व 2000 साल पुराना है पर आयुर्वेद में अमृतफल के नाम से इसका उल्लेख इससे हज़ारों साल पहले हो चुका है।
1526 में कैरेबियन द्वीप पर इसकी खेती पहली बार व्यावसायिक रूप से की गई। बाद में यह फि़लीपीन और भारत में भी प्रचलित हुई। अब तो दुनिया भर में अमरूद को व्यावसायिक लाभ के लिए उगाया जाता है।
अमरूद स्वाद में तो लाजवाब होता ही है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह उपयोगी फल है। पौष्टिकता से भरपूर अमरूद को संस्कृत में अमृतफल कहते हैं। पके अमरूद के बजाय कच्चे अमरूद में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। खाना खाने के पहले अमरूद के नियमित सेवन से कब्ज़ की शिकायत नहीं होती है। अमरूद के प्रयोग से सेरम कोलेस्ट्राल घटा कर उच्च रक्तचाप से बचाव किया जा सकता है। अमरूद के बीज को खूब चबा-चबा कर खाने से शरीर को लौह तत्व की पूर्ति होती है।
पके हुए 100 ग्राम अमरूद से हमें 152 मि. ग्रा. विटामिन सी, 7 ग्राम पाचन क्रिया में सहायक रेशे, 33 मि. ग्रा. कैल्शियम और 1 मि. ग्रा. लोहा प्राप्त होता है। साथ ही इसमें फॉस्फोरस और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर को पुष्ट बनाती है। अमरूद के पेड़ की जड़े, तने, पत्ते सभी दवा बनाने में काम आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार अमरूद कसैला, मधुर, खट्टा, तीक्ष्ण, बलवर्धक, उन्मादनाशक, त्रिदोषनाशक, दाह और बेहोशी को नष्ट करने वाला है। बच्चों के लिए भी यह पौष्टिक व संतुलित आहार है। अमरूद से स्नायु-मंडल, पाचन संस्थान, हृदय तथा दिमाग को बल मिलता है।