अंतरराष्ट्रीय
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 3 मई। पाकिस्तान में सत्तारूढ़ गठबंधन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) पार्टी पूरे देश में एक ही दिन आम चुनाव कराने को तो राजी हो गए हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच मतदान की तारीख को लेकर सहमति नहीं बन पाई है।
प्रांतीय और संघीय चुनाव की तिथि को लेकर पिछले कई महीनों से जारी राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए इस्लामाबाद में मंगलवार देर रात हुई बैठक में पाकिस्तान सरकार और पीटीआई ने पूरे देश में एक ही दिन मतदान कराने का फैसला लिया।
दरअसल, इमरान की पीटीआई पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जल्दी चुनाव कराने की मांग कर रही थी। दोनों की प्रांतीय असेंबली को इस साल जनवरी में भंग कर दिया गया था। वहीं, पाकिस्तान सरकार अक्टूबर में एक ही तिथि पर देशभर में संघीय और प्रांतीय चुनाव कराने पर अड़ी हुई थी।
सत्तारूढ़ गठबंधन और पीटीआई के बीच देश में एक ही तिथि पर चुनाव कराने के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तीसरी बैठक मंगलवार रात को हुई।
‘द डॉन’ अखबार ने वित्त मंत्री इशाक डार के हवाले से कहा, “एक या दो प्रांतों में अलग-अलग तारीख पर चुनाव होने चाहिए या नहीं, इस बारे में अब कोई भ्रम नहीं है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गए हैं कि देश में एक ही दिन चुनाव कराना फायदेमंद है।”
डार के मुताबिक, बातचीत में एक और सकारात्मक नजीता यह निकला कि चुनाव कार्यवाहक व्यवस्था के तहत कराने का फैसला लिया गया।
हालांकि, उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीख को लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है।
डार ने कहा, “हमने तारीख तय कर ली है... लेकिन इस पर आम सहमति कायम करना अभी बाकी है।” उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष चुनाव की तारीख को लेकर अपने-अपने नेतृत्व से चर्चा करेंगे।
डार ने पूरे पाकिस्तान में एक ही दिन चुनाव कराने के प्रस्ताव पर बनी सहमति को ‘बड़ी प्रगति’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने लचीलापन दिखाया है और अगर वे ईमानदारी के साथ एक समाधान की दिशा में काम करना जारी रखते हैं, तो ‘तीसरा चरण (चुनाव की तारीख को अंतिम रूप देना) भी कामयाब होगा।’
वहीं, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि दोनों पक्ष चुनावी नतीजों को स्वीकार करने पर भी सहमत हुए हैं।
बैठक में पाकिस्तान सरकार की तरफ से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के इशाक डार, ख्वाजा साद रफीक, आजम नजीर तरार और सरदार अयाज सादिक के अलावा पीपीपी के यूसुफ रजा गिलानी और सैयद नवीद कमर तथा अन्य पार्टियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
वहीं, मुख्य विपक्षी दल पीटीआई की ओर से पार्टी के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष फवाद चौधरी और सीनेटर अली जफर ने बैठक में हिस्सा लिया।
बैठक के बाद कुरैशी ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी ने कार्यवाहक व्यवस्था के तहत एक ही दिन चुनाव कराने के सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली और सिंध एवं बलूचिस्तान की प्रांतीय असेंबली को भंग करने की तारीख के साथ-साथ चुनाव की तारीख पर समझौता होना बाकी है।
कुरैशी के अनुसार, पीटीआई ने प्रस्ताव दिया है कि देशभर में एक साथ चुनाव होने से पहले इन असेंबलियों को 14 मई को या फिर उससे पहले भंग कर दिया जाए। (भाषा)
ऑनलाइन ट्यूशन देने और किताबें छापने वाली कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज़ गिरावट जारी है.
ऐसे सबूत सामने आए हैं कि चैट जीपीटी जैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस बॉट्स इन कंपनियों के कारोबार पर असर डाल सकते हैं.
अमेरिकी कंपनी चेग के शेयरों के दाम मंगलवार को 51 फ़ीसदी तक गिर गए और कंपनी को एक अरब डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ है.
वहीं ब्रितानी कंपनी पियर्सन ने अपने कुल मूल्य का छठा हिस्सा गंवा दिया है.
चेग के सीईओ डैन रोसंसविग का कहना है कि छात्र चैट जीपीटी में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं और कंपनी नए ग्राहक नहीं जोड़ पा रही है.
कंपनी ने आर्टिफ़िशियल एंटेलिजेंस बॉट्स से मुक़ाबले के लिए अपना ख़ुद का एआई टूल भी लांच किया है.
विश्लेषकों का मानना है कि प्रकाशन और शिक्षा उद्योग की कंपनियों पर एआई का असर इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि एआई स्थापित कारोबारी मॉडलों को नुक़सान पहुंचा सकता है.(bbc.com/hindi)
मंगलवार को फ़लस्तीनी क्षेत्रों की तरफ़ से इसराइली इलाक़ों पर राकेट दागे जाने के बाद से इसराइली वायुसेना गज़ा पट्टी में चरमपंथियों के ठिकानों पर हवाई हमले कर रही है.
इसराइली सेना का कहना है कि इन हवाई हमलों में गज़ा पर प्रशासन चलाने वाले फ़लस्तीनी संगठन हमास के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है.
इसराइली सेना के मुताबिक़ हमास के हथियार भंडार और प्रशिक्षण केंद्रों पर बमबारी की जा रही है.
इसराइल की हिरासत में एक चर्चित फ़लस्तीनी क़ैदी की मौत के बाद ये ताज़ा तनाव शुरू हुआ है. फ़लस्तीनी क़ैदी कादर अदनान भूख हड़ताल पर थे. सोमवार को उनका निधन हो गया.
कादर अदनान की मौत के बाद से ही फ़लस्तीनी क्षेत्रों में ग़ुस्से की लहर है. बुधवार सुबह समूचे दक्षिणी इसराइल में चेतावनी देने वाले सायरन सुने गए हैं. (bbc.com/hindi)
सूडान पर नियंत्रण के लिए लड़ रहे प्रतिद्वंदी सैन्य समूह एक सप्ताह के संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं.
ये संघर्ष विराम 4 मई से लागू होगा.
साउथ सूडान ने दोनों पक्षों के बीच इस समझौते का एलान किया है.
साउथ सूडान का कहना है कि दोनों ही पक्ष शांति वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधि भेजने पर भी तैयार हो गए हैं.
हालांकि दोनों पक्षों के बीच इससे पहले हुए संघर्ष विराम टिक नहीं सके थे और दोनों ने ही एक-दूसरे पर समझौता तोड़ने के आरोप लगाए हैं.
सूडान की सेना और अर्धसैनिक बल आरएसएफ़ के बीच 18 दिन पहले छिड़ी लड़ाई की वजह से अब तक पांच लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है.
मंगलवार को भी राजधानी ख़ार्तूम में भारी संघर्ष जारी रहा.
पश्चिमी क्षेत्र दारफ़ूर में भी भीषण लडाई छिड़ी है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, 15 अप्रैल को छिड़ी लड़ाई के बाद से अब तक एक लाख से अधिक लोग देश छोड़ चुके हैं.
अधिकारियों का कहना है कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो सूडान में भीषण तबाही होगी.
सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, अभी तक की लड़ाई में 500 से अधिक लोग मारे गए हैं और चार हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. (bbc.com/hindi)
कंपाला, 2 मई। युगांडा में एक मंत्री की उनके एक अंगरक्षक ने संभवत: निजी विवाद के कारण मंगलवार तड़के गोली मारकर हत्या कर दी। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।
पीड़ित चार्ल्स एंगोला राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की सरकार में श्रम विभाग के प्रभारी कनिष्ठ मंत्री के रूप में कार्यरत थे। एंगोला सेना के सेवानिवृत्त कर्नल थे।
हमलावर की पहचान अभी सार्वजनिक रूप से नहीं हो सकी है। सरकारी प्रसारणकर्ता यूबीसी और अन्य के मुताबिक हमलावर ने हत्या करने के बाद खुद को गोली मार ली।
यह घटना युगांडा की राजधानी कंपाला के एक उपनगर में एंगोला के घर के अंदर घटी जहां अब पुलिस की जासूसी टीम पहुंच चुकी है।
घटना के कारण का पता अभी नहीं चल सका है, लेकिन स्थानीय मीडिया में कहा गया है कि गार्ड के वेतन को लेकर संभवत: कोई विवाद था।
ऑनलाइन समाचार पत्र नाइलपोस्ट ने बताया, ‘‘गवाहों का दावा है कि सैनिक चीख रहा था कि एक मंत्री के लिए काम करने के बावजूद उसे लंबे समय से भुगतान नहीं किया गया।’’ (एपी)
शिकागो, 2 मई | अमेरिका के इलिनॉय प्रांत में एक धूल भरी आंधी चलने से हुई सड़क दुर्घटना में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने पुलिस के हवाले से कहा कि राज्य पुलिस के जवानों को राज्य की राजधानी स्प्रिंगफील्ड के दक्षिण में मॉन्टगोमरी काउंटी में सोमवार सुबह करीब 11 बजे आई-55 पर दोनों तरफ कई दुर्घटनाओं की सूचना मिली।
दुर्घटनाओं में लगभग 20 वाणिज्यिक मोटर वाहन और 40 से 60 यात्री कारें शामिल थीं, जिनमें दो ट्रैक्टर-ट्रेलरों में आग लग गई थी।
पुलिस ने कहा कि हाईवे किनारे के खेतों से अत्यधिक धूल उड़ने के कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। इसके कारण दुर्घटनाएं हुईं।
आई-55 हाईवे अभी दोनों तरफ से बंद है और अधिकारी मामले जी जांच तथा सड़क पर से वाहनों को हटाने में जुटे हैं।
इलिनॉय प्रांतीय पुलिस के मेजर रेयान स्टारिक ने कहा कि घायलों की उम्र दो से 80 साल के बीच है।
एक प्रवक्ता ने सोमवार शाम सीएनएन को बताया कि 30 मरीजों को हॉस्पिटल सिस्टर्स हेल्थ सिस्टम अस्पतालों में ले जाया गया है।
अन्य चार लोगों को स्प्रिंगफील्ड मेमोरियल हॉस्पिटल ले जाया गया।
मॉन्टगोमरी काउंटी की आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी के निदेशक केविन शॉट ने कहा कि प्रतिक्रिया दल के पहले पहुंचने वाले सदस्यों को मोटी धूल के कारण मुश्किल हुई। उन्होंने कहा कि सभी की आंखें इससे भरी हुई हैं।
उन्होंने कहा, यह एक कठिन ²श्य है, कुछ ऐसा है जिसके लिए प्रशिक्षित करना बहुत कठिन है, कुछ ऐसा जिसका हमें स्थानीय स्तर पर अनुभव नहीं है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 2 मई | भारतीय मूल के व्यक्ति पर एक अमेरिकी संघीय अभियोजक ने डेटिंग ऐप के जरिए एक नाबालिग को यौनाचार के लिए लुभाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। यूट्यूब पर कथित तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए उसे पकड़ा गया है। दक्षिणी न्यूयॉर्क के संघीय अभियोजक डेमियन विलियम्स ने सोमवार को कहा, आनंद सिंह ने कथित तौर पर डेटिंग और टेक्स्ट ऐप्स के माध्यम से यौनाचार के लिए एक व्यक्ति को डेटिंग के लिए लुभाने का प्रयास किया जिसे वह 14 साल का समझ रहा था।
उन्होंने कहा, आज की गिरफ्तारी उस खतरे की याद दिलाती है जो इंटरनेट हमारे युवाओं के लिए पैदा कर सकता है और उन्हें ऑनलाइन शिकारियों से बचाने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।
अदालती दस्तावेज से, ऐसा प्रतीत होता है कि स्टिंग ऑपरेशन अधिकारियों ने नहीं किसी और ने किया था, जिन्होंने बातचीत को रिकॉर्ड किया और संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) को सतर्क करते हुए इसके यूट्यूब पर अपलोड किया।
अभियोजक के कार्यालय के अनुसार सिंह कथित तौर पर पिछले साल दिसंबर में न्यूजर्सी में एक अपार्टमेंट परिसर में उस व्यक्ति से मिलने गया था जिसने 14 वर्षीय लड़की के रूप में खुद को पेश किया था।
उसके खिलाफ दायर शिकायत के अनुसार, हिली नामक एक डेटिंग ऐप पर, उसने कथित रूप से बार-बार और स्पष्ट शब्दों में यौन गतिविधि में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की और उससे मिलने की योजना बनाई।
बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच करने वाली एफबीआई की विशेष एजेंट एरिका बुओनोकोर द्वारा दायर की गई शिकायत में कहा गया है कि पिछले महीने उन्हें आनंद नाम के एक व्यक्ति और 14 वर्षीय लड़की के रूप में प्रस्तुत एक अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत के बारे में एक यूट्यूब वीडियो के बारे में जानकारी मिली थी जिसकी पहचान अदालत के दस्तावेज में केवल रिपोर्टर -1 के रूप में की गई है।
शिकायत में सिंह द्वारा कथित रूप से रिपोर्टर -1 के साथ संवाद करने में इस्तेमाल की जाने वाली अश्लील भाषा शामिल है जिसके बारे में वह सोच रहा था कि वह 14 साल का है।
अगर सिंह को दोषी ठहराया जाता है तो कम से कम 10 साल की सजा होगी। (आईएएनएस)
वॉशिंगटन, 2 मई | अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि वह 11 मई को संघीय कर्मचारियों, अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों और ठेकेदारों के लिए कोविड-19 टीकाकरण की आवश्यकताओं को समाप्त कर देगा। उसी दिन महामारी के लिए लागू सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल भी समाप्त हो जाएगा। व्हाइट हाउस ने सोमवार को एक बयान में कहा कि स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (एचएचएस) और डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) ने भी अलग से घोषणा की कि वे शुरुआत में शिक्षकों, सीएमएस-प्रमाणित स्वास्थ्य संस्थानों और सीमा पर कुछ गैर-नागरिकों के लिए टीकाकरण अनिवार्यता समाप्त की जाएगी।
बयान में कहा गया है, संघीय सरकार ने अपने कार्यबल की आवश्यकताओं को इस तरह से सफलतापूर्वक लागू किया कि टीकाकरण 98 प्रतिशत पर पहुंच चुका है यानी उन कर्मचारियों को कम से कम टीके की एक खुराक लग चुकी है या जनवरी 2022 तक टीकाकरण से छूट के उनके आवेदन या तो मंजूर हो चुके थे या लंबित थे।
हम वायरस के नए रूपों के प्रसार को धीमा करने के लिए ..कुछ अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए भी टीकाकरण आवश्यकताओं को लागू कर रहे हैं।
प्रशासन ने 2021 में लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा तथा कार्यस्थलों की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए और कमजोर आबादी की रक्षा करने के लिए कोविड-19 टीकाकरण आवश्यकताओं की घोषणा की थी।
अब तक, लगभग 27 करोड़ अमेरिकियों को कम से कम कोविड का एक टीका लग चुका है। (आईएएनएस)
अमेरिका ने कहा है कि यूक्रेन के बख़मूत में पिछले पांच साल की लड़ाई के दौरान 20 हज़ार रूसी सैनिकों की मौत हुई है.
अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी के मुताबिक़, बख़मूत शहर की लड़ाई में कम से कम 80 हज़ार रूसी सैनिक घायल भी हुए हैं.
व्हाइट हाउस ने ताज़ा इंटेलिजेंस रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा है कि मारे गए 20 हज़ार सैनिकों में से आधे वागनर ग्रुप के सैनिक हैं.
वागनर ग्रुप एक प्राइवेट आर्मी है जो रूस की ओर से लड़ रही है, ये संख्या युद्ध से पहले बख़मूत शहर की 70 हज़ार की आबादी से अधिक है. रूस पिछले एक साल से बख़मूत शहर पर क़ब्ज़े की कोशिश में लगा है.
यहां यूक्रेनी सेना के साथ इसका भीषण युद्ध चल रहा है. बख़मूत पूर्वी यूक्रेन का शहर है. रूस और यूक्रेन दोनों के लिए इसका बड़ा सामरिक महत्व है.
यूक्रेनी सेना के अधिकारियों का कहना है कि उसके सैनिक रूसी सेना को ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान पहुंचाने के इरादे से लड़ रहे हैं. हालांकि यूक्रेन के पास अब इस शहर का एक छोटा ही हिस्सा रह गया है. यहां काफ़ी संख्या में नागरिक बचे हैं. (bbc.com/hindi)
फ़्रांस में पेंशन नियमों में बदलाव के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
फ़्रांस के गृह मंत्री जेराल्ड डार्मेनिन ने कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों का घायल होना अप्रत्याशित है.
उन्होंने बताया कि प्रदर्शन के दौरान 291 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
फ़्रांस में इमैनुएल मैक्रों की सरकार की ओर से पेंशन नियमों में बदलाव का काफ़ी विरोध हो रहा है.
पिछले कई महीनों से नए पेंशन नियमों के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
1 मई को मई दिवस पर भी लोग बड़ी तादाद में पूरे फ़्रांस की सड़कों पर उतर आए थे.
ज़्यादातर जगहों पर प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पेट्रोल बम और पटाखे फेंकने शुरू कर दिए, जिससे 108 पुलिसकर्मी घायल हो गए.
अभी ये पता नहीं चल पाया है कि कितने प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं.
प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न ने ट्वीट कर कहा है कि प्रदर्शन के दौरान इस तरह की हिंसा किसी भी हालात में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
फ़्रांस में नए नियमों के मुताबिक़ पेंशन पाने की उम्र 62 से बढ़ा कर 64 साल कर दी गई है. देश के श्रम संगठन नए नियम को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)
(शरमिन डी सिल्वा : पारिस्थितिकी, व्यवहार और विकास के सहायक प्रोफेसर, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो)
वाशिंगटन, 1 मई। अपनी प्रतिष्ठित स्थिति और मनुष्यों के साथ लंबे जुड़ाव के बावजूद, एशियाई हाथी सबसे लुप्तप्राय बड़े स्तनधारियों में से एक हैं।
माना जाता है कि दुनिया भर में 45,000 और 50,000 की आबादी के बीच, वे वनों की कटाई, खनन, बांध निर्माण और सड़क निर्माण जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण पूरे एशिया में जोखिम में हैं, जिसने कई पारिस्थितिकी तंत्रों को नुकसान पहुंचाया है।
मेरे सहकर्मी और मैं यह जानना चाहते थे कि कब मानव क्रियाओं ने वन्यजीवों के आवासों और आबादी को इस हद तक विखंडित करना शुरू कर दिया जैसा आज देखा जा रहा है। हमने इन प्रभावों को इस प्रजाति की जरूरतों के माध्यम से विचार करके निर्धारित किया है।
एक नए प्रकाशित अध्ययन में, हमने एशियाई परिदृश्यों के सदियों पुराने इतिहास की जांच की जो कभी उपयुक्त हाथी आवास थे और अक्सर औपनिवेशिक युग से पहले स्थानीय समुदायों द्वारा प्रबंधित किए जाते थे। हमारे विचार में, इस इतिहास को समझना और इनमें से कुछ संबंधों को पुनर्स्थापित करना भविष्य में हाथियों और अन्य बड़े जंगली जानवरों के साथ रहने की कुंजी हो सकती है।
मनुष्यों ने वन्यजीवों को कैसे प्रभावित किया है?
एशिया जैसे बड़े और विविध क्षेत्र में और एक सदी से भी पहले वन्य जीवन पर मानव प्रभावों को मापना आसान नहीं है। कई प्रजातियों के लिए ऐतिहासिक डेटा विरल है। उदाहरण के लिए, संग्रहालयों में केवल कुछ स्थानों से एकत्र किए गए नमूने होते हैं।
कई जानवरों की बहुत विशिष्ट पारिस्थितिक आवश्यकताएं भी होती हैं, और अतीत में बहुत दूर तक जाने के लिए अक्सर इन सुविधाओं पर पर्याप्त डेटा नहीं होता है। उदाहरण के लिए, एक प्रजाति विशेष जलवायु या वनस्पति को पसंद कर सकती है जो केवल विशेष ऊंचाई पर होती है।
लगभग दो दशकों से मैं एशियाई हाथियों का अध्ययन कर रहा हूँ। एक प्रजाति के रूप में, ये जानवर लुभावने रूप से अनुकूलनीय हैं: वे मौसमी सूखे जंगलों, घास के मैदानों या वर्षा वनों के घने जंगलों में रह सकते हैं। यदि हम हाथियों के निवास स्थान की आवश्यकताओं को डेटा सेट से मिलाएं तो देख सकते हैं कि ये आवास समय के साथ कैसे बदलते हैं, तो हम समझ सकते हैं कि इन वातावरणों में भू-उपयोग परिवर्तनों ने हाथियों और अन्य वन्यजीवों को कैसे प्रभावित किया है।
हाथी पारिस्थितिकी तंत्र को परिभाषित करना
एशियाई हाथियों की होम-रेंज का आकार कुछ सौ वर्ग मील से लेकर कुछ हज़ार मील तक कहीं भी भिन्न हो सकता है। लेकिन चूंकि हम यह नहीं जान सकते थे कि सदियों पहले हाथी वास्तव में कहां रहे होंगे, इसलिए हमें संभावनाओं का मॉडल इस आधार पर बनाना था कि वे आज कहां पाए जाते हैं।
उन पर्यावरणीय विशेषताओं की पहचान करके जो उन स्थानों से मेल खाती हैं जहां अब जंगली हाथी रहते हैं, हम उन स्थानों की पहचान कर सकते हैं जहां वे संभावित रूप से अतीत में रह सकते थे। सिद्धांत रूप में, यह "अच्छे" आवास का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।
आज कई वैज्ञानिक इस प्रकार के मॉडल का उपयोग विशेष प्रजातियों की जलवायु आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए कर रहे हैं और भविष्यवाणी करते हैं कि उन प्रजातियों के लिए उपयुक्त क्षेत्र भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के तहत कैसे बदल सकते हैं।
हमने जलवायु परिवर्तन के अनुमानों के बजाय भूमि-उपयोग और भूमि-आच्छादन प्रकारों का उपयोग करते हुए समान तर्क को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया।
हमने यह जानकारी मैरीलैंड विश्वविद्यालय के एक शोध समूह द्वारा जारी लैंड-यूज़ हार्मोनाइजेशन (एलयूएच2) डेटा सेट से ली है।
समूह ने ऐतिहासिक भूमि-उपयोग श्रेणियों को उनके प्रकार से मैप किया, वर्ष 850 में शुरू करते हुए - राष्ट्रों के आगमन से बहुत पहले, जैसा कि हम उन्हें आज जानते हैं, जनसंख्या के अधिक घनत्व वाले कम केंद्रों के साथ - और 2015 तक विस्तारित।
मेरे सह-लेखकों और मैंने सबसे पहले उन जगहों के रिकॉर्ड संकलित किए जहां हाल के दिनों में एशियाई हाथी देखे गए हैं। हमने अपने अध्ययन को उन 13 देशों तक सीमित रखा है जिनमें आज भी जंगली हाथी हैं: बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम।
हमने सघन खेती और वृक्षारोपण वाले क्षेत्रों को जहां हाथियों की आबादी के लोगों के साथ टकराव की संभावना है, "अच्छे" हाथी आवास के रूप में वर्गीकृत करने से बचने के लिए इन क्षेत्रों को इस अध्ययन से बाहर कर दिया । हमने हल्के मानव प्रभाव वाले क्षेत्रों को शामिल किया, जैसे चुनिंदा वन, क्योंकि वास्तव में उनमें हाथियों के लिए बढ़िया भोजन होता है।
इसके बाद, हमने यह निर्धारित करने के लिए मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया कि हमारे शेष स्थानों पर किस प्रकार का भूमि उपयोग और भूमि कवर मौजूद है। इसने हमें यह पता लगाने में मदद दी कि वर्ष 2000 तक हाथी संभावित रूप से कहाँ रह सकते थे। अपने मॉडल को पहले और बाद के वर्षों में लागू करके, हम उन क्षेत्रों के मानचित्र बनाने में सक्षम थे जिनमें हाथियों के लिए उपयुक्त आवास थे और यह देखने के लिए कि वे क्षेत्र पिछली सदियों में कैसे बदल गए थे। ।
नाटकीय गिरावट
1700 के दशक में औद्योगिक क्रांति से शुरू होकर और 20वीं शताब्दी के मध्य तक औपनिवेशिक युग के माध्यम से विस्तार करते हुए, प्रत्येक महाद्वीप पर भूमि उपयोग के पैटर्न में काफी बदलाव आया। एशिया कोई अपवाद नहीं था।
अधिकांश क्षेत्रों के लिए, हमने पाया कि उपयुक्त हाथी आवास में इस समय के आसपास तेजी से गिरावट आई। हमने अनुमान लगाया कि 1700 से 2015 तक उपयुक्त आवास की कुल मात्रा में 64 प्रतिशत की कमी आई है।
वृक्षारोपण, उद्योग और शहरी विकास के लिए 12 लाख वर्ग मील (30 लाख वर्ग किलोमीटर) से अधिक भूमि परिवर्तित की गई। संभावित हाथी आवास के संबंध में, अधिकांश परिवर्तन भारत और चीन में हुए, जिनमें से प्रत्येक ने इन परिदृश्यों के 80 प्रतिशत से अधिक में रूपांतरण देखा।
दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य क्षेत्रों में - जैसे कि मध्य थाईलैंड में हाथियों के प्रमुख निवास स्थान, जो कभी उपनिवेश नहीं था - में, 20 वीं शताब्दी के मध्य में हाथियों के निवास स्थान का नुकसान हुआ। यह समय तथाकथित हरित क्रांति के आसपास का है, जिसने दुनिया के कई हिस्सों में औद्योगिक कृषि की शुरुआत की।
क्या अतीत भविष्य की कुंजी हो सकता है?
सदियों से भू-उपयोग परिवर्तन पर पीछे मुड़कर देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि मानवीय कार्यों ने एशियाई हाथियों के आवास को कैसे कम कर दिया है। हाल के दशकों में तथाकथित जंगल या जंगलों पर "विनाशकारी" मानव प्रभावों के अनुमानों से हमने जो नुकसान मापा है, वह बहुत अधिक है।
हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि यदि आप 1700 के दशक में एक हाथी थे, तो आप बिना किसी समस्या के एशिया में उपलब्ध निवास स्थान के 40 प्रतिशत तक पहुंच सकते थे, क्योंकि यह एक बड़ा, सन्निहित क्षेत्र था जिसमें कई पारिस्थितिक तंत्र शामिल थे जहाँ आप रह सकते थे। .
इसने कई हाथियों की आबादी के बीच जीन प्रवाह को सक्षम किया। लेकिन 2015 तक, मानवीय गतिविधियों ने हाथियों के लिए कुल उपयुक्त क्षेत्र को इतना खंडित कर दिया था कि अच्छे आवास का सबसे बड़ा हिस्सा इसके 7 प्रतिशत से भी कम का प्रतिनिधित्व करता था।
श्रीलंका और प्रायद्वीपीय मलेशिया में हाथियों के उपलब्ध आवास क्षेत्र की तुलना में एशिया के जंगली हाथियों की आबादी का अनुपातिक रूप से अधिक हिस्सा है। थाईलैंड और म्यांमार में क्षेत्रफल के सापेक्ष कम आबादी है। दिलचस्प बात यह है कि बाद वाले देश हाथियों की बड़ी आबादी के बंदी या अर्ध-बंदी होने के लिए जाने जाते हैं।
जंगली हाथियों वाले आधे से भी कम क्षेत्रों में आज उनके लिए पर्याप्त आवास है। हाथियों द्वारा तेजी से मानव-वर्चस्व वाले परिदृश्यों के उपयोग से टकराव होता है जो हाथियों और लोगों दोनों के लिए हानिकारक होता है।
हालाँकि, इतिहास का यह लंबा दृष्टिकोण हमें याद दिलाता है कि अकेले संरक्षित क्षेत्र इसका उत्तर नहीं हैं, क्योंकि वे हाथियों की आबादी का समर्थन करने के लिए पर्याप्त बड़े नहीं हो सकते। वास्तव में, मानव समाजों ने सदियों से इन्हीं परिदृश्यों को आकार दिया है।
आज वन्य जीवों की जरूरतों के साथ मानव निर्वाह और आजीविका आवश्यकताओं को संतुलित करने की एक बड़ी चुनौती है। भूमि प्रबंधन के पारंपरिक रूपों को बहाल करना और इन परिदृश्यों का स्थानीय प्रबंधन भविष्य में लोगों और वन्य जीवन दोनों की सेवा करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्प्राप्ति का एक अनिवार्य हिस्सा हो सकता है। (द कन्वरसेशन)
पेशावर, 1 मई। पाकिस्तान की एक अदालत ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर स्थित दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता राज कपूर की हवेली पर स्वामित्व की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस हवेली को 2016 में प्रांतीय सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था।
पेशावर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इश्तियाक इब्राहिम और न्यायाधीश अब्दुल शकूर की पीठ ने बृहस्पतिवार को याचिकाकर्ता के स्वामित्व दावे से जुड़े मामले को खारिज कर दिया।
यहां प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार की हवेली के अधिग्रहण की प्रक्रिया से संबंधित इसी अदालत के पहले के फैसले के आलोक में उच्च न्यायालय ने राज कपूर की हवेली पर स्वामित्व से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया।
दिलीप कुमार की हवेली को भी राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया था। यह घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार ने की थी।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रांतीय पुरातत्व विभाग ने 2016 में एक अधिसूचना के माध्यम से कपूर हवेली को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था।
इस पर, न्यायमूर्ति शकूर ने पुरातत्व विभाग से पूछा कि क्या उसके पास कोई दस्तावेज या सबूत है, जो यह दर्शाता हो कि राज कपूर का परिवार कभी हवेली में रहता था।
याचिकाकर्ता सईद मुहम्मद के वकील सबाहुद्दीन खट्टक ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल के पिता ने 1969 में एक नीलामी के दौरान संबंधित हवेली खरीदी थी और उन्होंने इसकी लागत का भुगतान किया तथा प्रांतीय सरकार की अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने तक पूर्ण मालिक बने रहे।
उन्होंने दावा किया कि प्रांतीय सरकार के किसी भी विभाग के पास यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है कि दिवंगत राज कपूर और उनका परिवार कभी इस हवेली में रहा या संपत्ति पर उनका स्वामित्व था।
हालांकि, पीठ ने वकील से कहा कि मामले को दीवानी अदालत में ले जाया जा सकता है।
हवेली अब बहुत जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और इसके वर्तमान मालिक इसके स्थान के महत्व को देखते हुए संरचना को ध्वस्त कर एक वाणिज्यिक प्लाजा का निर्माण करना चाहते हैं। हालांकि, इस तरह के सभी कदम रोक दिए गए, क्योंकि पुरातत्व विभाग इसके ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए हवेली को संरक्षित करना चाहता था।
कपूर हवेली के नाम से प्रसिद्ध राज कपूर का पैतृक घर पेशावर के प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाज़ार में स्थित है। इसे 1918 और 1922 के बीच अभिनेता के दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने बनवाया था। राज कपूर और उनके चाचा त्रिलोक कपूर का जन्म यहीं हुआ था।
ऋषि कपूर और उनके भाई रणधीर ने 1990 के दशक में हवेली का दौरा किया था। (भाषा)
कीव, 1 मई। रूस ने सोमवार को तड़के यूक्रेन के पूर्वी शहर पावलोह्राद पर कई मिसाइलें दागीं जिसमें कम से कम 34 लोग घायल हो गए और कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यूक्रेन के संपूर्ण राजधानी क्षेत्र में देर रात तीन बज कर लगभग 45 मिनट पर हवाई हमले के सायरन बजने लगे। इसके बाद विस्फोटों की आवाज़ें सुनाई दीं क्योंकि इन मिसाइलों को यूक्रेनी रक्षा प्रणालियों द्वारा रोक दिया गया था।
यूक्रेनी सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ वालेरी जालुजनी ने कहा कि मरमांस्क क्षेत्र और कैस्पियन क्षेत्र में कुल मिलाकर 18 क्रूज मिसाइलें दागी गईं और उनमें से 15 मिसाइलों को रोक दिया गया।
कीव शहर के प्रशासन के प्रमुख सेरही पोपको ने कहा कि शहर में दागी गई सभी मिसाइलों और कुछ ड्रोन को मार गिराया गया। उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिक जानकारी बाद में उपलब्ध होगी।
शुक्रवार को यूक्रेन में 20 से अधिक क्रूज मिसाइलों और दो विस्फोटक ड्रोन के जरिए हमला हुआ। यह लगभग दो महीनों में कीव को निशाना बनाने वाला पहला हमला था।
हमले में, रूसी मिसाइलों ने कीव से लगभग 215 किलोमीटर दक्षिण में उमान शहर में एक रिहायशी इमारत को निशाना बनाया, जिसमें तीन बच्चों सहित 21 लोगों की मौत हो गयी थी।
सोमवार के हमले में मिसाइलों ने पूर्वी निप्रॉपेत्रोव्स्क क्षेत्र में पावलोह्राद को निशाना बनाया, जिसमें पांच बच्चों समेत 34 लोग घायल हो गए। (एपी)
यरुशलम, 1 मई । इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने यरुशलम की अल-अक़्सा मस्जिद में इसराइल के कथित समर्थन वाले चरमपंथी समूहों के मस्जिद के प्रांगण में बार-बार अतिक्रमण करने की कड़े शब्दों में निंदा की है.
ओआईसी ने अपने बयान में कहा है, “पवित्र स्थान पर पूजा की स्वतंत्रता का बार-बार उल्लंघन हो रहा है. और इसराइल की ओर से जेनेवा संधि और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है.”
“ओआईसी ने इन व्यवस्थित हमलों के परिणाम के लिए पूरी तरह से क़ब्ज़े वाली सरकार यानी इसराइल को ज़िम्मेदार ठहराया है. ये पूरी दुनिया में मुसलमानों की भावनाओं को उकसाने वाला है.”
साथ ही ओआईसी ने इन गंभीर उल्लंघनों पर विराम लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की बात की. (bbc.com)
सूडान की राजधानी ख़ार्तूम में एक बार फिर एयर स्ट्राइक हुई है. आम लोगों को शहर से बाहर निकलने के लिए यहां सेना और अर्धसैनिक बल के बीच सीज़फ़ायर किया गया था, लेकिन इसके बावजूद यहां हमले शुरू हो गए.
सेना का कहना है कि वह अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स (आरएसएफ़) पर हमला कर रही थी ताकि उन्हें शहर से हटाया जा सके.
दोनों पक्षों ने कहा कि वे युद्धविराम को और तीन दिनों के लिए बढ़ा रहे हैं. लेकिन इसके इतर युद्धविराम के दौरान ही हमले किए गए.
कई कूटनीतिक दबाव और अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र की तमाम कोशिशों के बाद सेना के जनरल मानवीय युद्धविराम के लिए तैयार हुए थे, लेकिन इस युद्धविराम के दौरान भी हमले हुए.
रविवार को युद्धविराम के विस्तार की घोषणा से पहले, सेना ने बताया कि उसने शहर के केंद्र से उत्तर में आरएसएफ़ के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाया था.
इस युद्ध में अब तक 500 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जबकि हताहतों की सही संख्या कहीं अधिक मानी जा रही है. वहीं लाखों लोग इस समय ख़ार्तूम में फंसे हुए हैं.
सूडान में सेना अध्यक्ष जनरल अब्देल फ़तेह अल बुरहान और अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स' यानी आरएसएफ के प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती के बीच देश की सत्ता को लेकर युद्ध हो रहा है. देश में शासन कर रहा सैनिक जुंटा दो धड़ों में बँट गया है और हर कोई जल्द विजयी होने का दावा कर रहा है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की पार्टी को लाहौर में रैली निकालने की सशर्त अनुमति मिली है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ लाहौर के लिबर्टी चौक से नासिर बाग़ इलाक़े तक रैली निकाल सकेगी. हालांकि नेताओं को न्यायपालिका और पाकिस्तान के संस्थानों के ख़िलाफ़ बोलने की अनुमतिन नहीं होगी.
लाहौर की डिप्टी-कमिश्नर राफ़िया हैदर ने पार्टी से शपथपत्र लेने के बाद रैली की अनुमति दी है.
प्रशासन ने कहा है कि शाम छह बजे तक ही रैली निकाली जा सकेगी और रास्ते में स्वागत के लिए शिविर नहीं लगाए जा सकेंगे.
प्रशासन ने कहा है कि अगर रैली में किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचता है तो इसकी ज़िम्मेदारी पार्टी की होगी. मार्ग की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी रैली प्रबंधन की ही होगी.
प्रशासन ने ये भी कहा है कि रैली में शामिल लोगों को हथियार या लाठी डंडे साथ नहीं लाने दिए जाएंगे.
इससे पहले पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पीटीआई को रैली रद्द करने का निर्देश दिया था.
वहीं अहतियात के तौर पर राजधानी इस्लामाबाद में धारा 144 लागू कर दी गई है. इस्लामाबाद की सीमा के भीतर किसी बैठक, जुलूस या रैली की अनुमति नहीं है. (bbc.com/hindi)
नयी दिल्ली, 30 अप्रैल। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की महानिदेशक औद्रे ऑजुले ने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के भारतीय तरीके के बारे में जानना चाहा।
ऑजुले ने कहा कि 50 से अधिक भाषाओं और बोलियों के करोड़ों श्रोताओं के साथ यह निश्चित रूप से सर्वाधिक प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में से एक है।
मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम को लेकर ऑजुले का एक विशेष संदेश मिलने का उल्लेख किया, जिन्होंने इसकी 100वीं कड़ी का हिस्सा बनाने का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया।
ऑजुले ने प्रसारण में कहा, ‘‘यूनेस्को और भारत का एक लंबा साझा इतिहास है। शिक्षा, विज्ञान,संस्कृति और सूचना के क्षेत्रों में हमारी बहुत मजबूत साझेदारी है और मैं इस अवसर का उपयोग आज शिक्षा के महत्व के बारे में बात करने के लिए करना चाहती हूं।’’
उन्होंने कहा कि यूनेस्को अपने सदस्य देशों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहा है कि विश्व में 2030 तक प्रत्येक व्यक्ति की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो।
ऑजुले ने प्रधानमंत्री से सवाल किया, ‘‘विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश के रूप में क्या आप इस लक्ष्य को हासिल करने के भारतीय तरीके को बता सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यूनेस्को संस्कृति का समर्थन करने और धरोहर की रक्षा करने का भी कार्य करता है तथा भारत इस साल जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व के नेता इस कार्यक्रम के लिए दिल्ली आएंगे।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘भारत, संस्कृति और शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय एजेंडा के शीर्ष पर कैसे रखेगा।’’
उन्होंने प्रसारण में कहा,‘‘मैं यह अवसर देने के लिए एक बार फिर आपका शुक्रिया अदा करती हूं और आपके जरिये भारत के लोगों को शुभकामना देती हूं।’’
मोदी ने ऑजुले के संदेश को विशेष बताते हुए यह उल्लेख किया कि उन्होंने सभी देशवासियों को कार्यक्रम की 100 कड़ी तक की इस शानदार यात्रा के लिये शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही, उन्होंने (ऑजुले ने) कुछ सवाल भी पूछे हैं।
मोदी ने ऑजुले को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 100वीं कड़ी में आपसे बात करके खुश हूं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आपने शिक्षा और संस्कृति का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।’’
उनके सवालों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि यूनेस्को की महानिदेशक ने शिक्षा और संस्कृति के संरक्षण को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में जानना चाहा है। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही विषय ‘मन की बात’ के पसंदीदा विषय रहे हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘बात शिक्षा की हो या संस्कृति की, उसके संरक्षण की बात हो या संवर्धन की, भारत की यह प्राचीन परंपरा रही है। इस दिशा में आज देश जो काम कर रहा है, वह वाकई बहुत सराहनीय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प हो, या शिक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल करना हो, आपको ऐसे अनेक प्रयास देखने को मिलेंगे। वर्षों पहले गुजरात में बेहतर शिक्षा देने और बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर को कम करने के लिए ‘गुणोत्सव और शाला प्रवेशोत्सव’ जैसे कार्यक्रम जनभागीदारी की एक अद्भुत मिसाल बन गए थे।’’
उन्होंने कहा,‘‘मन की बात में हमने ऐसे कितने ही लोगों के प्रयासों को रेखांकित किया है, जो नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। आपको याद होगा, एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले (दिवंगत) डी. प्रकाश राव जी के बारे में चर्चा की थी, जो गरीब बच्चों को पढ़ाने के मिशन में लगे हुए थे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘झारखंड के गांवों में डिजिटल पुस्तकालय चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, या कोविड (महामारी) के दौरान ‘ई-लर्निंग’ के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता एन.के. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में शामिल किये हैं। हमने सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हम जहां आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं जी20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि शिक्षा के साथ-साथ विविध वैश्विक संस्कृति को समृद्ध करने के लिये हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है।’’
मन की बात की 100वीं कड़ी के लिए एक विशेष पुस्तक को लेकर अपने संदेश में ऑजुले ने कहा, ‘‘रेडियो एक सदी पहले अपने आविष्कार के बाद से हम सभी के जीवन का हिस्सा रहा है...रेडियो निकटता, जुड़ाव और विविधता का संदेश भी समाहित किये हुए है। रेडियो स्वतंत्रता का संदेश देता है...।’’ (भाषा)
लंदन, 30 अप्रैल | भारतीय मूल के एक आपराधिक सरगना को ड्रग्स तथा हथियारों की ऑनलाइन खरीद-फरोख्त के लिए आठ साल से अधिक की सजा सुनाई गई है। ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी ने बताया कि वह एक इंक्रिप्टेड कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से यह धंधा करता था। दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के सरे निवासी राज सिंह (45) वकास इकबाल (41) के साथ मिलकर क्लास ए ड्रग्स और हथियारों की खरीद-बिक्री करता था। उस पर मनी लॉन्ड्रिंग और केटामाइन की खेप कनाडा भेजने का भी आरोप था।
सिंह ने गिल्डफोर्ड क्राउन कोर्ट के सामने क्लास ए (कोकीन) और क्लास बी (केटामाइन) की आपूर्ति की साजिश तथा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध स्वीकार कर लिए। एक अन्य मामले में उसने पुलिस पर हमला करने की बात भी स्वीकार की।
अदालत ने सिंह को आठ साल 10 महीने और इकबाल को 12 साल की कैद की सजा सुनाई।
एक महिला पुलिस अधिकारी को शारीरिक रूप से घायल करने के लिए 16 महीने की सजा भी इसमें शामिल है। सिंह ने एक पब में लड़ाई के दौरान पुलिस अधिकारी की टांगों पर लात मारी थी, जब पुलिस अधिकारी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी।
एनसीए की जांच के अनुसार, दोनों अपराधी न सिर्फ क्लास ए ड्रग्स की खरीद और आपूर्ति के कई किलोग्राम के सौदों में शामिल थे, बल्कि डिक्रिप्ट किए गए संदेशों से पता चला कि अप्रैल 2020 में इकबाल क्रेडिट पर ली गई दवाओं के लिए 3,85,000 पाउंड चुकाने वाला था।
दोनों ने मार्च और मई 2020 के बीच कोकीन और हेरोइन की कई किलोग्राम की खेप का सौदा किया था। सिंह ने भी केटामाइन कनाडा भेजने की साजिश रची थी।
इन्क्रोचैट पर दोनों अपने असली नाम से नहीं बल्कि 'हैंडल' से जाने जाते थे। सिंह को सलमोनजेंट और इकबाल को घोस्टशूटर कहा जाता था।
इकबाल ने मार्च 2020 के अंत में इकबाल ने लंदन ई17 में एकेसिया रोड पर एक बैठक में एक व्यक्ति को 7.65 ब्राउनिंग के लिए गोला-बारूद की आपूर्ति की थी। एक सप्ताह बाद सिंह और इकबाल ने हथियार के बारे में चर्चा की जिसे इकबाल ने एक दीवार में छिपा कर रखा था।
अगले कुछ दिनों में 8 और 10 अप्रैल के बीच दोनों ने इंक्रोचैट पर एक व्यक्ति से 8,000 पाउंड में एक और हथियार खरीदने पर चर्चा की।
एनसीए संचालन प्रबंधक डीन वॉलबैंक ने कहा, हालांकि इकबाल और सिंह सिर्फ लंदन के इलाके में ही काम करते थे, लेकिन उनके आपराधिक संपर्क यूरोप के कई देशों में थे। दूसरे हाई एंड डीलरों की तरह इकबाल और सिंह भी काफी समाज के लिए काफी जहरीले और उसे काफी गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
वॉलबैंक ने कहा, जब तक वे पैसे कमाते रहे, तब तक उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि बंदूकों और नशीले पदार्थों के कारण किस तरह का खून-खराबा हुआ। (आईएएनएस)
क्लीवलैंड (अमेरिका), 30 अप्रैल। अमेरिका में टेक्सास के एक व्यक्ति ने अपने पांच पड़ोसियों की गोली मारकर हत्या कर दी जिनमें आठ साल का एक लड़का भी शामिल है।
प्राधिकारियों ने बताया कि यह घटना तब हुई जब पड़ोसियों ने आरोपी से उसके प्रांगण में गोलियां न चलाने के लिए कहा था क्योंकि वे लोग सोने का प्रयास कर रहे थे।
संदिग्ध की पहचान 38 वर्षीय फ्रांसिस्को ओरोपेजा के रूप में की गयी है और वह फरार है तथा प्राधिकारियों ने चेतावनी दी है कि उसके पास अब भी हथियार हो सकता है।
यह हमला ह्यूस्टन के उत्तर में क्लीवलैंड शहर के समीप शुक्रवार रात को हुआ। घटना उस जगह हुई जहां कुछ निवासियों का कहना है कि पड़ोसियों द्वारा गोलियां चलाने की आवाज सुनना कोई असामान्य बात नहीं है।
सैन जैसिंटो काउंटी के शेरिफ ग्रेग कैपर्स ने बताया कि ओरोपेजा ने एक एआर-शैली की राइफल का इस्तेमाल किया और प्राधिकारियों ने उसकी तलाश का दायरा घटनास्थल से 10 से 20 मील की दूरी तक बढ़ा दिया है।
कैपर्स ने बताया कि मृतकों की आयु आठ से 31 वर्ष के बीच थी और ऐसा माना जा रहा है कि वे सभी होंडुरास से थे। उन्होंने बताया कि सभी को गर्दन से ऊपर गोली मारी गयी।
उन्होंने बताया कि जिस घर में रह रहे लोगों पर गोलियां चलाई गईं, उसमें 10 लोग थे लेकिन कोई और घायल नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि दो लोग एक शयनकक्ष में दो बच्चों के ऊपर मृत पाए गए जिससे ऐसा लगता है कि उन्होंने बच्चों को बचाने की कोशिश की होगी।
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की प्रवक्ता क्रिस्टिना गार्जा ने बताया कि मृतकों की पहचान सोनिया अर्जेंटीना गुजमैन (25), डायना वेलाजक्वेज अल्वाराडो (21), जूलिसा मोलिना रिवेरा (31), जोस जोनाथन कासारेज (18) तथा डेनियल एनरिक लासो (आठ) के रूप में की गयी है।
गोला सिम्मी सिम्मी 3004 0822 क्लीवलैंड (एपी)
सूडान की सेना ने राजधानी खार्तूम में बड़े पैमाने पर हमले करने के लिए टैंक और भारी तोप तैनात कर दिए हैं.
युद्ध विराम को 72 घंटे बढ़ाए जाने के बावजूद हवाई और ज़मीनी हमले जारी हैं. सेना ने लोगों से अपने घरों के अंदर रहने और खिड़कियों से दूर रहने की अपील की है.
सेना ने कहा है कि वो राजधानी खार्तूम के चारों ओर से हमले कर रही है. सेना की कोशिश है कि युद्ध विराम होने के बावजूद प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेस द्वारा कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों को फिर से हासिल किए जाएं.
पड़ोसी देश दक्षिण सूडान की सरकार का कहना है कि वो अभी भी दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच शांति वार्ता कराने की कोशिश कर रही है.
सूडान के पूर्व प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने दोनों पक्षों के बीच संवाद के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत प्रयास करने की अपील की है.
हमदोक ने कहा है कि यह एक मूर्खतापूर्ण लड़ाई है, जिसे कोई भी पक्ष नहीं जीत सकता. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के कारण उनके देश की हालत सीरिया और लीबिया से भी ख़राब हो सकती है.
उनके अनुसार, यदि यह लड़ाई आगे भी जारी रही तो यह पूरी दुनिया के लिए एक दुस्वप्न साबित होगा.
सूडान में पिछले दो हफ़्ते से जारी इस लड़ाई में सैकड़ों लोग मारे गए हैं, जबकि दसों हज़ार लोग देश छोड़कर चले गए हैं. (bbc.com/hindi)
इंडियानापोलिस (अमेरिका), 29 अप्रैल अमेरिका के इंडियानापोलिस में चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को 240 साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
एक समाचार विज्ञप्ति के अनुसार, फरवरी 2020 में हुई घातक गोलीबारी की घटना में तीन युवकों-मार्सेल विल्स (20), ब्रेक्सटन फोर्ड (21), जालन रॉबर्ट्स और एक युवती किमारी हंट (21) की मौत हो गई थी। इस मामले में लेसन वाटकिंस को हत्या और डकैती के परिणामस्वरूप गंभीर शारीरिक चोटें पहुंचाने के अपराध में मार्च में दोषी करार दिया गया था।
मैरियन काउंटी के अभियोजक रेयान मियर्स ने समाचार विज्ञप्ति में कहा, “2020 में हुई इस घटना ने सभी को दहला दिया था।”
पिछले महीने वाटकिंस के साथ दोषी ठहराए गए कैमरन बैंक्स और डेसमंड बैंक को 220-220 साल की सजा सुनाई गई थी, जबकि एक चौथे आरोपी रॉड्रिएंस एंडरसन को पिछले अक्टूबर में लूट के चार मामलों में दोषी ठहराया गया था। उसे पांच साल की निलंबित सजा के साथ कुल 35 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। (एपी)
1948 में इस्राएल की स्थापना के बाद, होलोकॉस्ट का जिम्मेदार देश जर्मनी जल्द ही उसका कूटनीतिक साझेदार बन गया. इस रिश्ते में तबसे कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं.
डॉयचे वैले पर क्रिस्टॉफ स्ट्राक की रिपोर्ट-
"जर्मनी ने यहूदियों का कत्लेआम किया था. जर्मनों ने उसकी योजना बनाई थी और उसे अंजाम दिया था. परिणामस्वरूप प्रत्येक जर्मन सरकार इस्राएली राज्य की सुरक्षा और यहूदियों की जिंदगी की हिफाजत की स्थायी जिम्मेदारी वहन करती है. लाखों पीड़ितों और उनकी यातनाओ को हम कभी नहीं भूलेंगे."
2 मार्च 2022 को इस्राएल के अपने पहले दौरे में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने येरूशेलम में याद वाशेम होलोकॉस्ट म्यूजियम से लौटकर, उपरोक्त शब्द कहे थे. उन्होंने इस्राएल के साथ जर्मनी की बुनियादी एकजुटता को दोहराया था.
ये रिश्ता खास है. शोहा से ये हमेशा रेखांकित होगा- नात्सी जर्मनी ने 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम किया था. 1965 के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. उस साल पश्चिम जर्मनी के साथ इस्राएल के कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत हुई थी.
'जर्मनी के अपवाद के साथ'
शुरुआती वर्षों में, हर इस्राएली पासपोर्ट पर ये बात दर्ज रहती थी, "ये पासपोर्ट, जर्मनी के अलावा, सभी देशों के लिए वैध है." नवोदित इस्राएल "हत्यारों के देश" से खुद को अलग रखना चाहता था. पश्चिम जर्मनी में 1993 से 1997 तक इस्राएल के राजदूत रहे अवी प्रिमोर ने 1997 में एक किताब भी लिखी थी, जिसका शीर्षक था- "...जर्मनी के अपवाद के साथ."
सितंबर 1952 में हुए "लक्जमबर्ग समझौते" ने दोस्ती की नींव रखी. उस समझौते में संघीय जर्मन गणतंत्र, इस्राएल और ज्युश क्लेम्स कॉन्फ्रेंस ने दस्तखत किए थे.
इस समझौते के तहत जर्मनी के क्षतिपूर्ति या प्रायश्चित भुगतान के अलावा संपत्तियों की वापसी सुनिश्चिश्त की गई थी. पहले जर्मन चांसलर कौनराड आदेनाउर ने पश्चिम जर्मनी की संसद, बुंदेश्टाग में इस समझौते को पुरजोर ढंग से पास कराया.
उनकी खुद की क्रिस्टियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी से कुछ वोट समझौते के विरोध में पड़े. अपनी इस कोशिश से जर्मनी में कई लोगों के बीच कोनराड "प्रायश्चित का चेहरा" बन गए.
इस्राएल में डेविड बेन-गुरियोन सुलह और दोस्ती की शुरुआत के स्तंभ बने. इस्राएल के पहले और प्रसिद्ध प्रधानमंत्री एक "अन्य" जर्मनी को देखने की दलील दे चुके थे. बेन-गुरियोन और आडेनाउर सिर्फ दो बार मिले थे- 1960 और 1966 में. लेकिन दोनों राजनेता, दूर बसे दोस्तों की तरह लगते थे.
1964 में इस्राएल को जर्मन हथियारों की खेप मिलने का समाचार सामने आया, अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनीं. ये डिलीवरी दोनों देशों के बीच 1965 में कूटनीतिक संबंधों को निर्णायक तौर पर पक्का कर गई. ये वो कदम था जिसे तत्कालीन इस्राएल में कई लोग स्वीकार नहीं कर पाए थे. पहले जर्मन राजदूत की अगवानी विरोध प्रदर्शन के बीच हुई थी.
पहले अतिथि थे विली ब्रांड्ट
जर्मन सरकार के प्रतिनिधियों के इस्राएली दौरों और साझा समारोहों के जरिए ये रिश्ता धीरे धीरे प्रगाढ़ होता गया. जून 1973 में विली ब्रांड्ट इस्राएल की यात्रा करने वाले पहले चांसलर बने. उनका पांच दिन का राजकीय दौरा था.
उनके बाद चांसलर बने हेल्मुट श्मिडट अपने कार्यकाल में कभी इस्राएल के दौरे पर नहीं गए लेकिन 1998 से 2005 तक जर्मनी के चांसलर रहे गेरहार्ड श्रोएडर ने 2000 में इस्राएल की दो दिन की यात्रा की थी.
उस समय उन्होंने कहा था कि वो "इस्राएल के दोस्त और उसके लोगों के दोस्त के रूप में आए हैं." हेल्मुट कोल ने 1982 से 1998 के दरमायन चांसलर पद पर 16 साल रहते हुए दो बार इस्राएल का दौरा किया था.
2005 से 2021 तक जर्मनी की चांसलर रहीं अंगेला मैर्केल ने दूसरे चांसलरों की तुलना में कई बार इस्राएल का दौरा कियाः आठ बार. उनकी सबसे हालिया यात्रा अक्टूबर 2021 में हुई थी, उसके कुछ ही सप्ताह बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था.
1975 में पश्चिम जर्मनी का दौरा करने वाले यित्जाक राबिन पहले इस्राएली प्रधानमंत्री थे. उन्होंने वेस्ट बर्लिन का भी दौरा किया.
जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य (जीडीआर) यानी पूर्वी जर्मनी से कोई भी शासनाध्यक्ष या मंत्री इस्राएल के दौरे पर कभी नहीं गए. इस्राएल और जीडीआर के बीच आधिकारिक कूटनीतिक रिश्ते भी कभी नहीं रहे. क्योंकि पूर्वी जर्मनी फिलस्तीनी अरब आंदोलन का समर्थन करता था.
जर्मन एकीकरण के बाद, जर्मन शासनाध्यक्षों ने हमेशा इस्राएल के अस्तित्व के अधिकार पर जोर दिया है. फिलस्तीनी इलाकों में इस्राएल की सेटलमेंट नीति को लेकर बेशक वे लगातार दो-राज्य समाधान के पक्ष में बोलते रहे. प्रत्येक नयी इस्राएली बस्ती, जर्मन सरकार से याददिहानी का सबब बनती है कि पहले से तनावपूर्ण हालात को और खराब न किया जाए.
दोनों पक्षों के बीच रिश्तों की मजबूती का एक कारण नेसेट में मर्केल की मौजदूगी थी. मार्च 2008 में वो पहील विदेशी शासनाध्यक्ष थीं जिन्होंने वहां भाषण दिय़ा था- वो भी जर्मन में. उन्होने कहा, "मुझसे पहले प्रत्येक संघीय सरकार और प्रत्येक चांसलर, इस्राएल की सुरक्षा के प्रति विशेष ऐतिहासिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं.
जर्मनी की ये ऐतिहासिक जिम्मेदारी मेरे देश की राजनीतिक कार्रवाई का हिस्सा है. इसका अर्थ ये है कि इस्राएल की सुरक्षा पर कभी समझौता नहीं होगा." संयोगवश, इस्राएल में उस समय बेन्यामिन नेतनयाहू विपक्षी नेता थे और मैर्केल के जर्मन में भाषण देने पर उन्हें एतराज था.
इस्राएली-जर्मन सरकारों की मशविरा बैठकें
2022 में इस्राएल दौरे पर गए चांसलर शोल्ज ने बर्लिन में जर्मन-इस्राएली वार्ताओं या परामर्श-बैठकों का न्यौता भी लेकर गए थे. ये वार्ताएं या मशविरे अभी तक नहीं हो पाई हैं, तो तमाम ऐतिहासिक दायित्वों के बावजूद, शायद, ये हाल में रिश्तों की खटपट का सबसे साफ संकेत है.
2008 में, ऐसी पहली सरकारी बैठक येरूशेलम में हुई थी. तबसे, 2018 तक, छह और बैठकें हुई. तीन बर्लिन में और तीन येरूशेलम में. अब नयी इस्राएली गठबंधन सरकार को देखते हुए, कई राजनैतिक प्रेक्षकों को लगता नहीं कि तमाम कैबिनट सदस्यों वाली कोई बैठक हो पाएगी.
शॉल्त्स ने 2022 में प्रधानमंत्री नेतनयाहू को चुनावी जीत पर बधाई दी थी और दोनों देशों के बीच एक बार फिर खास और करीबी दोस्ती पर जोर दिया था. लेकिन जर्मन सरकार, इस्राएली सरकार में धुर दक्षिणपंथी दलों और राजनेताओं को शामिल करने की आलोचना करती है.
खासतौर पर इस्राएली सरकार के न्यायिक सुधारों, मृत्यु दंड को बहाल करने और फिलस्तीनी इलाकों में बस्तियों का विस्तार करने के मामलों की जर्मनी ने आलोचना की है.
फरवरी 2023 से, जर्मन सरकार के कुछ प्रतिनिधि इस्राएल के नीतिगत फैसलों की आलोचना करते आ रहे हैं. जर्मनी के न्याय मंत्री और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) के नेता मार्को बुशमान और ग्रीन्स पार्टी से ताल्लुक रखने वाली जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बायरबोक ने इस्राएल से, एक स्वतंत्र न्यायपालिका और कानून का शासन बनाए रखने की अपील की थी.
जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टायनमायर ने भी इस्राएली सरकार के "कानून के शासन में योजनाबद्ध ढांचागत सुधारों" पर खासतौर पर चिंता जताई थी.
और आखिरकार, चांसलर शॉल्त्स ने भी मार्च में नेतनयाहू का स्वागत करते हुए अपने विचार जाहिर कर दिए थे. उन्होंने संयुक्त प्रेस कॉंफ्रेंस में कहा, "इस्राएल के लोकतांत्रिक मूल्य वाले साझेदार और करीबी दोस्त के रूप में हम इस बहस को बहुत करीबी से देख रहे हैं और- मैं ये छिपाऊंगा नहीं- बड़ी चिंता के साथ देख रहे हैं." शॉल्त्स ने कहा, बुनियादी अधिकार "अपनी प्रकृति में अल्पसंख्यक अधिकार ही होते हैं."
जर्मनी में खुद, यहूदियों के प्रति भेदभाव एक समस्या बना हुआ है और उन पर हमले भी होते रहते हैं. जिस समय शॉल्त्स ने इस्राएल का दौरा किया तब तक "द डिबेकल ऑफ द डॉक्युमेंटा इन कासेल" (जर्मनी के कासेल शहर में डॉक्युमेंटा 15 नाम के नामीगिरामी आर्ट इवेंट में मचा हंगामा) नहीं फूटा था.
2022 में ये दुनिया की वो सबसे महत्वपूर्ण समकालीन कला प्रदर्शनियों में से एक थी जिसमें गैरयहूदी भावनाओं का खुला और निर्मम चित्रण किया गया था. और जिसकी वजह से बड़ा भारी स्कैंडल उठ खड़ा हुआ जिसने जर्मनी की कला दुनिया और समाज को हिलाकर रख दिया था.
जर्मनी में इस्राएल के राजदूत रोन प्रोसोर यहूदियों के प्रति भेदभाव के मुद्दे पर अक्सर खुलकर बात करते हैं. और ऐसी घटनाओं पर जर्मनी को अपने पूर्ववर्तियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा मुखर होकर फटकारने में नहीं हिचकिचाते. (dw.com)
नई दिल्ली, 29 अप्रैल । यूक्रेन के एक सैनिक कमांडर ने पाकिस्तान से मिले हथियारों की गुणवत्ता को 'घटिया' क़रार दिया है. इससे पहले किया गया वो दावा फिर से चर्चा में आ गया है कि पाकिस्तान ने रूस के साथ जारी लड़ाई में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की है. रूस भी पाकिस्तान को लेकर ऐसा दावा कर चुका है.
हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने के रूस के दावे को फिर से ख़ारिज कर दिया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बीबीसी से यूक्रेन को हथियार न देने का दावा किया है.
मुमताज़ ज़हरा बलोच के अनुसार, ''रूस और यूक्रेन के बीच की लड़ाई में पाकिस्तान का रुख़ हमेशा तटस्थ रहा है और उसने यूक्रेन को कोई हथियार नहीं दिए हैं.''
उन्होंने कहा है कि यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि अतीत में पाकिस्तान के यूक्रेन के साथ बेहतर रिश्ते रहे हैं.
क्या है पाकिस्तान का दावा?
बीबीसी के रक्षा संवाददाता जोनाथन बेल से बात करते हुए यूक्रेन की सेना की 17वीं टैंक ब्रिगेड के कमांडर वोलोदिमीर ने दावा किया है कि यूक्रेन के हथियार अब ख़त्म हो गए हैं और अब वो दूसरे देशों से मिले हथियारों पर निर्भर है.
उन्होंने बताया कि यूक्रेन की सेना को 'चेक गणराज्य, रोमानिया और पाकिस्तान' से हथियार और गोला-बारूद मिल रहे हैं.
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बीबीसी से हुई बातचीत में यूक्रेन की सेना के दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यूक्रेन-रूस की लड़ाई में तटस्थ है और उसने यूक्रेन को किसी तरह के हथियार या गोला-बारूद की सप्लाई नहीं की है.
उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान के यूक्रेन के साथ अच्छे रक्षा संबंध रहे हैं, लेकिन वो हथियारों की आपूर्ति नहीं कर रहा है.
मालूम हो कि बीबीसी संवाददाता जोनाथन बेल अभी यूक्रेन में हैं और यूक्रेन की सेना की मुहिम पर वे अग्रिम मोर्चे से रिपोर्टिंग कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने यूक्रेन की सेना की 17 टैंक ब्रिगेड के कमांडर से बातचीत की.
इन कमांडर ने पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से रॉकेट मिलने की बात कही, लेकिन उन्होंने शिकायत भी की कि पाकिस्तान से मिले रॉकेट अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब यूक्रेन ने इस तरह के दावे किए हों. इससे पहले इस साल की जनवरी में यूक्रेन के कई मीडिया संस्थानों ने भी ऐसी ख़बरें प्रकाशित की थीं.
हालांकि, पाकिस्तान और यूक्रेन ने कभी भी हथियारों के किसी लेन-देन की आधिकारिक पुष्टि कभी नहीं की.
इस साल जनवरी में यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने बीबीसी को बताया था कि वे पाकिस्तान से हथियार मिलने की किसी ख़बर पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.
क्या कहते हैं पाकिस्तान के रक्षा जानकार
पाकिस्तान के रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व रक्षा महासचिव (सेवानिवृत्त) नईम ख़ालिद लोधी ने बीबीसी को बताया कि इसमें कोई शक़ नहीं कि पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच पहले से अच्छे रक्षा संबंध रहे हैं.
लेकिन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान की पुष्टि करते हुए उन्होंने भी कहा कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि पाकिस्तान ने इस युद्ध में यूक्रेन को किसी तरह का कोई हथियार मुहैया कराया होगा.
उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच बख्तरबंद गाडियों, टैंकों और उनके पुर्जों का लेन-देन होता रहा है और उनके संबंध यहीं तक सीमित रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई देशों को हथियारों का निर्यात करता रहा है, लेकिन उसने यूक्रेन को कभी हथियारों की आपूर्ति नहीं की.
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि 'इसकी कभी आवश्यकता नहीं थी.'
यूक्रेनी सेना के कमांडर के दावे के बारे में उन्होंने कहा, ''मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि पाकिस्तान ने कभी भी यूक्रेन को हथियार या गोला-बारूद का निर्यात नहीं किया.''
जनरल नईम ख़ालिद लोधी ने कहा, ''लेकिन इस बात की संभावना हो सकती है कि पाकिस्तान से दूसरे देशों को निर्यात होने वाले हथियार और गोला-बारूद उन देशों से होकर यूक्रेन पहुंचे हों.''
मालूम हो कि यूरोप के कई देशों ने इस लड़ाई में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही पाकिस्तान का रुख़ तटस्थ रहा है और 'हम जानते हैं कि ऐसा काम गुपचुप तरीके से नहीं किया जा सकता.''
यूक्रेनी सेना के कमांडर के 'घटिया' हथियार वाले बयान पर जनरल नईम ख़ालिद ने कहा, ''पाकिस्तान विश्व स्तर के हथियारों का उत्पादन करता है. इन हथियारों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान की सेना में शामिल किया जाता है.''
उन्होंने कहा, ''उनके इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि पाकिस्तान में बने हथियार 'घटिया' हैं. हालांकि, ये संभव है कि किसी देश से उन्हें मिले ये हथियार पुराने हो गए हों.''
उन्होंने कहा कि मल्टी-बैरल रॉकेट तोप के गोले की उम्र 8 से 10 साल होती है, लेकिन गोले के निचले हिस्से में पाए जाने वाले प्रोपेलेंट की उम्र केवल दो साल ही होती है.
जनरल नईम ख़ालिद ने कहा, ''मैंने ख़ुद इन रॉकेटों का परीक्षण किया है और ये पूरी क्षमता के साथ अपने निशाने पर लगे.'
पाकिस्तान-यूक्रेन रक्षा संबंधों का इतिहास
पाकिस्तान और यूक्रेन के रक्षा संबंध कम से कम तीन दशक पुराने हैं.
यूक्रेन ने एक रक्षा समझौते के तहत, 1997 से 1999 के बीच पाकिस्तान को 320 टी-80 टैंक बेचे थे. इस समझौते के कारण, भारत और यूक्रेन के सबंध कुछ सालों के लिए ख़राब भी हो गए थे.
हालांकि, यूक्रेन ने भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष में खुद को हमेशा तटस्थ रखते हुए उसने दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखा है.
यूक्रेन का सैन्य उद्योग पाकिस्तान के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है.
90 के दशक में पाकिस्तान को बेचे गए टैंकों की मरम्मत के लिए 2010 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था. उसके बाद नवंबर 2016 में, इन टैंकों की मरम्मत के लिए 60 करोड़ डॉलर के समझौते किए गए.
2017 में यूक्रेन की सेना के एक बयान में कहा गया था कि यूक्रेन के माल्शेव प्लांट ने पाकिस्तान में सैन्य टैंकों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है. उस समझौते के तहत पाकिस्तान के 320 टैंकों की मरम्मत होनी थी.
फरवरी 2021 में, यूक्रेन ने एलान किया कि वो 8.6 करोड़ डॉलर की लागत से पाकिस्तान के टी-80 टैंकों की मरम्मत करेगा. और फिर जून 2021 में बताया कि उसने इस काम को शुरू कर दिया है. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 29 अप्रैल | भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.164 बिलियन डॉलर घटकर 584.248 बिलियन डॉलर रह गया। पिछले समीक्षाधीन सप्ताह में कुल कोष 1.657 अरब डॉलर बढ़कर 586.412 अरब डॉलर हो गया था। अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
समीक्षाधीन अवधि में, मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) के 2.146 बिलियन डॉलर घटकर 514.489 बिलियन डॉलर होने के कारण भंडार गिर गया। रिजर्व में गिरावट आ रही है, जैसा कि मुख्य रूप से वैश्विक विकास के कारण दबाव के बीच आरबीआई ने रुपये की रक्षा के लिए धन का उपयोग किया है। (आईएएनएस)
खार्तूम, 29 अप्रैल | सूडान के अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के नेता जनरल मोहम्मद हमदान डागलो ने कहा कि हिंसा प्रभावित अफ्रीकी देश में दो युद्धरत गुटों में से एक ने कहा कि जब तक लड़ाई होगी, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। हेमेदती के नाम से मशहूर डागलो ने शुक्रवार रात बीबीसी से बात करते हुए आरोप लगाया कि आरएसएफ के लड़ाकों पर लगातार बम बरसाए जा रहे हैं।
डगालो ने बीबीसी को बताया, हम सूडान को तबाह नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने सूडानी आम्र्ड (एसएएफ) के प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान को हिंसा के लिए जि़म्मेदार ठहराया।
जनरल बुरहान दक्षिण सूडान में आमने-सामने बातचीत के लिए अस्थायी रूप से सहमत हो गए हैं।
आरएसएफ प्रमुख ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन शर्त यह है कि संघर्षविराम लागू होना चाहिए। पहले लड़ाई बंद करो, उसके बाद हम बातचीत कर सकते हैं।
डगालो ने कहा कि उन्हें जनरल बुरहान से कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है, लेकिन उन्हें पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के प्रति वफादार लोगों को सरकार में लाने के लिए देशद्रोही माना, जिन्हें 2019 में बड़े पैमाने पर सड़क विरोध के बाद एसएएफ और आरएसएफ द्वारा एक साथ हटा दिया गया था।
उन्होंने बीबीसी को बताया, दुर्भाग्य से बुरहान का नेतृत्व कट्टरपंथी इस्लामिक फ्रंट के नेता कर रहे हैं।
2021 में, उन्होंने और जनरल बुरहान ने तख्तापलट में पूर्ण नियंत्रण लेते हुए, नागरिकों के साथ सत्ता साझा करने के समझौते को पलट दिया।
नागरिक शासन में प्रस्तावित वापसी को लेकर इस वर्ष दो सैन्य नेता अलग हो गए, विशेष रूप से डगालो की मजबूत आरएसएफ को सेना में शामिल करने की समय सीमा के बारे में।
उन्होंने बीबीसी से कहा, मैं कल से पहले एक पूरी तरह से असैन्य सरकार की उम्मीद कर रहा हूं. यह मेरा सिद्धांत है।
उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएफ के लड़ाके सैनिकों के दुश्मन नहीं हैं।
हम आपसे नहीं लड़ेंगे। कृपया अपनी सेना के डिवीजनों में वापस जाएं।
सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 15 अप्रैल को पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से 512 लोग मारे गए हैं और 4,193 अन्य घायल हुए हैं।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है। (आईएएनएस)