विचार / लेख
-कृष्ण कांत
जम्बूद्वीपे भारतखंडे एक: ठग्गू बाबा अस्ति। इससे ज्यादा संस्कृत नहीं आती, इसलिए महामारी के समय लूट की ‘दैवीय दुर्घटना’ को हिंदी में लिखने का पाप कर रहा हूं।
कोरोना महामारी फैली तो ठग्गू बाबा ने कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को मिलाकर एक किट तैयार की और 545 रुपये में लॉन्च कर दी। यूं तो ये ठगी की टूलकिट थी, लेकिन इसका नाम रखा गया कोरोनिल किट। सर्वप्रथम ठग्गू बाबा उवाच- ये कोरोना की कारगर दवाई है। इस पर देश के नामी डॉक्टरों ने कहा- हे पेट को मरोडक़र घुमाने वाले, भारत का काला धन वापस लाने वाले, पेट्रोल को 35 रुपये में बिकवाने वाले, रुपया डॉलर के बराबर ले आने वाले, भारत भूमि से भ्रष्टाचार भगाने वाले, ऋषियों के ऋषि अर्थात महर्षि और अवतारी पुरुष के चुनाव सहयोगी महामानव! काहे जनता को गुमराह कर रहे हो?
केंद्र सरकार ने भी बाबा को समझाइश दी कि इसे इम्युनिटी बूस्टर कहो। मानवता पर एहसान करते हुए ठग्गू बाबा पलट गए और कहने लगे कि ये कोरोना की दवाई नहीं है, ये इम्युनिटी बूस्टर है। इसे खाने से इम्युनिटी बूस्ट करके माउंट एवरेस्ट के बराबर पहुंच जाएगी और हिमालय की तरह मजबूत हो जाएगी। शायद धंधा मंदा ही रहा होगा तो इन्होंने वही दवाई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में फिर से लॉन्च कर दी और बोले इस बार डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित है। अगले दिन डब्ल्यूएचओ ने खंडन कर दिया कि हमने किसी पारंपरिक दवाई को कोई मान्यता नहीं दी है।
खैर, ठग्गू बाबा ने महामारी से फैले भय के बीच जनता का खूब भयादोहन करने की कोशिश की। उम्मीद है कि बाबा ने करोड़ों की कमाई की होगी। अब ठग्गू बाबा के अपने ही कई संस्थानों में कुल मिलाकर 83 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। क्या बाबा के कर्मचारियों की इम्युनिटी बूस्ट नहीं हुई? क्या बाबा ने उन्हें कोरोनिल किट नहीं खिलाई? क्या बाबा का दावा सही था? अगर बाबा ने सच में कोई दवा बनाई थी जो कोरोना से लडऩे में मदद करती तो वे लगातार इतने झूठ क्यों बोले? इन सवालों के जवाब बनारस वाले बाबा विश्वनाथ भी नहीं दे सकते।
आश्चर्य इस बात का है कि बाबा के इस गोरखधंधे पर कायदे से सवाल भी नहीं उठे। बाबा पर बादशाह का वरदहस्त है। बाबा के पास दुनिया के 'हर मर्ज का अचूक इलाज' है, बाबा का अपना अरबों का चिकित्सकीय धंधा है। लेकिन बाबा का अपना सिपहसालार फूड प्वाइजनिंग से बीमार पड़ता है तो एम्स पहुंच जाता है। तो इस प्रकार है भारतवर्ष के भक्तगणों! कलियुग में चाहे चिकित्सा हो चाहे राजनीति, जो मनुष्य ठगों से सावधान नहीं रहता है वह ठगी क्रिया का भुक्तभोगी होता है।
इतिश्री ठग्गू बाबा ठगी क्रोनोलॉजी कथा।
नोट- अगर आयुर्वेद में आपका विश्वास है तो ठगों से सावधान रहते हुए उसे बनाए रखें। आयुर्वेद अच्छी चिकित्सा पद्धति है, लेकिन आधुनिक अंग्रेजी चिकित्सा का विकल्प नहीं है।