विचार / लेख
-गोपाल राठी
तस्वीर में महिला सीधी-सादी लग रही है न। लगती है न एक साधारण सी महिला। रसायन शास्त्र में स्नातक। वर्ष 2004 तक एक हाईस्कूल में पढ़ाया। फिर राजनीति में शामिल। वर्तमान में, केरल की वामपंथी सरकार की स्वास्थ्य मंत्री-के.के.शैलजा। पूरे केरल में इन्हें टीचर अम्मा के नाम से जाना जाता है, शैलजा टीचर। 2018 के निपाह वायरस को संक्रमण से होने वाले मौत के जुलूस को मजबूती से रोक दिया था। फिर इसके ठीक दो साल बाद, जिस तरह कोरोना का मुकाबला कर केरल मॉडल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल करवाई- वह निश्चित ही इतिहास में दर्ज होगा।
इस कोरोना काल में वे रात 12 बजे कार्यालय छोड़ती है। सभी अधिकारियों को रवाना कर फिर खुद प्रस्थान करती है। घर पर भी रात 2.30-3.00 बजे तक फाइलें देखती-निपटाती है। फिर सुबह सात बजे ऑफिस पहुंच जाती है। उनका व्यक्तिगत मोबाइल नंबर न जाने कितने ही आम लोगों को पता है। निपाह के दौरान ही केरल के राज्यभर में चमगादड़ों का आतंक पैदा हुआ। अब कोरोना के दौरान बिल्ली तक को देख तो आस-पड़ोस के लोग घबराकर फोन करने लगें। उन्होंने स्वयं फोन उठाकर सभी को आश्वस्त किया।
किसी को साथ में लेने के बजाय अकेले ही तमाम अस्पतालों में घूमती है। बस चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान। प्रचार की रौशनी से सैकड़ों कदम दूर। एक नियम के तौर पर, रोजाना केवल एक बार पत्रकारवार्ता बुलाती हैं। छिपाने के लिए नहीं, बल्कि जानकारी देने के लिए। श्रेय भी नहीं लेना चाहती। बस कहती है, 'I don’t do anything special. I have a degree in chemistry so I have some knowledge about molecules and medicines. Otherwise, it is always a team effort' (मैं कुछ भी विशेष नहीं कर रही हूं। मेरे पास रसायन शास्त्र की डिग्री है, इसलिए मुझे अणुओं और दवाओं के बारे में कुछ जानकारी है। अन्यथा, यह हमेशा एक टीम प्रयास है।)
ब्रिटेन की प्रतिष्ठित मैगजीन ने केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को ‘टॉप थिंकर 2020’ चुना, कोरोना काल में उनके प्रयासों से पाया ये सम्मान मिला। इससे पहले भी शैलजा द्वारा कोरोना को रोकने की दिशा में किए गए प्रयासों को तारीफ मिली है।
शैलजा ने कोरोना अभियान में आम लोगों का साथ देकर इस बीमारी को मिटाने का हरसंभव प्रयास किया।
ब्रिटिश पत्रिका प्रोस्पेक्ट ने पूरी दुनिया में केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को ‘टॉप थिंकर 2020’ के रूप में नामित किया है। इस मैगजीन में दार्शनिकों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों और लेखकों को पाठकों द्वारा मतदान के आधार पर और विशेषज्ञों व संपादकों की पैनल की राय के आधार पर चुना गया है।
प्रोस्पेक्ट की लिस्ट में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न को नंबर 2 पर रखा गया है। (बाकी पेज 5 पर)
शैलजा का नाम कोरोना काल के दौरान राज्य में समय रहते उचित कदम उठाने के लिए शामिल किया गया। पत्रिका के अनुसार, इस लिस्ट को अंतिम रूप देने के लिए 20,000 से अधिक वोट डाले गए। केके शैलजा इस लिस्ट में एकमात्र भारतीय महिला हैं। इस मैगजीन ने शैलजा की प्रशंसा करते हुए लिखा, ‘साल 2018 में भी शैलजा ने केरल में फैले निपाह वायरस का डटकर सामना किया था।’
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अखबार ‘द गार्जियन’ ने भी कोरोना काल में शैलजा द्वारा किए गए कामों की प्रशंसा की थी। संयुक्त राष्ट्र ने ष्टह्रङ्कढ्ढष्ठ-19 महामारी की सीमाओं पर काम कर रहे लोक सेवकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रखने के लिए शैलजा को आमंत्रित किया था। यह भारत के एक प्रांत केरल की स्वास्थ्य मंत्री की कहानी है जो अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वामपंथी मोर्चे की उम्मीदवार के रूप में 61000 मतों से विजयी हुई है।
कॉमरेड शैलजा टीचर अम्मा को बहुत-बहुत बधाई।