सामान्य ज्ञान
जनहित याचिका (जहिया), भारतीय कानून में, सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए मुकदमे का प्रावधान है। अन्य सामान्य अदालती याचिकाओं से अलग, इसमें यह आवश्यक नहीं की पीडि़त पक्ष स्वयं अदालत में जाए, यह किसी भी नागरिक या स्वयं न्यायालय द्वारा पीडि़तों के पक्ष में दायर किया जा सकता है।
जहिया के अब तक के मामलों ने बहुत व्यापक क्षेत्रों, कारागार और बन्दी, सशस्त्र सेना, बालश्रम, बंधुआ मजदूरी, शहरी विकास, पर्यावरण और संसाधन, ग्राहक मामले, शिक्षा, राजनीति और चुनाव, लोकनीति और जवाबदेही, मानवाधिकार और स्वयं न्यायपालिका को प्रभावित किया है। न्यायिक सक्रियता और जहिया का विस्तार बहुत हद तक समांतर रूप से हुआ है और जनहित याचिका का मध्यम-वर्ग ने सामान्यत: स्वागत और समर्थन किया है। हालांकि जनहित याचिका भारतीय संविधान या किसी कानून में परिभाषित नहीं है, यह उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक व्याख्या से व्युत्पन्न है, इसका कोई अंतर्राष्ट्रीय समतुल्य नहीं है और इसे एक विशिष्ट भारतीय संप्रल्य के रूप में देखा जाता है।
मुख्तारनामा
मुख्तारनामा (श्चश2द्गह्म् शद्घ ड्डह्लह्लशह्म्ठ्ठद्ग4 (क्कह्र्र) द्यद्गह्लह्लद्गह्म् शद्घ ड्डह्लह्लशह्म्ठ्ठद्ग4) एक लिखित दस्तावेज है जिसमें कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को यह अधिकार देता है कि वह उसके किसी निजी कार्य, व्यापार या किसी कानूनी कार्य के लिये उसका प्रतिनिधित्व करे (अर्थात उसकी ओर से कार्य करे)। जिसको यह अधिकार दिया जाता है उसे मुख्तार या एटार्नी कहते हैं।