सामान्य ज्ञान
टोंगा दक्षिण प्रशांत महासागर में एक स्थित एक द्वीपसमूह है। टोंगा छोटे बड़े 169 द्वीपों से मिलकर बना है। इनमें से 36 द्वीप ऐसे हैं जिन पर आबादी बसती है। यह एक बहुत सुंदर स्थान है। यहां के बीच बहुत सुंदर होते हैं । यहां के बीचों पर दूर-दूर तक सफेद रेत की चादर चढ़ी रहती है। बहुत से लोग इन बीचों का आनंद लेने हर साल यहां आते हैं। टोंगा की जलवायु उष्णकटिबंधीय है और यहां केवल दो मौसम होते हैं, सर्दी और गर्मी। अधिकतम वर्षा फरवरी से अप्रैल तक होती है। चक्रवात का मौसम नवम्बर से मार्च तक रहता है।
अष्टगंध
कर्मकांड एवं यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। शास्त्रों में तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वर्णन है, जो इस प्रकार हंै- चन्दन, अगर, कर्पूर, तमाल, जल, कंकुम, कुशीत, कुष्ठ। यह अष्टगन्ध शैव सम्प्रदाय वालों को ही प्रिय होती है।
दूसरे प्रकार की अष्टगन्ध में -कुंकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि शामिल होते हैं। यह अष्टगन्ध शाक्त व शैव दोनों सम्प्रदाय वालों को प्रिय है।
वैष्णव अष्टगन्ध के रूप में इन आठ पदार्थ को प्रिय मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। अन्य मत से अष्टगन्ध के रूप में निम्न आठ पदार्थों को भी मानते हैं-अगर, तगर, केशर, गौरोचन, कस्तूरी, कुंकुम, लालचन्दन, सफेद चन्दन।
आठ सुगन्धित द्रव्य जिनको मिलाकर देवपूजन यन्त्रलेखन आदि के लिये सुगन्धित चन्दन तैयार किया जाता है। विभिन्न देवताओं के लिये इसमें कुछ वस्तुयें अलग अलग होती है, साधारणत: इसमे चन्दन,अगर, देवदारु ,केसर, कपूर, शैलज, जटामासी और गोरोचन को अष्टगंध माना जाता है।
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